हिन्दी पत्रकारिता के लिए पंडित जुगल किशोर की अंग्रेजों से रणनीति!

दुनिया में अगर पत्रकारिता ना होती तो शायद किसी को अपने शहर की भी खबर ना होती। देश में क्या चल रहा है या फिर सरकार क्या कर रही है यह किसी को पता नहीं होता। आज पत्रकारिता की वजह से ही लोगों को पल पल की खबर होती है लेकिन यह खबर शायद ही कम लोगों को है कि इसकी शुरुआत किसने और कब की थी। उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को पहला हिन्दी समाचार पत्र जारी किया था। पंडित किशोर ने कोलकाता से इस साप्ताहिक समाचार पत्र “उदन्त मार्तण्ड” की शुरुआत की और लोगों तक उस समय समाचार पहुंचाने का प्रयास किया बाद में इसी दिन को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 

देश अंग्रेजों का गुलाम था इसलिए किसी भी काम की आजादी नहीं थी। हर काम के लिए अंग्रेजी हुकूमत से आदेश लेना होता था और ना लेने पर जेल या फिर मौत की सजा पक्की थी उस समय तक अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला भाषा में समाचार पत्र चलने लगे थे लेकिन हिन्दी का कोई भी समाचार पत्र नहीं होता था। बांग्ला समाचार पत्र समाचार दर्पण के कुछ हिस्से हिन्दी में भी निकलते थे लेकिन वह जरुरत के अनुसार कम थे। पंडित जुगल किशोर ने हिन्दी समाचार उदन्त मार्तण्ड की पहली बार में 500 प्रतियां छपवायी लेकिन कलकत्ता में हिन्दी भाषी लोगों की कमी होने की वजह से वहां कम प्रतियां ही बिकी, हिन्दी भाषी राज्य वहां से दूर भी थे इसलिए उन्हे डाक से भेजना भी मुश्किल था और समाचार की कीमत भी बढ़ जाती थी। समाचार पत्र के सामने लगातार एक के बाद एक परेशानी आने लगी। पंडित जुगल किशोर ने सरकार से भी मदद मांगी और डाक टिकट कम करने का भी निवेदन किया लेकिन अंग्रेजी सरकार ने एक भी ना सुनी जिसके चलते 4 दिसंबर 1827 को ही हिन्दी समाचार पत्र का प्रकाशन बंद करना पड़ा। 
पंडित जुगल किशोर जी ने एक बड़ा प्रयास किया और उसे अंतिम समय तक जारी रखा लेकिन पूरी तरह से ऊंचाई पर नहीं पहुंचा सके लेकिन आज हिन्दी पत्रकारिता अपने झंडे बुलंद किये हुए है। आज हिन्दी पत्रकारिता एक उद्योग का दर्जा ले चुकी है और लाखों लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है। पंडित जी का लगाया हुआ हिन्दी पत्रकारिता का वह पौधा आज बड़ा वृक्ष बन चुका है।
भारत को आजादी दिलाने और स्वतंत्रता योद्धाओं को एकजुट करने में भी समाचार पत्रों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी यह बात अंग्रेज भली भांति जानते थे कि समाचार पत्रों के माध्यम से ही सभी क्रांतिकारी एक हो रहे है और उन्हे पूरे भारत की घटनाओं की जानकारी मिल रही है इसलिए तमाम समाचार पत्रों पर अंग्रेजों ने रोक लगा दिया था जिसके बाद इन्हे चोरी छुपे प्रकाशित किया जाने लगा। राजा राममोहन राय ने भी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है वैसे तो उन्होंने कई समाचार पत्रों की शुरुआत की लेकिन 1816 में उन्होंने देश का पहला समाचार पत्र बंगाल गजट प्रकाशित किया जो भारतीय भाषा में था। 
29 जनवरी 1780 आयरिस नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी ने अंग्रेजी समाचार “कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर” पत्र निकालना शुरु कर दिया था और यह भारतीय एशियाई उपमहाद्वीप का पहला अखबार था इस समाचार पत्र के आने के बाद भी हिन्दी भाषा के लिए पंडित जुगल किशोर को कड़ी मेहनत करनी पड़ी और 1826 में उन्हें हिन्दी अखबार निकालने की अनुमति दी गयी लेकिन फिर भी तुरंत में उन्हें सफलता नहीं मिली क्योंकि उन्हे सरकार की तरफ से कोई भी सहयोग नहीं मिला और लगातार यह कोशिश की  गयी कि यह समाचार पत्र बंद हो।  

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