Black & White फंगस की पूरी जानकारी और बचाव

कोरोना का डर लोगों के मन से पूरी तरह गया नहीं था कि बढ़ते फंगस की बीमारी ने सबको फिर से चिंता में डाल दिया। फंगस जिसे हम कवक भी कहते है यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह मनुष्य के साथ ही चलते चले आ रहे है लेकिन वर्तमान में जो फंगस चल रहा है वह एक बीमारी है और जानलेवा भी है।श्री सुनील द्विवेदी (विज्ञान संचारक व पर्यावरणविद) ने इस पूरे फंगस पर प्रकाश डाला और समझाया कि कैसे इससे बच सकते है। 
 
सुनील द्विवेदी ने बताया कि फंगस हमारे चारो तरफ मौजूद होते है इनके रहने का कोई एक निश्चित स्थान नहीं होता है। पृथ्वी पर मनुष्य से पहले फंगस ने जन्म लिया है और अब यह हमारे साथ ही रहते है लेकिन अब सवाल यह है कि क्या सभी फंगस जहरीले होते है? क्या सभी फंगस बीमारी फैलाते है तो इसका जवाब होगा नहीं। सभी फंगस जहरीले नहीं होते है। हम कुछ फंगस का इस्तेमाल अपने खाने में भी करते है जैसे मशरूम और इनसे एंटीबायोटिक दवा भी बनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ दिनों से हम ब्लैक, व्हाइट और ऐलो फंगस के बारे में सुन रहे है जो जानलेवा है। कोरोना के बाद इस फंगस को लेकर तमाम समाचार देखने को मिल रहे है और सरकार भी इसे लेकर चिंतित है। फंगस के द्वारा जो बीमारी होती है उसे माइकोसिस कहा जाता है और यह उन लोगों को अधिक प्रभावित कर रही है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। वह लोग जो पूरी तरह से तंदुरुस्त है वह इस प्रकार के फंगस से बचे हुए है। घर से लेकर वनस्पतियों तक सभी जगह पर फंगस पाये जाते है लेकिन यह हम लोगों के लिए तभी खतरनाक साबित होंगे जब हमारी अंदरुनी शक्ति कमजोर हो जायेगी।  
 
ब्लैक फंगस या म्यूकर सभी जगहों पर पाया जाता है और इससे होने वाले रोग को म्यूकर माइकोसिस कहते है। इस रोग की वजह से सबसे अधिक म्यूकर मेमरेन प्रभावित होता है। इस रोग की वजह से हमारी नाक, आंख, फेफड़ों और त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह म्यूकर फंगस बहुत ही तेजी से फैलते है और जल्द ही शरीर को बुरी अवस्था में ला देते है। कोरोना काल में ही फंगस क्यों तेजी बढ़ा इस पर विचार करते है। दरअसल कोरोना वायरस का अटैक सीधे हमारे फेफड़ों पर होता है और फेफड़े संक्रमित हो जाते है जिससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है अब इस सूजन को कम करने के लिए हम जिन दवाओं का इस्तेमाल करते है वह दवाएं कुछ फंगस की सहायता से तैयार हुई होती है। इन दवाओं के अधिक इस्तेमाल से फंगस की संभावना होती है और यही वजह है कि कोरोना के संक्रमित लोगों में से ही अधिक लोगों को ब्लैक फंगस का शिकार होते देखा गया है। 
 
हमारे देश में मधुमेह वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है और यह रोग तमाम रोगों को न्यौता देता रहता है। कोरोना काल में भी मधुमेह वाले लोगों को विशेषतौर पर ध्यान देने के लिए सरकार की तरफ से कहा गया था। फंगस की बीमारी में भी मधुमेह वाले लोगों को बचाने की सलाह डॉक्टर की तरफ से दी गयी है। फंगस आंख, नाक, कान या फिर मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है तो ऐसे में यह फंगस शरीर के तमाम भागो के साथ साथ दिमाग तक पहुंच सकता है और फिर आंख, नाक या फिर मस्तिष्क को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। फंगस के लक्षणों की बात करें तो इससे प्रभावित लोगों में सिर दर्द, आंख के नीचे लाल होना, आंखों से पानी निकलना, नाक जाम होना, गाल और नाक में सूजन और बुखार का आना देखा जाता है। 
 
फंगस से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि आप के घर और आस पास में साफ सफाई होनी चाहिए अगर आप बाहर निकल रहे है तो मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। नहाने के दौरान गर्म पानी और एंटीसेप्टिक साबुन का इस्तेमाल करें। घर में नमी वाली जगहों पर ना जाएं खासकर गमले को पूरी सावधानी के साथ छुएं। फंगस से बचाव के लिए आप को खुद पर ध्यान देना होगा और अगर इसका इलाज भी समय से किया जाए तो यह एक मामूली बीमारी के रूप में ही देखी जायेगी लेकिन फंगस शरीर के अंदर अपना पूरा स्थान बना लेगा फिर ऐसे में शरीर के किसी भी अंग को निकालना भी पड़ सकता है।  
   

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