चलो! कदम मिलाकर चले…

परिवर्तन प्रकृति का नियम है, और पूर्वोत्तर के नौजवानों ने इसे स्वीकार कर लिया है,भारत के पुननिर्माण में उसे स्वर्णिम युग तक ले जाने के लिएस अब ये नौजवान तैयार हैं।

पूर्वोत्तर में शताब्दियों से समान भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाला समाज भिन्न भिन्न समुदायों में अपनी अलग पहचान बनाकर निवास कर रहा है, उनकी सामाजिक स्थिति तथा उनका आकार भी भिन्न भिन्न है। परंन्तु जब सामाजिक स्थिति की बात आती है तो ये समुदाय एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण सहजीवन बिताने के बजाय एक दूसरे के साथ लड झगड करवातावरण को दूषित करते हैं।
यह सोचना अधिक महत्वपूर्ण होगा कि पूर्वोत्तर के युवक भारत के पुननिर्माण में किस प्रकार सहभागी हो सकते है, यह देखना है।

शिक्षा

व्यक्ति के विकास एवं सांस्कृतिक उत्थात में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि हमारा विषय पूर्वोत्तर तक सीमित है,परंन्तु पूरे देश में इन दोनों बातों का अभाव दिखाई देता है। पहली बात शिक्षा के मूल में नैतिकता, चरित्र एवं राष्ट्रसेवा होना चाहिए। दुर्भाग्य से वर्तमान शिक्षा पद्धति का वह स्तर नहीं है कि वह युवा वर्ग को इन सब गुणों से युक्त कर सके।

एक ऐसी पद्धति को शिक्षा के क्षेत्र में अपनाया जाना चाहिए जिससे शिक्षा का स्तर निश्चित किया जा सके, अधिकतम विद्यार्थियों को औद्योगिक प्रशिक्षण दिया जा सके। छात्रों को परिष्कृत कोर्स, रिसर्च एवम प्रोफेशनल कोर्स देने की योजना बन सके। इनका उपयोग भारत के पुननिर्माण के कार्य में होगा। वे अलगाववादी स्वभाव से दूर होते जायेंगे तथा विकास के कारण वे शेष भारत से एकात्म होते जायेंगे। उनकी यह योग्यता तथा नए क्षेत्र में उनका पदार्पण पूर्वोत्तर तथा शेष भारत के बीच की दीवार को तोडने में सहायक होगा। हमें वह शिक्षा पद्धति अपनानी है जिससे चरित्र का निर्माण हो, कुशाग्रता बढे तथा मतिष्क शक्तिशाली बने, जिसमें युवा अपने पैरों पर खडे हो सकें। पूर्वोत्तर के युवाओं को ग्रामों से लेकर शहर तक शिक्षा हेतु एक मंच देना होगा जहां उपरोक्त कथन के अनुसार शिक्षा प्रदान की जा सके। जो उनके गुणात्मक विकास के साथ चारित्रिक एवं शारीरिक विकास की आवश्यकता में भी अपनी भूमिका निभाए। जिसके लिए आवश्यक है-

1)सदगुणी एवं योग्य शिक्षक,
2)सरकारी सम्बद्धता,
3)शिक्षकों के ज्ञान का लगातार अवलोकन होना
4)गरीबी ऊन्मूलन
5)केवल अनाज न देकर उन्हें जीवन जीने के लिए आवश्यक धन कमाने का अवसर प्रदान करना।
6)एच.आई.व्ही/एड्स/तथा मलेरिया ऊन्मुलन-

इसके लिए जन जागरण का काम तथा उपायों की जानकारी देने का काम युवा फेसबुक ट्वीटर जैसे सोशल मिडिया पर कर सकते है।
कृषि तथा जंगल-

जैविक खेती,टीश्यु कल्चर लेबोरेटरी से योग्य पदार्थ प्राप्त करने हेतु, सुरक्षित वनों एवंनेशनल पार्क के सुरक्षा हेतु,अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे प्राणीयों तथा वनस्पतियों को नई तकनीक के साथ सुरक्षा प्रदान करने हेतु प्रोत्साहन देना।
विकास- स्वतंत्रता के छह दशकों के बाद भी पूर्वोत्तर में कई प्रदेशों तक रेल की सुविधा नही है,न ही अंतिम ग्राम तक सडक मार्ग ही है। जबकि हमारे पडोसी देशों ने उनके मार्ग पर आने वाले हायवे और बुलेट ट्रेन की तथा 24 घंटे पानी की सुविधा दे रखी है। कम से कम हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को तो ध्यान में रखकर ये सुविधा प्रदान की ही जानी चाहिए। युवा वर्ग में राष्ट्रीयता का भाव उत्पन्न कर सीमा की सुरक्षा के लिए उनका उपयोग हो सकता है। पर्यावरण की मर्यादा ओं को ध्यान में रखते हुए छोटे हाइड्रो प्रोजेक्टस स्थानीय संसाधनों को प्रोत्साहन तथा नई तकनीक के साथ परंपरागत खेती के द्वारा समर्थ ग्रामीण विकास पर जोर देकर विकास के इस क्षेत्र पर काम किया जा सकता है। युवा अपने कौशल्य के द्वारा जूट तथा बाम्बू के फर्नीचर, केन के फर्नीचर सिल्क आदि से सम्बंधित क्षेत्र में स्वयं का उद्योग लगा सकते हैं। पूर्वोत्तर के युवकों में खेल के प्रति स्वाभाविक लगाव है। फुटबॉल, वॉलीबॉल, बॉग्सींग, तैराकी, तीरंदाजी, खेल आदि यहां बहुत लोकप्रिय हैं। युवकों को खेल के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया गया तो वे पूरे देश का नाम रोशन कर सकते हैं।

कला संस्कृति तथा धर्म

पूर्वोत्तर ने भूपेंद्र हाजरिका कलाकार देश को दिये है। हार्नबेल त्यौहार, बिहू , रासलीला, होली त्योहार, डोनीपोलो आदि पूर्वोत्तर की परस्परागत कला एवं संस्कृति के संग है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हुई है। पूर्वोत्तर का मार्शल आर्ट स्वसुरक्षा का महत्वपूर्ण साधन है।

भारत के पुननिर्माण में तथा उसे विश्व गुरू केरूप स्थापित करने के लिए शेष भारत के लोगों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर किसी भी चुनौती को स्वीकार करने के लिए पूर्वोत्तर युवा तैयार हैं।

अब समय आ गया है जब भारत अपने महान भविष्य की ओर अग्रसर हो रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि यह बात यहां के नौजवानों तक पहुंचे। वे तैयार रहें तथा भारत माता की सुयोग्य संतान बने। ये युवा ही नये विश्व का निर्माण करेंगे।

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