क्यों हटाए गये मोदी मंत्रिमंडल के यह पांच मंत्री?

क्यों हटाए गये मोदी मंत्रिमंडल के यह पांच मंत्री?

मोदी कैबिनेट में एक साथ 43 मंत्रियों ने शपथ लेने के साथ एक नया कीर्तिमान हासिल कर लिया दरअसल यह अभी तक का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल विस्तार बताया जा रहा है। करीब अब तक की सभी सरकारों में इतने बड़े स्तर पर मंत्रिमंडल विस्तार नहीं देखा गया था। बुधवार शाम को एक साथ 43 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण किया और इन सभी को मंत्री बनाने के लिए 12 लोगों को अपने मंत्री पद से हाथ भी धोना पड़ा। वह कहावत हैं ना कि बिना कुर्बानी दिए कुछ भी हासिल नहीं होता है और वह कहावत यहां भी चरितार्थ होती नजर आयी। किसी भी मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान ऐसे नजारे देखने को मिलते है सरकार काम और राजनीतिक जरूरत के अनुरूप किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल या निष्कासित करती है मोदी मंत्रिमंडल में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला लेकिन अगर कुछ अलग लगा तो वह था रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल, संतोष गंगवार और प्रकाश जावड़ेकर का इस्तीफा जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। यह तीनों नेता सरकार और मोदी के करीबी माने जाते हैं और इनके पास जरुरी मंत्रालय भी दिया गया था अगर काम की बात करें तो उसे भी खराब नहीं कहा जा सकता है अगर वह बहुत अच्छा नहीं था तो खराब भी नहीं था। हालांकि उन्हें हटाने के लिए भी सरकार के पास जरूरी कारण होगा बस वह जनता तक नहीं पहुंचा इसलिए सभी को यह खटक रहा है।
रविशंकर प्रसाद
रविशंकर प्रसाद
रविशंकर प्रसाद

मंत्रिमंडल में प्रमुख स्थान रखने वाले रविशंकर प्रसाद को भी इस्तीफा देना पड़ा हालांकि इस्तीफे को लेकर वजह तो साफ नहीं है लेकिन कहीं ना कहीं ट्विटर विवाद को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। ट्विटर और सरकार के बीच जारी जंग को लेकर रविशंकर प्रसाद के कई बयान मीडिया में थे जिसे लेकर सरकार की कहीं कहीं पर आलोचना भी हुई। भारत सरकार के डेटा प्रोटेक्शन लॉ को लेकर भी तमाम बातें हो रही थी और कुछ लोग ऐसे लॉ पर भी सवाल उठा रहे थे जिससे सरकार की मुसीबत बढ़ती नजर आ रही थी। 
 
हर्षवर्धन
हर्षवर्धन

हर्षवर्धन

अभी तक देश के स्वास्थ्य मंत्री  रहे हर्षवर्धन के इस्तीफे को लेकर तो यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि कोविड की दूसरी लहर से देश में बड़ा नुकसान देखने को मिला और हर्षवर्धन के बाहर जाने की वजह भी वही है हालांकि कोविड को लेकर जो स्थिति थी उस समय नियंत्रण करना किसी के भी हाथ में नहीं था। यह एक ऐसी आपदा थी जिसे नियंत्रित करने में समय लगेगा। देश की महाशक्ति अमेरिका भी इसके आगे झुक गयी और देखते  ही देखते वहां पर भी लाखों लोगों की जान चली गयी लेकिन सरकार के भी अपने नियम और वसूल है जिसका खामियाजा हर्षवर्धन को उठाना पड़ा। 

प्रकाश जावड़ेकर
प्रकाश जावड़ेकर

प्रकाश जावड़ेकर

जावड़ेकर के पास पर्यावरण मंत्रालय था और उन्हे भी बाहर कर दिया गया। कोविड के दौरान पर्यावरण का महत्व लोगों को ज्यादा समझ में आया क्योंकि जब देश में पूरी तरह से लॉकडाउन लगा था तब पर्यावरण का एक अद्भुत रूप बाहर आया था जो कई लोगों के लिए बहुत ही नया था वहीं दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी ने सभी को पर्यावरण के महत्व को समझा दिया कि पेड़ों की कटाई से इंसान को कितना नुकसान हुआ है। अब अगर पर्यावरण मंत्रालय के काम को देखें तो इस दौरान कुछ खास काम नजर नहीं आया है। पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर भी 2019 तक के ही काम का विवरण है। उधर पीएम मोदी ने पर्यावरण को लेकर कई योजनाएं बनायी है जिस पर भी शायद काम बहुत ही कम गति से हो रहा है। 

संतोष गंगवार
संतोष गंगवार

 संतोष गंगवार

श्रम मंत्री रहे संतोष गंगवार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को पत्र लिखा था योगी सरकार की नीतियों की खुली आलोचना की थी। मंत्रिमंडल से बाहर होने के लिए यह वजह भी हो सकती है। कोरोना महामारी के दौरान श्रम मंत्रालय का काम भी संतोषजनक नहीं था और मजदूरों के पलायन को लेकर भारत की आलोचना भी हुई थी। 

रमेश पोखरियाल निशंक
रमेश पोखरियाल निशंक

 रमेश पोखरियाल निशंक
भारत की शिक्षा नीति में बदलाव एक बहुत बड़ा फैसला था लेकिन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल इसे उस स्तर पर नहीं पहुंचा सके जहां पीएम मोदी इसे देखना चाहते थे। नई शिक्षा नीति आम जन तक भी शायद नहीं पहुच पायी और लोग यह समझने में असफल रहे कि आखिर क्या कुछ बदला है। उधर मोदी सरकार को वह क्रेडिट भी नहीं दिला सके जिसकी वह हकदार थी शायद यही वजह रही कि उन्हे शिक्षा मंत्री के पद से हटाना पड़ा। 

 
  
 
  

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