तालिबानी कब्जे को लेकर बिगड़े मुस्लिम नेताओं के बोल

अफगानिस्तान में किस तरह की तबाही चल रही है यह पूरी दुनिया से छुपा नहीं है। तालिबानी आतंकवादी क्या कुछ कर रहे है यह सभी को नजर आ रहा है। अफगानिस्तान की जनता देश छोड़ने के लिए हवाई जहाज के टायर तक पर बैठ जा रही है यह सब किसी प्रलय से कम नहीं है लेकिन पाकिस्तान और हिंदुस्तान में बैठे कुछ मुस्लिम नेता इसे तालिबान की विजय बता रहे है। मजहब के नाम पर तालिबान को क्रांतिकारी योद्धा बता रहे है और तालिबान की जीत को एक नई शुरुआत बता कर देश की जनता को गुमराह कर रहे है। 
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तालिबान की तारीफ की और कहा कि जैसे भारत के लोगों ने अंग्रेजो के खिलाफ जंग लड़ी थी वैसे ही तालिबान के लोगों ने भी अपनी आजादी को वापस ले लिया। उन्होंने रूस और अमेरिका को कमजोर बताते हुए कहा कि यह लोग भी तालिबानी योद्धाओं के सामने नहीं टिक सके। शफीकुर्रहमान ने देश के क्रांतिकारी वीरों की तुलना तालिबान के आतंकियों से कर देश के वीरों का अपमान किया। 
ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी तालिबान को लेकर एक विवादित बयान दिया और कहा कि एक निहत्थी कौम ने सबसे मजबूत फौजों को शिकस्त दी और काबुल के महल में वह दाखिल हो गये। उनके दाखिले के अंदाज को पूरी दुनिया ने देखा लेकिन उन्हें इस बात का घमंड नहीं है। नौजवान काबुल की सरजमीं को चूम रहे है। आप से दूर बैठा यह हिन्दी मुसलमान आप के हौसले और जज्बे को सलाम करता है। मौलाना सज्जाद नोमानी ने अपने बयान में कहा कि एक निहत्थी कौम ने यह जीत हासिल की जबकि अफगानिस्तान से आये किसी भी वीडियो में तालिबानी आतंकी बिना भारी हथियार के नजर नहीं आ रहे है। 
 
तालिबान को लेकर जो भी मुस्लिम नेताओं की तरफ से बयान दिये जा रहे है वह पूरी तरह से एक तरफा बयान है और इसके द्वारा इस्लाम की ताकत को बड़ा दिखाने की कोशिश की जा रही है जबकि जिस पर हमला हुआ वह भी मुसलमान थे। भारत में बैठ कर इस तरह से किसी भी आतंकी संगठन को खुलेआम समर्थन देना गलत है और देश के लिए खतरा भी है। अगर कभी देश पर कभी हमला होता है तो ऐसे लोग देश के लिए और भी घातक हो सकते है इसलिए सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।  

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