हिन्दुत्व व राष्ट्र के लिए राजनीति का किया बलिदान- कल्याण सिंह

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे है कि जब उनका निधन हो तब उन्हें भारतीय जनता पार्टी के झंडे में लपेटा जाए। उनकी यह मुराद भी आज पूरी हो रही है। दुनिया को अलविदा कर चुके कल्याण सिंह का आज अंतिम संस्कार हो गया उन्हें तिरंगे के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी का भी ध्वज नसीब हुआ। हालांकि ऐसा बहुत कम लोगों को नसीब होता है जब उनकी आखिरी इच्छा भी पूरी हो सके लेकिन भगवान राम के लिए अपनी राजनीति त्याग करने वाले कल्याण सिंह जी की अंतिम इच्छा पूरी हो गयी। 

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया गया। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित तमाम बीजेपी के नेता घाट पर नजर आए। सभी ने एक स्वर में कल्याण सिंह की तारीफ की और कहा कि वह सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि खुद में एक आंदोलन थे। राम मंदिर निर्माण को लेकर उनका योगदान देश कभी नहीं भूलेगा। उत्तर प्रदेश की जनता के लिए उन्होंने जो योगदान दिया वह भी राजनीति इतिहास में हमेशा जिंदा रहेगा। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को ब्रिटिश भारत में हुआ था।  
 
कल्याण सिंह उस समय चर्चा में आ गये जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराया गया था। देश उस समय दो दलों में बंट गया था एक दल इस कार्य को सही ठहरा रहा था और कल्याण सिंह उनके लिए हीरो थे जबकि दूसरा समुदाय मस्जिद की घटना को गलत बता कल्याण सिंह को विलन बताने में लगा हुआ था। फिलहाल जून 1991 में कल्याण सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली थी लेकिन बाबरी घटना के बाद उन्होने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। 
उत्तर प्रदेश में 1993 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन जनता के मत को दरकिनार करते हुए समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन में सरकार बना ली और मुलायम सिंह को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। कल्याण सिंह ने बतौर विपक्ष नेता की भूमिका निभाई। राज्य के आगामी चुनाव में जनता ने फिर से बीजेपी को मौका दिया और कल्याण सिंह सितंबर 1997 से नवंबर 1999 तक दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनें। 
राजनीति के अपने अंतिम दौर में उन्हे दो राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद उन्हें 4 सितंबर 2014 को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया उसके करीब एक साल बाद जनवरी 2015 को इन्हें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। 21 अगस्त 2021 को लखनऊ में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। 
कल्याण सिंह की छवि एक हिन्दू नेता के तौर पर थी और वह उस पर बहुत अधिक कायम भी थे हालांकि उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। कल्याण सिंह बाल्यकाल से ही स्वंयसेवक थे तो जाहिर है कि इनके खून में ही राष्ट्रप्रेम और हिन्दू प्रेम कूट कूट कर भरा था। शिक्षा पूरी होने के बाद इन्हें अध्यापक की नौकरी मिल गयी लेकिन शायद यह उससे संतुष्ठ नहीं थे क्योंकि इनके दिल में देश प्रेम था और यह उसे बड़े स्तर पर लाना चाहते थे। 1967 में यह जनसंघ के टिकट पर पहली बार विधानसभा पहुंचे और 1980 तक इस सीट पर ही कब्जा जमाए रखा। 
90 के दशक में देश की राजनीति एक अलग ही मोड़ ले रही थी ऐसे में बीजेपी ने कल्याण सिंह को आगे किया और वह उस पर पूरी तरह से खरे उतरे। 30 अक्टूबर 1990 को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलवा दी जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गयी। इस घटना के बाद देश के हालात और खराब हो गये। कल्याण सिंह ने बहुत मेहनत की और 1991 में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी। उसी समय अयोध्या दौरे पर गये कल्याण सिंह ने कसम खाई की अब राम मंदिर बन कर रहेगा। आज उनकी वह कसम पूरी हो रही है। 

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