तालिबानी मानसिकता से ग्रसित हैं जावेद अख्तर!

फिल्म लेखक जावेद अख्तर के बोल एक बार फिर से बिगड़े और उन्होंने तालिबान की तुलना आरएसएस से कर दी हालांकि उनकी इस बदजुबानी की वजह से शिवसेना के मुखपत्र सामना में उनकी कड़ी आचोलना की गई और कहा गया कि आरएसएस की तालिबान से तुलना कभी भी बर्दाश्त नहीं की जायेगी। शिवसेना ने कहा कि अगर आरएसएस तालिबानी मानसिकता से ग्रसित होता तो तीन तलाक कभी भी खत्म नहीं होता और लाखों मुस्लिम महिलाओं को उससे निजात नहीं मिलती।   

जावेद अख्तर का यह बयान कि आरएसएस और तालिबान दोनों ही एक ही मानसिकता से ग्रसित है यह बहुत ही निंदनीय व लाखो स्वयंसेवकों की गरिमा को आघात पहुंचाने वाला है इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि आखिर किस आधार पर जावेद अख्तर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से की, आरएसएस की तरफ से तमाम सेवा कार्य चलते रहते है, बाढ़, भूकंप या फिर देश को युद्ध के दौरान भी आरएसएस की तरफ से मदद की गयी थी जबकि तालिबानी लोगों के शब्दकोष में मदद या सेवा जैसा कोई शब्द ही नहीं है। तालिबानी लोगों ने सिर्फ लोगों की जान ली है और इस्लाम के नाम पर महिलाओं को दबाने का काम किया है।        
हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है जब जावेद अख्तर ने विवादित बयान दिया है इससे पहले भी वह इस तरह के बयान दे चुके हैं खासकर जब भी कोई राष्ट्रविरोधी शक्ति मजबूत होती नजर आती है तो जावेद अख्तर के बयान बदल जाते है। जावेद अख्तर जैसे लोगों द्वारा दिया गया बयान बहुत ही चिंतन करने योग्य है ऐसे लोग देश के लिए दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होते है। जावेद अख्तर ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत एक सेक्युलर देश है लेकिन यहां कुछ लोग आरएसएस व वीएचपी की मानसिकता से ग्रसित है और इनकी आइडियोलॉजी 1930 के नाजी से मिलती है।     

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