इन गिरफ्तारियों ने आतंकवाद के खतरे को फिर सामने लाया

दिल्ली पुलिस द्वारा छह संदिग्ध आतंकवादियों की गिरफ्तारी, उनसे बरामद विस्फोटक व हथियारों तथा अभी तक हुए खुलासे ने फिर यह साबित किया है कि भारत विश्व भर में जिहादी आतंकवादियों के निशाने पर है।  पुलिस ने इन गिरफ्तारियों से कितने हमलों को टाला है या हम सबको कितने आतंकवादी हमलों से बचाया है इसका आकलन वही कर सकते हैं जो आतंकवादी खतरे को उसकी वास्तविकता में गहराई से समझते हैं। गिरफ्तार संदिग्धों के कब्जे से आरडीएक्स, हथगोले, पिस्टल, भारी मात्रा में कारतूस आदि बरामद होने की सूचना है। ये सारी बरामदगी अभी केवल एक जगह प्रयागराज से हुई है। प्रयागराज से गिरफ्तार संदिग्ध आतंकवादी जीशान के पास ये सारे विनाशकारी सामग्रियां मौजूद थी तो उसका उपयोग वह कहां और कैसे करता इस पर विचार करते ही अंदर से खौफ पैदा होता है। वास्तव में इतनी मात्रा में विस्फोटक व हथियार मिलने का अर्थ किसी को बताने की आवश्यकता नहीं ।दिल्ली पुलिस कह रही है कि आरडीएक्स व हथगोले के खेप पाकिस्तान से भारत आए हैं तथा विस्फोटक यहां भी बनाने की कोशिशें हुई हैं।  पुलिस के अनुसार अभी आगामी दिनों में आतंकवादी हमलों के लिए विस्फोटक व हथियार एकत्रित कर उनको चिन्हित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा था।  विस्फोटकों और हथियारों की खेप आगे और भी आने और बनाए जाने थे। अभी तक जितनी जानकारी आई है उसके अनुसार जिन जगहों पर आतंकवादी हमले किए जाने थे उनकी रेकी की जा रही थी। अगर पुलिस का दावा सही  है कि केवल आतंकवादियों के सभी मोड्यूल का पर्दाफाश नहीं हुआ तो और भी आतंकवादी छिपे होंंगे जिनकी आगे  गिरफ्तारियां होंगी तथा उनसे भी नई जानकारियां सामने आएंगी।

जो आतंकवादी गिरफ्तार हुए हैं उनमें जान मोहम्मद उर्फ समीर कालिया मुंबई के सायन इलाके का रहने वाला है। वह ड्राइवर है। उसकी पत्नी ने पुलिस को बताया है कि उसके आतंकवादी होने का कभी संदेह तक नहीं हुआ। मोहल्ले में आसपास के लोग बता रहे हैं कि वह तो पारिवारिक आदमी था। वास्तव में आतंकवादी हमारे आपके बीच ही होते हैं। उनकी कोई अलग पहचान नहीं होती। कब उनको आतंकवादी बना दिया गया या वे  बन गए, कब उन्होंने षड्यंत्र रच कर आपको ही अपना निशाना बना दिया इसका कोई अनुमान नहीं लग सकता है। इनमें जिसे भी देखिए चाहे वह ओसामा ऊर्फ सानी हो मूलचंद उर्फ साजू उर्फ लाला हो, जीशान कमर,  मोहम्मद अबू बकर और मोहम्मद आमिर जावेद इन सबके बारे में कोई नहीं कह सकता था कि ये आतंकवादी होंगे। इनमें से चार उत्तर प्रदेश का और एक दिल्ली का है।  आप इनके मोहल्ले में चले जाइए आपको उसी प्रकार की जानकारी मिलेगी जो हमें समीर कालिया के बारे में मिली है। हालांकि छानबीन से पता चला है कि समीर कालिया का संबंध अंडरवर्ल्ड से हो गया था । इसमें पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम की भी भूमिका पुलिस बता रही है। इसके अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अनीस इब्राहिम को भारत में फिर से विस्फोट कराने की जिम्मेवारी दी है और वह इनके संपर्क में था।  उसी ने समीर कालिया को निश्चित जगहों पर आईआईडी यानी विस्फोटक, हथियार, हथगोला आदी भेजने का काम दिया था । इन जगहों के बारे में भी बताया जा रहा है कि ये दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के वो स्थान हैं जहां हमले की योजना बनाई गई थी। हमले की योजना वाले स्थानों की रेकी किए जाने की भी बात पुलिस बता रही है।

इसका सीमा पार का पहलू इस मायने में महत्वपूर्ण है कि दो आतंकवादी ओसामा व जीशान को पाकिस्तान के उसी थाट्टा में प्रशिक्षित किया गया जहां 26 नवंबर 2008 को हमला करने वाले आमिर कसाब सहित अन्य आतंकवादियों को किया गया था। जीशान वहां पहले पहुंचा था लेकिन ओसामा को 22 अप्रैल 2021 को लखनऊ से हवाई जहाज के जरिए मस्कट लाया गया, फिर मस्कट से वह पाकिस्तान पहुंचा जहां  ग्वादर पोर्ट से नाव पर उसे थाट्टा ले जाया गया। कोई कहे कि पुलिस मनगढ़ंत कहानी बता रही है तो यह उसका मत हो सकता है लेकिन इतनी विस्तृत जानकारियां मनगढ़त नहीं हो सकती है। अभी तक पुलिस को इन्होंने यह बताया है कि वे वहां एक फार्म हाउस में रहे जहां तीन पाकिस्तानी उन्हें प्रशिक्षण दे रहे थे। इनमें दो सेना की वर्दी पहनते थे। इन्हें बारूदी सुरंग व अन्य विस्फोटक बनाने, छोटे – बड़े हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। इन्होंने यह भी जानकारी दी है कि वहां और भी 15-16 लोग प्रशिक्षण ले रहे थे जिनमें से ज्यादातर बांग्ला बोलने वाले थे। संभव है वे बांग्लादेशी हों, क्योकि वहां के आतंकवादियों के भी पाकिस्तान में प्रशिक्षित किए जाने का मामला बार-बार सामने आता रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि भारत और दुनिया की आवाज उठाने के बावजूद पाकिस्तान में थाट्टा आतंकवादी ट्रेनिंग सेंटर अभी तक चल रहा है।

यह हमारे, आपके , यहां के नेताओं…. सबके लिए चौकन्ना और सतर्क होने का समय है। आतंकवादी हमारे आपके बीच ही हैं। सीमा पार से उनको आतंकवादी बनाने, उन्हें प्रशिक्षित करने , लक्ष्य देने , संसाधन मुहैया कराने आदि के षड्यंत्र लगातार रचे जा रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के आधिपत्य के बाद जिस तरह पाकिस्तान का वहां वर्चस्व फिर से कायम हुआ है उसमें भारत में आतंकवादी हमलों का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। यद्यपि वर्तमान षडयंत्र उसके पहले का है लेकिन यह आगे और विस्तारित हो सकता है इसका ध्यान भारत के एक-एक व्यक्ति को चाहे वह किसी क्षेत्र में हो रखना चाहिए। इनकी योजना ऐसी जगहों पर हमला करने की थी जहां जान और माल दोनों की ज्यादा क्षति हो सकती है। ये धार्मिक उत्सवों, चुनावी रैलियों तथा शहरों के स्थानीय लोगों को निशाना बनाने की योजना पर काम कर रहे थे। यह भी पता चला है कि ओसामा और जीशान ने यहां आकर स्वयं भी विस्फोटक बनाने में सफलता पाई थी। इसका अर्थ यह भी हुआ कि अगर उनको विस्फोटक वहां से नहीं मिलता तब भी वे छोटे-मोटे विस्फोट करा सकते थे। यद्यपि इसकी मात्रा ज्यादा नहीं है लेकिन आगे यह ज्यादा भी हो सकता था। हम सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल ही नहीं वहां के अनेक राजनीतिक, धार्मिक नेता आतंकवादियों के निशाने पर हैं।  इन लोगों की पूछताछ से फिर एक बार इसकी पुष्टि हुई है। आगामी चुनाव को ध्यान में रखें तो खतरा कितना बड़ा हो सकता है इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है। अगर ये चुनावी रैलियों को निशाना बनाने का षड्यंत्र रच रहे थे और दूसरे मॉड्यूल भी हैं तो फिर खतरा बहुत बड़ा है। आने वाले समय में नवरात्र का उत्सव देश भर में मनाया जाएगा। उस समय सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की आवश्यकता नए सिरे से इन आतंकवादियों की गिरफ्तारी ने उत्पन्न कर दी है।

उत्तर प्रदेश के लिए इसमें विशेष सीख इसलिए है क्योंकि वहां जब भी आतंकवादियों को गिरफ्तारियां होती है राजनीतिक विवाद तूल पकड़ने लगता है। अपनी नासमझी, गैर जानकारी और  एक समुदाय का वोट पाने की दूरदर्शी राजनीति के कारण नेता उस समुदाय को तुष्ट करने के लिए गिरफ्तारियों का विरोध करते हैं। अगर आतंकवाद के षड्यंत्र के आरोप में गिरफ्तार लोग एक ही समुदाय के हैं तो इसका यह अर्थ नहीं कि वे सारे निर्दोष हैं और कोई सरकार जानबूझकर उनको गिरफ्तार करा रही है। आखिर पुलिस ने अभी तक इत लोगों को ही क्यों गिरफ्तार किया है ? यह ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर उत्तर प्रदेश के राजनेताओं को अपने आप से पूछना चाहिए। आतंकवादी अपने समुदाय के भी दुशमन हैं। क्या आतंकवादी हमलों में उस समुदाय के लोग नहीं मारे जाते?  यही बात महाराष्ट्र के साथ लागू होती है जहां शिवसेना के नेतृत्व में सरकार गठित होने के बाद उसकी आतंकवाद को लेकर भी भाषा बदल गई है। वहां पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को अत्यंत कठिन स्थिति में काम करना पड़ रहा है। सत्ता की दलीय राजनीति अपनी जगह है लेकिन आतंकवाद के विरुद्ध पूरे देश को एकजुट होना चाहिए।

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