लखीमपुर: क्या किसानों पर सच में चढ़ाई गयी कार?

किसानों का आंदोलन दिल्ली से चलकर उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुका है और उत्तर प्रदेश में इसका एक भयानक रूप देखने को मिला जिसने अभी तक 9 लोगों की जान ले ली है। देश में इससे पहले भी किसानों के आंदोलन हुए हैं लेकिन ऐसा आंदोलन शायद यह पहला होगा जिसमें मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। अब शायद कह कहना भी गलत नहीं होगा कि यह आंदोलन किसानों का है, यह किसान के नाम पर राजनीतिक दलों का आंदोलन है जिसके द्वारा केंद्र सरकार को निशाना बनाए जाने की कोशिश की जा रही है। आगामी समय में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले है इसलिए इसे अब यूपी की तरफ मोड़ा जा रहा है जबकि दिल्ली के बगल के राज्य राजस्थान में इसकी हवा नहीं है।

लखीमपुर में हुई हिंसा की वजह से पूरे उत्तर प्रदेश के हालात गर्म हो चुके हैं ऐसे में राज्य सरकार किसी भी तरह से रिस्क बढ़ाना नहीं चाहती है। उधर गृह मंत्रालय भी इस तरह की घटना से चिंतित है और मामले को जल्द से जल्द काबू में करने की कोशिश में लगा हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि 6 अक्टूबर तक सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त करनी होगी जिसके लिए रैपिड एक्शन फोर्स (RAF), सीमा सुरक्षा बल (SSB) की दो कंपनियों जबकि सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की चार कंपनियों को घटना वाले इलाके में तैनात किया गया है। हालात को देखते हुए पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है जिससे फिर से किसी अप्रिय घटना को अंजाम ना दिया जा सके। अब तक कुल 9 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें एक पत्रकार भी शामिल है।

किसान आंदोलन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जहां कोर्ट ने किसानों के वेश में मौजूद नेताओं को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि जब यह मामला कोर्ट में है तो फिर इस पर विरोध प्रदर्शन कैसे हो सकता है। केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान बिल के अमल पर रोक लगा दी गयी है जिससे यह साफ होता है कि नये बिल अभी लागू नहीं होंगे फिर किसान क्यों विरोध कर रहे हैं? कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का भी परीक्षण करेगा कि जब कोई मामला कोर्ट में लंबित है तो क्या उस विषय पर आंदोलन किया जा सकता है? कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को करेगी।

दरअसल लखीमपुर में भी किसानों का आंदोलन जारी था इसी दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेना के बेटे आशीष मिश्रा ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी जिसमें 4 किसानों की मौत हो गयी। इस घटना के बाद से पूरे देश के किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है और वह आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं जबकि आशीष मिश्रा की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि जिस समय यह घटना हुई वह गाड़ी में नहीं थे। अभी तक इस घटना का कोई चश्मदीद नहीं मिला है जो यह बता सके कि घटना के समय मंत्री जी के सुपुत्र कार में थे या नहीं लेकिन अगर ऐसा कुछ हुआ है तो वह गलत है और इसके लिए मृतक किसानों को सरकार की तरफ से मुआवजा मिलना चाहिए।

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