देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनता किसान आंदोलन!

केंद्र सरकार के नए कृषि आंदोलन पर चर्चा तो बहुत हो चुकी है जिसके बाद इन कानूनों फायदे और नुकसान दोनों ही सामने आ चुके हैं। वैसे हर सिक्के के दो पहलू होते ही हैं वह चाहे कोई भी कानून रहा हो उसका फायदा और नुकसान दोनों होता है। किसानों के लिए बने इस नये कानून के फायदे ज्यादा नजर आ रहे हैं लेकिन फिर भी कुछ किसान संगठनों की तरफ से अभी भी विरोध जारी है और यह दलील दी जा रही है कि किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल कर दिया जायेगा जबकि केंद्र सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कॉरपोरेट वर्ल्ड कभी भी किसानों की जमीन नहीं ले सकता है वह सिर्फ खेती कर सकता है। 
 
देश में खेती आज भी परंपरागत तरीके से होती है इसमें कुछ ज्यादा सुधार नहीं देखने को मिला है। अभी तक की जितनी सरकारें थी उन्होंने खेती पर बहुत अधिक ध्यान भी नहीं दिया जिससे किसान की आमदनी में कोई खास बदलाव नहीं हुआ नतीजा लोग खेती से दूरी बनाते चले गये जबकि आज भी जीडीपी का करीब 17 हिस्सा कृषि पर आधारित है। खेती एक घाटे का सौदा रहा इसलिए लोग गांव से पलायन होने लगे और शहरीकरण तेजी से बढ़ता गया। अगर आप पिछले 20 साल के अनाज के दामों पर नजर डालें तो इसकी कीमत शहर में बढ़ी है लेकिन गांव में किसान जब अनाज बेचता है तो उसे कभी कभी एमएसपी से भी कम कीमत पर सौदा करना पड़ता है। किसान को बाजार की मांग का पता नहीं होता इसलिए ऐसा होता है कि वह जो अनाज लगाता है वह बहुत ही सस्ता देना पड़ता है क्योंकि बाजार में वह अनाज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। यह अटल सच्चाई है कि बिना अनाज किसी का पेट नहीं भरने वाला है मशीन और कंपनी पैसा दे सकती है लेकिन अनाज सिर्फ किसान दे सकता है इसलिए किसानों का सुधार बहुत जरुरी हो गया है। 
 
किसी बड़े बदलाव के पहले सभी का भरोसा जीतना जरुरी होता है अन्यथा विरोध से सुर अधिक होने लगते हैं और फिर विरोधी ताकतें तेजी से बढ़ने लगती हैं ऐसा ही कुछ कृषि कानूनों में नजर आ रहा है। कृषि कानून पर सरकार और राष्ट्र विरोधी ताकतें तेजी से एक होने लगी जो अब राष्ट्र के लिए खतरा भी हो सकती है। देश के दुश्मन पूरी तरह से मौके की ताक में बैठे हैं अगर उन्हें मौका मिला तो वह देश का नुकसान करने से पीछे नहीं हटेंगे और किसान आंदोलन जितना अधिक लंबा चलेगा उन्हें मौके मिलने के अवसर उतने अधिक हो जायेंगे। इसलिए किसी भी हाल में यह किसान आंदोलन खत्म होना चाहिए। जानकारों की मानें तो तमाम तरह के स्लीपर सेल एक्टिव भी हो चुके है जो किसी अप्रिय घटना को अंजाम देने की तैयारी में हैं। 
 
किसान आंदोलन अब देश के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है इससे पहले भी किसान आंदोलन हुए थे और उनका समाधान ना होने पर नक्सल जैसी समस्या पैदा हो गयी जिसका खामियाजा देश आज भी भुगत रहा है। आतंकी और नक्सलवादी ऐसे किसी मौके की तलाश में रहते है कि सरकार के खिलाफ आंदोलन हो और वह भी उसका हिस्सा बन लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें। जिसके बाद वह युवाओं को अपने साथ मिलाने का प्रयास करते है और फिर देश में आंतरिक कलह बढ़ने लगता है। आतंकी संगठन ऐसे स्थानीय लोगों को अपना मोहरा बनाते है और चंद पैसो में अपना काम करवा लेते है। पुलिस की नजर में अगर वह व्यक्ति आता भी है तो यह गुनाह उसके सर पर जाता है जबकि आतंकी आसानी से बच जाते है। 
 
 
देश का करीब हर नागरिक किसान परिवार से ताल्लुख रखता है और ज्यादातर लोगों ने खेती भी जरुर की है उसके बाद वह कोई अफसर बने या फिर देश के लिए सीमा पर चले गये। किसान और सरकार के बीच एक रिश्ता होता है जो बर्षों से चला आ रहा है थोड़ा खट्टा मीठा जरुर होता है लेकिन दुश्मनी नहीं होती है। वर्तमान में जो किसान आंदोलन चल रहा है वह किसान और सरकार के बीच एक खाई बना रहा है और यह हर दिन बड़ी होती जा रही है जिसे समय रहते खत्म नहीं किया गया तो बाद में देश मुश्किल में आ जाएगा और देश विरोधी तत्व ऐसे ही किसी मौके की तलाश में घूमते रहते हैं। इस समय देश के नागरिक को देश के सिपाही के तौर पर काम करना चाहिए। हर नागरिक बिना वर्दी वाला सिपाही होता है और वह देश को बचाने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसिलए देश से सभी जिम्मेदार व्यक्ति को आगे आना चाहिए और इस समस्या को जल्द से जल्द खत्म करना चाहिए।

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