भारत ने रचा ‘वैक्सीन इतिहास’

भारत के कई इलाकों विशेषतः गांवों में अभी भी अधिकांश लोग टीका लगवाने के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। आज ऐसे लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को बताने की जरूरत है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है इससे मृत्यु नहीं बल्कि होने वाली मौत से बचा जा सकता है और केवल कुछ ही लोगों में एक-दो दिन हल्के-फुल्के बुखार के अलावा कोई अन्य समस्या नहीं होगी।

अक्टूबर, 2021 बृहस्पतिवार का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ है। कोविड-19 वैश्विक महामारी ने न केवल भारत बल्कि दुनिया के सभी देशों में कहर बरपाया था। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान यानी एनआईवी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन की भारत में प्रथम खुराक की शुरुआत 16 जनवरी, 2021 में की गई थी। इसके अलावा भारत सरकार ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित और भारत के पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित कोवीशील्ड नामक वैक्सीन को भी अपने वैक्सीन कार्यक्रम में सम्मिलित किया है।

भारत सरकार ने सर्वप्रथम कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने में जुड़े चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, अस्पताल के सफाई कर्मियों, एंबुलेंस चालकों, आदि को प्रतिरक्षित करने का बीड़ा उठाया। साथ ही साथ 60 साल से अधिक आयु के वृद्धों को कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरक्षित करने का कार्यक्रम चलाया। इससे पहले भारत में सार्वजनिक प्रत्यक्षीकरण कार्यक्रम में शिशुओं और बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया था पर वयस्कों के लिए कभी भी व्यापक सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम संचालित नहीं किया गया था। अप्रैल-मई, 2021 के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन बड़ी संख्या में मौतें दर्ज की जा रही थीं। उस दौरान भी भारत सरकार ने अपने हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और उससे जुड़े अन्य सहयोगियों की मदद से इस टीकाकरण अभियान को जारी रखा।

भारत में वैक्सीन को लेकर जागरूकता

शुरुआत में कोवैक्सिन और कोवीशील्ड नामक वैक्सीनों की उपलब्धता सीमित थी, परंतु भारत में वैक्सीन की 1 बिलियन खुराकों से प्रतिरक्षित करने को संभव बनाने में भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट नामक वैक्सीन निर्माताओं द्वारा निर्बाध रूप से वैक्सीन की सप्लाई करने की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। इन दोनों वैक्सीन निर्माता कंपनियों की सूझबूझ और त्वरित गति से वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया अपनाने के परिणामस्वरूप भारत को दूसरे देशों से वैक्सीन की आपूर्ति का इंतजार नहीं करना पड़ा। यही कारण था कि मई की शुरुआत में जब कोविड-19 की दूसरी लहर चरम पर थी तब भारत सरकार ने टीकाकरण की प्राथमिकता में 18 वर्ष से अधिक सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को सम्मिलित किया।

हालांकि, वैक्सीन की आपूर्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है परंतु इस वर्ष के अंत तक भारत के प्रत्येक व्यक्ति को कोविड-19 के विरुद्ध वैक्सीन देने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए टीकाकरण अभियान में और तेजी लाने की आवश्यकता है। जहां 75% पात्र वयस्कों को वैक्सीन की प्रथम खुराक दी जा चुकी है वहीं वैक्सीन की दोनों खुराक से प्रतिरक्षित वयस्कों की संख्या केवल 31% है। चूंकि, सुरक्षा स्तर को बढ़ाने के लिए वैक्सीन की दोनों खुराकों से प्रतिरक्षित होना जरूरी है, इसलिए वैक्सीन की दूसरी खुराक देने की प्रक्रिया तेज करने की दिशा में प्रयासों की अधिक आवश्यकता है। चीन में सितंबर माह में ही वैक्सीन की 2.2 बिलियन खुराक दी जा चुकी हैं और 75% से अधिक पात्र आबादी का पूरी तरह से यानी दोनों खुराकों के साथ टीकाकरण किया जा चुका है। भारत को कोविड-19 के विरुद्ध 100 करोड़ खुराक देने के लिए इन वैक्सीनों के निर्यात को बंद करना पड़ा। हालांकि, निर्यात बंद करने के लगभग 6 महीनों बाद दिनांक 14 अक्टूबर, 2021 को भारत ने 4 देशों को इन वैक्सीनों के निर्यात की शुरुआत कर दी है।

भविष्य में इन वैक्सीनों का निर्यात उनके उत्पादन और मांग पर निर्भर करेगा। विश्व में वैक्सीन आपूर्ति के लिए भारत की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए वैक्सीन निर्माण में तेजी लाना जरूरी होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव के कुशल मार्गदर्शन में आईसीएमआर के पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बहुत ही कम समय में कोरोना वायरस के विरुद्ध वैक्सीन को विकसित किया जो न केवल आईसीएमआर बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। आईसीएमआर की इस उपलब्धि ने भारत को विश्व के चिकित्सा विज्ञान जगत में अग्रिम पंक्ति में ला दिया है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने दिनांक 22 अक्टूबर, 2021 को दूरदर्शन पर दिए अपने संदेश में भारत में कोविड-19 की वैक्सीन की 1 बिलियन खुराक के आंकड़े तक पहुंचने के लिए वैक्सीन निर्माता कंपनियों, भारत के वैज्ञानिकों, पैरामेडिकल कर्मियों, वैक्सीन की आपूर्ति सुलभ करने वाले सहयोगियों तथा टीकाकरण अभियान से जुड़े सभी कर्मियों को धन्यवाद दिया है। भारत की इस महान उपलब्धि पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने भी बधाई दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया कार्यालय की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल ने भारत की प्रतिबद्धता और प्रयासों की सराहना करते हुए इन जीवनरक्षक वैक्सीनों को विश्व स्तर पर उपलब्ध कराने की सराहना की है।

टीकाकरण अभियान से जुड़ी भ्रांतियां

जहां एक ओर कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण केंद्रों में लोगों की लंबी कतारें लग गईं वही देश के कई हिस्सों में और कई वर्ग के लोगों ने इस टीकाकरण अभियान के विरुद्ध तरह-तरह की भ्रांतियां पाल ली हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वैक्सीन लगाने से उत्पन्न स्थितियों से उनकी असामयिक मृत्यु हो जाएगी, लोगों में नपुंसकता हो जाएगी, शरीर कमजोर पड़ जाएगा, आदि। भारत के कई इलाकों विशेषता गांवों में अभी भी अधिकांश लोग टीका लगवाने के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। आज ऐसे लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को बताने की जरूरत है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है इससे मृत्यु नहीं बल्कि होने वाली मौत से बचा जा सकता है और केवल कुछ ही लोगों में एक-दो दिन हल्के-फुल्के बुखार के अलावा कोई अन्य समस्या नहीं होगी। उन्हें यह भी प्रेरित किया जाए कि वे स्वयं टीका लगवाने के बाद अन्य लोगों को भी इससे होने वाले फायदों के बारे में बताएं व जागरूकता फैलाएं और भारत सरकार के इस व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दें।

लोगों के मन से डर निकालने के लिए यह भी बताने की आवश्यकता है कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री महोदय, माननीय स्वास्थ्य मंत्री महोदय जैसे अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भी स्वयं कोरोनावायरस से बचने का टीका लगवाया है। लोगों को प्रेरित करने के लिए इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है? कुछ लोगों का कहना है कि वे पूर्णतया स्वस्थ हैं, अतः, उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हो सकता, यह धारणा बिल्कुल गलत है। कोरोना वायरस किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है चाहे वह अस्वस्थ हो या पूरी तरह स्वस्थ। हा, ऐसे लोगों को कोरोनावायरस से संक्रमित होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है जिनमें प्रतिरक्षा शक्ति की कमी हो और वह पहले से ही मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, कैंसर, आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हों।

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