दिसम्बर उपभोक्ता दिवस पर विशेष जागरूक उपभोक्ता बनें

एक उपभोक्ता के तौर पर यह जरूरी है कि हम अपने अधिकारों       और जिम्मेदारियों को समझें। हमें अपने हितों के प्रति उत्साही और चौकन्ना रहना चाहिए। यदि हम ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और उत्साही नहीं हैं तो उपभोक्ता अदालत हमारी मदद नहीं करेंगे।

ध्यान रखें कि जब भी हम कोई सामान या सेवा शुल्क देकर खरीदते हैं तो हम उपभोक्ता होते हैं। समाज में रहने वाला हर व्यक्ति किसी न किसी सामान या सेवा का उपभोक्ता होता है। ग्राहक के तौर पर जब एक आम आदमी बाजार में जाता है तो प्राय: वह खुद को असहाय पाता है। उसे लगता है कि उसके हक में कोई नियम-कानून है ही नहीं। वह सोचता है कि जो बात दुकानदार बोले वही कानून है, जब कि वस्तुस्थिति यह है कि अब उपभोक्ता राजा है। उनके हितों की रक्षा के लिए दर्जनों कानून बनाए गए हैं। यदि वह समुचित सावधानी बरतें और अपने अधिकारों का उपयोग करने लगें तो सेवा और माल बेचने वालों की मनमानी काफी हद तक रूक सकती है।

यदि हम कोई सामान खरीदते हैं तो हमारी शिकायतें उनकी गुणवत्ता, मूल्य, माप, वजन, तथा बिक्री बाद की सेवाओं के सम्बंध में होती हैं। इसी तरह यदि हम किसी सेवा के उपभोक्ता हैं तो हमारी शिकायतें सेवा की गुणवत्ता, कीमत तथा शिष्टाचार से सम्बंधित होती हैं। आम तौर पर एक उपभोक्ता के नाते पर हम लोग काफी सहनशील बन गए हैं। आर्थिक, शारीरिक तथा मानसिक रूप से परेशानियां उठाने के बाद भी हम शिकायत नहीं करते। ध्यान रखें कि, ग्राहक की चुप्पी तथा उसकी उदासीनता असामाजिक तत्वों की अनुचित व्यापार प्रणालियों को प्रोत्साहित करती हैं। ग्राहक को अपनी शिकायत करने के अधिकार का इस्तेमाल करने में तत्परता दिखानी चाहिए। जब भी आपको अच्छा सामान न मिले, कीमतें बढ़ी-च़ढ़ी हो, माप-तौल में गड़ब़ड़ी हो, वस्तु की शुध्दता में या उसमें मिलावट की शंका हो, यदि आपको हल्का या नकली सामान मिलें यदि आपको अच्छी सेवा सुविधा न मिले तो शिकायत जरूर कीजिए।

जब भी आप कोई सामान खरीदते हैं तो सही वजन पर जोर दें। संदेह होने पर वजन और माप करने के उपकरणों के प्रमाणीकरण स्टैंप की जांच करें। धोखाखड़ी रोकने के लिए अपने घर आकर अपने किचन तराजू पर वजन करें। कम वजन और माप सम्बंधित शिकायत आप अपने राज्य या शहर के विधिक माप पध्दति नियंत्रक से करें। अपनी शिकायत की प्रति निदेशक विधिक माप पध्दति नई दिल्ली को भी भेजें। इसका पता है –

निदेशक,

विधिक मान पध्दति निदेशालय,

खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय,

१२-ए, जामनगर हाऊस, अकबर लेन,

नई दिल्ली – ११० ०११.

खाद्य पदार्थ खरीदते समय जहां तक संभव हो डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ ही खरीदें। डिब्बाबंद जो भी सामान खरीदें उस पर उत्पादक का नाम और पता, सामान की शिनाख्त करने वाला ट्रेड मार्क, शुध्द मात्रा, मूल्य, उत्पादन की तारीख आदि बातें लिखी होनी चाहिए।

आई एस आई, एगमार्क या एफपीओ मार्क आदि वस्तुओं की गुणवत्ता प्रमाणित करते हैं। ज्यादा अच्छा होगा कि ग्राहक ऐसी ही वस्तुएं खरीदें जिन पर कि इस तरह के चिह्न अंकित किए गए हों।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप जब भी कोई सामान खरीदें बिल लेना न भूलें। बिल के अभाव में किसी भी तरह का विवाद होने पर आप यह साबित नहीं कर पाएंगे कि अपने किस दुकान से और किस कीमत पर सामान खरीदा था। दुकानदार तो साफ-साफ कह देगा कि आपने उसके यहां से सामान खरीदा ही नहीं था। यदि दुकानदार बिल नहीं देता है तो आपको परिस्थितिजन्य साक्ष्य का सहारा लेना पड़ेगा। जैसे कि आप दुकान में कुछ प्रतिष्ठित लोगों के साथ जाकर सामान खरीदकर बिल की मांग कर सकते हैं। दुकानदार द्वारा बिल देने से इन्कार करने पर आप दुकान से बाहर निकल कर घटना के इस विवरण को कागज पर लिखें। यह विवरण अदालत में साक्ष्य के तौर पर पेश किया जा सकता है।

यदि खरीदे गए सामान में कोई गड़बड़ी है तो दुकानदार से तत्काल लिखित शिकायत करें। शिकायत सुस्पष्ट और शिष्ट भाषा में हो। अनावश्यक कठोर शब्दों का प्रयोग करने से बचें। शिकायत दुकानदार को हाथ से लिख कर दे सकते हैं। वैसे यदि टाइप करवा कर दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इस शिकायत की एक प्रति किसी स्थानीय उपभोक्ता संगठन को भी भेजें। शिकायत के साथ बिल की  प्रति (फोटोकॉपी) भी जोड़ें। ध्यान रहे कि बिल की मूल प्रति अपने पास सुरक्षित रखें। अदालत में सुनवाई के समय मूल प्रति की जरूरत पड़ सकती है।

शिकायत की प्रति दुकानदार को देने के बाद उससे एकनॉलेजमेंट जरूर ले लें। यदि वह एकनॉलेजमेंट नहीं देता है तो अपनी शिकायत ई-मेल या रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजें। इस शिकायत के बाद आप जब भी दुकानदार से पत्र-व्यवहार करतें हैं तो संदर्भ के तौर पर मूल शिकायत की प्रति भी भेजें। एक बार शिकायत करने के बाद चुपचाप न बैठ जाएं। यदि आपकी शिकायत उचित है और आप डटे रहेंगे तो आपका कष्ट तो दूर होगा ही साथ-साथ औरों का भी भला होगा।

यह सुनिश्चित करें कि आप सही व्यक्ति या सही संस्था से शिकायत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए यदि आपने कोई सामान खरीदा है और उसमें कोई त्रुटि है तो दुकान के मालिक या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति से शिकयत करें। दुकान में अन्य व्यक्तियों से शिकायत करने या चीखने-चिल्लाने से कोई लाभ नहीं होगा।

यदि सामान खरीदने के बाद आप पाते हैं कि सामान में कोई गड़बड़ है तो पहले उस स्टोर से संपर्क करें जहां से आपने सामान खरीदा है। स्टोर में बिक्री करने वाले व्यक्ति से सामान में त्रुटि के बारे में बताइये। यदि सामान की बिक्री करने वाला व्यक्ति आपकी शिकायत पर ध्यान नहीं देता है तो स्टोर के प्रबंधक से मिलें। सामान के बारे में आपके पास निम्न जानकारियां होनी चाहिए – ब्रांड का नाम, आकार, मॉडल या सूचीपत्र नंबर, सामान की कीमत, खरीद की तारीख। यदि संभव हो तो साथ में नकदी रसीद भी लेकर जाएं।

शांतिपूर्वक स्पष्टता से स्टोर प्रबंधक को बताएं कि सामान में त्रुटि से आपको क्या-क्या कठिनाइयां उठानी पड़ीं। स्टोर मालिक को बताएं कि आप क्या चाहते हैं। त्रुटि ठीक किया जाना, सामान बदल कर दूसरा सामान या पैसे की वापसी। यदि स्टोर प्रबंधक आपकी नकदी वापस नहीं करता है तो आपको खरीदे गए सामान के बदले दूसरा सामान लेने को राजी होना पड़ेगा। स्टोर प्रबंधक आपको उत्पादक से शिकायत करने की सलाह दे सकता है। यदि स्टोर प्रबंधक आपकी शिकायत पर संतोषजनक कार्रवाई नहीं करता है तो आप उत्पादक को लिखें।

अपना पत्र सीधे उत्पादक कंपनी के शीर्ष अधिकारी के नाम लिखें। इससे आपकी शिकायत पर ध्यान दिए जाने की संभावना ज्यादा रहती है। आप उत्पादक कंपनी के प्रबंध निदेशक, चेयरमैन या अध्यक्ष का नाम इंटरनेट या चेम्बर ऑफ कॉमर्स से प्राप्त कर सकते हैं। पत्र में लिखें कि शिकायत किस बारे में है। विवाद का आप क्या समाधान चाहते हैं। विवाद हल किए जाने की समय-सीमा, तथा यदि समय-सीमा के भीतर विवाद हल नहीं किया गया तो आप क्या कार्रवाई करेंगे उसकी ओर संकेत करे। यदि विवाद जटिल है तो लंबे-चौड़े पत्र व्यवहार की जरूरत पड़ेगी। सामान की त्रुटि से आपको जो परेशानियां हुई हैं वह दो टूक शब्दों में लिखें। पत्र में बताएं कि सामान की मरम्मत आदि में आपको कितनी अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ी। मरम्मत के बिल की प्रति भी पत्र के साथ भेजें। स्टोर प्रबंधक को यदि आपने कोई शिकायती पत्र दिया है तो उसकी प्रति भी संलग्न करें। उत्पादक को पत्र हमेशा ई-मेल या रजिस्टर्ड एडी से ही भेजें।

आपके पत्र पर यदि उत्पादक महज क्षमा प्रार्थना करता है या निरर्थक उत्तर देता है तो उसे फिर से पत्र लिखें। इस बार थोड़ा सख्ती से लिखें। इस शिकायत की प्रति उत्पाद से सम्बंधित विभिन्न संगठनों को भी भेजें। उदाहरण के लिए यदि उत्पाद पर आईएसआई मार्क, एफपीओ मार्क या एगमार्क है तो इनसे सम्बंधित अधिकारियों को पत्र लिख कर त्रुटि की ओर उनका भी ध्यान आकर्षित करें।

यदि इन सबसे आपकी समस्या, हल नहीं होती है तो, आप समुचित उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकते हैं। ध्यान रहे कि छोटी-मोटी बातों पर उपभोक्ता अदालत में शिकायत न करें। जब आपकी शिकायत सुस्पष्ट और आवश्यक हो तभी उपभोक्ता अदालत में दस्तक दें। जहां तक संभव हो व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करने के बदले प्रणाली के बारे में शिकायत करें; क्योंकि प्रणाली में सुधार ज्यादा महत्वपूर्ण है। जिससे आपकी शिकायत है उसे अपनी बात स्पष्ट करने का पूरा मौका दें। उसके जवाब से असंतुष्ट होने पर ही उपभोक्ता अदालत में दस्तक दें।

मो. : ९१६७३८३०२५

 

 

 

Leave a Reply