हजारों अनाथ बच्चों की ‘माई’ सिंधुताई सपकाल

एक मां के दो, चार या दस बच्चे हो सकते हैं लेकिन हमें एक ऐसी भी मां मिली जिसके हजारों बच्चे है। उस मां ने उन्हें अपनी कोख से जन्म नहीं दिया था लेकिन वह उनकी असली वाली यशोदा मां थी। वह हमेशा अपने बच्चों का ख्याल रखती और उन्हें कभी भी मां की कमी महसूस नहीं होने देती थी। महाराष्ट्र की रहने वाली सिंधुताई सपकाल ही वह मां थी जिनसे हजारों बच्चों को आसरा दिया था लेकिन दुख इस बात का है कि हजारो बच्चों की यशोदा मां ने अब दुनिया को अलविदा कह दिया। वह काफी समय से बीमार चल रही थी उनका पुणे के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। सिंधुताई के निधन से पूरा देश दुखी है। पीएम मोदी सहित तमाम लोगों ने सिंधुताई के निधन पर दुख प्रकट किया और उनके बच्चों के प्रति प्यार जताया। 

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का 4 जनवरी 2022 को पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में निधन हो गया। करीब एक महीने से उनका इलाज चल रहा था। 73 वर्ष की आयु में उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिससे उनका निधन हो गया। उनकी समाज सेवा के लिए ही उन्हें बीते साल नवंबर 2021 में राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। सिंधुताई के परिश्रम और सेवाभाव के कई लोग कायल हैं। जिस परिस्थिति में उन्होंने सेवा कार्य शुरु किया था वह आम लोगों की सोच से भी परे था क्योंकि जब किसी के पास खुद खाने के लाले पड़े हो तो वह किसी और को खिलाने के बारे में कभी नहीं सोच सकता है लेकिन सिंधुताई ने ऐसा किया और खुद की परवाह किए बिना ही हजारो बच्चों को अपना लिया। 

सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा में एक साधारण परिवार में हुआ था। पारिवारिक स्थिति ठीक ना होने के कारण उनका बहुत ही कम उम्र में विवाह हो गया लेकिन पारिवारिक परिस्थिति ठीक ना होने के कारण उन्हें ससुराल से निकाल दिया गया लेकिन दुख इस बात का रहा कि उनके मायके वालों ने भी उन्हें सहारा नहीं दिया। सिंधुताई 8वीं पास थी और आगे भी पढ़ना चाहती थी लेकिन हालात ने साथ नहीं दिया। हालात बदलते गये और उन्हें भीख तक मांगना पड़ा।

इस दौरान उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया और मां बनने के बाद अनाथ बच्चों का दर्द महसूस करने लगी और यहीं से उनके मन में अनाथ बच्चों के लिए प्यार पैदा हुआ जिसे वह अंतिम समय तक निभाती रही। भीख मांगकर वह अनाथ बच्चों की सेवा करती थी उनके साहस और परिश्रम को देखकर उनकी मदद के लिए लोग आने लगे जिसके बाद एक आश्रम का निर्माण किया गया और अनाथ बच्चों को छत मिल गयी। 

अनाथ बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली सिंधुताई को पूरे देश और विश्व से सम्मान मिलने लगा। बच्चों के पालन पोषण को लेकर उन्हें दर्जनों सम्मान मिले थे। सम्मान में मिली राशि वह अनाथ बच्चों पर खर्च करती थी। ‘मी सिंधुताई सपकाळ’ नाम की मराठी फिल्म भी उनके ऊपर बनी हुई है। नवंबर 2021 को उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। हिंदी विवेक की ओर से सिंधुताई को शत शत नमन। 

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