राष्ट्रीय स्मारक

इंदू मिल की भूमि पर डॉ बाबासहब अम्बेडकर का भव्य राष्ट्रीय       स्मारक बनने वाला है। देश की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदू मिल की सारी जमीन डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर के राष्टर्रीय स्मारक को दी है। यह एक अत्यंत उपयुक्त निर्णय है। अत:सभी को उसका अंत:करण से स्वागत करना चाहिये।

कोई भी देश राष्ट्र कब बनता है? यह एक महत्वपूर्ण तथा गंभीर प्रश्न है। हमारे जैसे सामान्य व्यक्ति उसकी अधिक चर्चा नहीं करते, अत: उसकी थोडी चर्चा करनी आवश्यक है। जब किसी देश के सभी लोगों को बांधकर रखनेवाली एक संस्कृति होती है, एक इतिहास होता है, समाज जीवन मूल्य होते हैं, शत्रु तथा मित्रत्व की समान भावना होती है तथा हम अन्य लोगों सेअलग हैं इसकी लगातार जानकारी होती है तब वह समाज तथा उस भूमि का राष्ट्र बनता है। और जब इन राष्ट्रीय लोगों की सार्वभौम सरकार बनती है तो उसका राष्ट्र-राज्य बनता है?

भारत को एक राष्ट्र करने के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर तक अनेक महापुरुषों ने अपनी ओर से अनेक प्रयत्न किये हैं। संक्षेप में कहा जाये तो स्वामी विवेकानंद ने अपनी सांस्कृतिक और वैचारिक धरोहर को जागृत करने का कार्य किया। महात्मा गांधी जी ने गावों में रहनेवाले सर्वसामान्य नागरिक को देशकार्य के लिये खडा किया। सरदार वल्लभभाई पटेल ने अनेक टुकडों में विभाजित देश को एक किया। तथा डॉ. अम्बेडकर जी ने इस देश को एकत्र बांधकर रखनेवाला संविधान दिया। अत: डॉ. बाबासाहब की गणना राष्ट्र निर्माण करने वाले महापुरुषों में की जाती है।

जैसा कि पहले कहा गया है, अपने देश की संस्कृति एक है, जीवन मूल्य समान हैं, परंपराएं सामान्यत: एक जैसी हैं, शत्रु मित्रत्व की भावना समान है, फिर भी यह देश पहले मुसश्रमान आक्रमणकारियों का गुलाम हुआ, उसके बाद अंग्रजों का गुश्ररम बना। डॉ. अम्बेडकर ने इसका कारण यह बताया कि हमारा धर्म विकृत हुआ और हम हजारों जातिपांति में बंट गए। असृपश्यता जैसी भयानक रूढी निर्माण हुई। डॉ. बाबासाहब बताते हैं कि हर जाति स्वयं को एक राष्ट्र मानती है। अगर हर जाति इस तरह स्वयं को अन्य लोगों से अलग समझने लगे तो यह देश एक कैसे होगा? सभी का मिलकर एक राष्ट्र कैसे बनेगा, इसी की उन्हें चिंता थी।

बाबासाहब केवल विचार करके थमते नहीं थे। उस विचार को प्रत्यक्ष कृति में लाते थे। उनकी सभी लडाइयों का इस दृष्टि से अध्ययन किया जाना चाहिये। इस तरह का अध्ययन करने पर यह ध्यान में आता है कि वे महान अर्थशास्त्री थे, कानून के महान जानकार थे, महान समाजशास्त्री थे, इतिहास के जानकार थे। परंतु उनके सभी चिंतन का केन्द्र बिंदू भारत और भारत की जनता, अर्थात आप हम और हमारी आनेवाली पीढी ही था।

हमें अगर एक राष्ट्र के रूप में खड़ा होना है तो हमें हमारे मन से जाति की भावना को मिटाना होगा। एक दूसरे के प्रति बंधुत्व की भरवना निर्माण करनी होगी, प्रत्येक को उसके गुण और क्षमता के अनुसार विकास करने का अवसर देना चाहिये। हमें अपनी सनातन धर्म परंपरा को किसी भी कीमत पर नहीं छोडना है। भगवान गौतम बुद्ध का बुद्ध धर्म भी सनातन धर्म का ही एक भाग है।

हर देश को राष्ट्रीय स्मारक की नितांत आवश्यकता होती है। रोटी, कपडा, मकान जैसे मनुष्य की आवश्यकता है, उसी तरह राष्ट्र की आवश्यकता तत्वज्ञान, साहित्य, संस्कृति, कला तथा राष्ट्रीय स्मारकों की है। हर देश अपने राष्ट्रीय स्मारकों का जतन करता है। अमेरिका वाशिंगटन और अब्राहम लिंकन के स्मारकों का जतन करता है। इंग्लिश एकता का नमूना बंकिंघम का राजवाडा, पार्ल्यामेंट तथा म्यूजियम है। भारत के राष्ट्रीय एकता का प्रतीक कहलाने वाले अनेक स्मारक भारत में हैं। डॉ. बाबासाहब का स्मारक उसमें एक वृद्धि साबित होगा। इस स्मारक के कारण हमें अपनी सामाजिक एकता की निरंतर याद रहेगी, इसमें शंका नहीं है।

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