व्लादिमीर पुतिन का वार प्लान

हिटलर ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान तत्कालीन सोवियत संघ पर कब्जा करने की नीयत से हमला किया था, लेकिन सोवियत संघ पर हमला करना हिटलर की सबसे बड़ी भूल साबित हुई थी। उस वक्त भी रूसी सेना ने कीव में ही हिटलर की सेना को पराजित किया था और उस वक्त भी रूसी सेना ने कीव में हिटलर की सेना को बुरी तरह से घेर कर मारा था।

रूसी सेना ने यूक्रेन में जिस तरह का ऑपरेशन चलाना शुरू किया है, उसको लेकर यूरोपीय सैन्य सूत्रों ने एशिया टाइम्स को बताया है कि, रूसी राष्ट्रपति पूरे कंट्रोल के साथ अपना सैन्य अभियान चला रहे हैं और अब तक जो बातें कही जा रही थी, कि रूस का यूक्रेन प्लान फेल हो रहा है, असल में लोग पुतिन के प्लान को समझ ही नहीं पाए हैं। यूरोपीय सैन्य खुफिया विश्लेषक ने एशिया टाइम्स से कहा है कि, यूक्रेन में रूसियों को कोई जल्दबाजी नहीं है। यूरोपीय सैन्य सूत्रों का कहना है कि, वे यूक्रेन को एक दो नहीं, बल्कि कई हिस्सों में बांटने वाले हैं और उसके बाद वो यूक्रेनी सेना को या तो सरेंडर करने के लिए कहेंगे, या फिर वो उन्हें मौत की घाट उतार देंगे और राष्ट्रपति पुतिन की यह एक रणनीति है।

यूरोपीय खुफिया सूत्र ने कहा कि, वर्तमान में रूस की सेना ने तीन तरफ से यूक्रेन की घेराबंदी की है और तीन तरफ से यूक्रेन पर हमले किए जा रहे हैं। पहला हमला दक्षिण से किया जा रहा है और रूसी सैनिक मरिउपोल से सैनिकों के साथ मारियुपोल के पश्चिम में रूसी सैनिक आगे बढ़ रहे हैं और यब पूरा क्षेत्र डोनबास का सबसे बड़ा शहर है, जिसकी स्वतंत्रता की घोषणा पिछले हफ्ते ही रूस ने की है।

यूरोपीय खुफिया सैन्य सूत्रों ने बताया है कि, रूसी सेना का एक बड़ा हिस्सा यूक्रेन में पश्चिमी क्षेत्र से घुसे हैं वो काफी तेजी के साथ उत्तर की तरफ बढ़ रहे हैं और ये इलाका मारियुपोल और मायकोलाइवका को जोड़ता है। ये क्षेत्र भी डोनबास का है, जहां रूसी सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल को तोड़ दिया है, जिससे रूस के सैनिक पीछे से यूक्रेन की सेना को घेर लेंगे और इससे यूक्रेन की सेना बहुत हद तक घिर जाएगी। वहीं, पुतिन युद्ध के छठे दिन काफी तेजी से हमले शुरू कर चुके हैं, जिससे राजधानी कीव अब खतरे में है और राजधानी से सिर्फ 24 किलोमीटर की दूरी तक रूसी सेना पहुंच चुकी है। कीव के मेयर 27 फरवरी की देर रात बता चुके हैं कि, कीव को रूसी सैनिकों ने चारों तरफ से घेर रखा है और जब एसोसिएटेड प्रेस ने उनसे नागरिकों को कीव से निकालने पर सवाल पूछा, तो वो जवाब देने में बेबस हो गये थे। उन्होंने कहा है कि,  कीव अभी भी घिरा हुआ है।

गूगल मानचित्र से पता चलता है कि नीपर नदी के पश्चिम की ओर राजधानी में आने और जाने वाले तमाम रास्तों पर रूसी सैनिक मौजूद हैं और बेलारूस की तरफ से भी रूसी सैनिक लगातार दाखिल हो रहे हैं, जिससे यूक्रेन की सेना पर बेलारूस की तरफ से भी आक्रमण हो गया है और यूक्रेन की सेना बेबस नजर आ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि, रूस की कोशिश कम से कम नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की है और यूरोपीय खुफिया सैन्य अधिकारी ने कहा कि, असल में पुतिन आम लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाना चाहते हैं, लिहाजा पुतिन ने अभी तक कीव पर सीधा हमला नहीं किया है और यूक्रेन की सेना से आमने सामने की लड़ाई करने से बच रही है, हालांकि, इस प्लान से खुद रूसी सैनिकों को भारी नुकसान हुआ है और कम से कम पांच हजार रूसी सैनिकों को मारे जाने की खबर है।

आपको बता दें कि, हिटलर भी यहीं पराजित हुआ था। हिटलर ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान तत्कालीन सोवियत संघ पर कब्जा करने की नीयत से हमला किया था, लेकिन सोवियत संघ पर हमला करना हिटलर की सबसे बड़ी भूल साबित हुई थी। उस वक्त भी रूसी सेना ने कीव में ही हिटलर की सेना को पराजित किया था और उस वक्त भी रूसी सेना ने कीव में हिटलर की सेना को बुरी तरह से घेर कर मारा था। साल 1941 में रूस के दक्षिणी मोर्चे पर जर्मनी से आई हिटलर की सेना से रूसी सेना की लड़ाई हुई थी, जिसमें रूसी सेना ने बेहतरीन घेराबंदी की थी और अभी भी रूस की सेना उसी घेराबंदी के रास्ते कीव पर कब्जा करने के इरादे से आगे बढ़ रही है। हालांकि, उस वक्त सात लाख नागरिक मारे गये थे, क्योंकि जर्मनी की सेना ने नागरिकों पर भी हमले किए थे, लेकिन रूस ने कीव में जर्मन सैनिकों को घेर लिया था और फिर उनतक पहुंचने वाली हर सप्लाई को काट दिया था और फिर जर्मन सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर होना पड़ा था और इस बार भी रूस का मकसद यूक्रेनी सैनिकों का सरेंडर ही करवाना है।

अमेरिकी सैटेलाइट कंपनी मैक्सार लैब ने यूक्रेन युद्ध को लेकर कुछ तस्वीरें जारी की हैं। जिसमें दिख रहा है कि, रूस का एक विशालकाय काफिला राजधानी कीव की तरफ बढ़ रहा है और ये काफिला 64 किलोमीटर लंबा है। मैक्सार टेक्नोलॉजीज ने यह भी कहा कि अतिरिक्त जमीनी बलों की तैनाती और जमीन पर हमला करने वाली हेलीकॉप्टर इकाइयां दक्षिणी बेलारूस में देखी गईं, जो यूक्रेन की सीमा से 32 किमी से कम उत्तर में है।

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