श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण प्रगति विवरण

मंदिर की नींव का निर्माण पूरा हो चुका है हम कह सकते है कि मंदिर निर्माण का प्रथम चरण पूरा हो गया है। इस कार्य को करने में लगभग 18 महीने लगे। प्रारम्भ में 6 महीने तक आपास की चर्चा और शोध कार्य हुआ। अंतिम निर्णय होने के बाद इस कार्य को पूरा करने में लगभग एक वर्ष लगा। इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए आई.आई.टी. दिल्ली के भूतपूर्व निदेशक, आई.आई.टी. गुवाहाटी के वर्तमान निदेशक, एन.आई.टी. सूरत के वर्तमान निदेशक, सी.बी.आर. आई. रूड़की के वर्तमान निदेशक और उनकी टीम, लारसन टुबरो तथा टाटा के इंजीनियर, आई.आई.टी. दिल्ली, आई.आई.टी. मद्रास, आई.आई.टी. मुबंई के सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर, हैदारबाद स्थित भारतीय भूगर्भ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक सामूहिक रूप से इस कार्य में लगे।

भूखंड में नीचे मिट्टी नही मिली, अपितु मलबा अथवा नदी की बालू प्राप्त हुई यह मजबूत नींव के लिए उपयुक्त नहीं मानी गयी अतः सम्पूर्ण मलबे को हटाया गया लगभग 6 एकड़ भूमि में गर्भगृह निर्माण होने वाले स्थान पर लगभग 14 मीटर गहराई तक तथा शेष भूमि में 12 मीटर गहराई तक मलबा और बालू को हटाया गया, एक बड़े समुद्र जैसा दृश्य बन गया।

इस विशाल गड्डे को भरने के लिए आई.आई.टी. मद्रास ने एक विशेष प्रकार का काँक्रीट मिश्रण का सुझाव दिया। इस मिश्रण की 12 इंच मोटी सतह बिछाई गई इस सतह को सड़क निर्माण में उपयोग आने वाले रोलर से दबाया गया, दबाकर काँक्रीट की सतह को 10 इंच तक लाया गया तत् पश्चात काँक्रीट का घनत्व नापा गया। सही परिणाम मिलने पर आगे बढ़े, प्रारम्भ एक सतह 5 से 6 दिन पूरी हुई, इस प्रकार एक के ऊपर एक 48 सतह बिछाई गई, और गर्भगृह पर 56 सतह बिछाई गई। इस संपूर्ण कार्य में लोहे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया, इस कार्य को भूमि का विकास कहा गया। हम कह सकते है कि जमीन के नीचे 14 मीटर मोटी एक मनुष्य निर्मित चट्टान ढाली गयी है। इसे RCC – रोलर कोमपेक्टेड काँक्रीट कहा गया है।

भूमि विकास का कार्य पूरा होने के पश्चात् केवल गर्भगृह के चारों और उतने क्षेत्र में, (जितने क्षेत्र पर मंदिर का निर्माण होना है,) 1.5 मीटर मोटी अधिक शक्तिशाली चट्टान ढाली गयी है, इसे राफ्ट कहा गया है।

RCC – रोलर कोमपेक्टेड काँक्रीट तथा राफ्ट दोनों मिलकर नींव तैयार हुई, जिसे तैयार करने में 18 महीने लगे। अर्थात मंदिर निर्माण का प्रथम चरण जनवरी, 2022 में पूर्ण हो गया।

अब राफ्ट के ऊपर फर्श/कुर्सी/ Plinth ऊँचा करने का काम प्रारंभ हो गया है, यह कार्य ग्रेनाईट के पत्थरों से किया जा रहा है। 5 फीट लंबा, 3 फीट चौड़ा तथा 2.5 फीट मोटा ग्रेनाईट का ब्लॉक एक के ऊपर एक रखा जायेगा, लगभग 17000 ब्लॉक रखे जायेगें इसके कारण 21 फीट ऊँची Plinth तैयार होगी यह कार्य भी आगामी 6 महीने में पूरा कर लेने का अनुमान है। यह कार्य होने पर मंदिर निर्माण का दूसरा चरण पूर्ण हो जायेगा।

Plinth बन जाने के बाद मंदिर के नक्काशीदार पत्थरों को जोड़ने का कार्य प्रारम्भ होगा।

मिट्टी का कटान रोकने के लिए तथा सरयू नदी के इसी सम्भावित आक्रमण को राकने के लिए मंदिर के पश्चिम दिशा में बहुत गहराई तक Retaining Wall निर्माण का कार्य भी प्रारम्भ हो चुका है, यह रक्षा दीवार भी लगभग 12 मीटर चौड़ी है, और जमीन की सतह से 12 मीटर गइराई तक डाली गयी है। इसमें लोहे के सरियों का उपयोग किया गया है, यह कार्य साथ-साथ चल रहा है।

मंदिर में लगने वाले पत्थर (राजस्थान के भरतपुर जिला के बंशी पहाड़पुर क्षेत्र) तथा मंदिर में लगने वाली चौखट तथा फर्श में लगने वाले पत्थर मकराना के सफेद उच्च कोटी के संगमरमर के होगें। इनकी नक्काशी का कार्य संबंधित कुशल व्यक्तियों को सौंप दिया गया है। सभी स्थानों पर भ्रमण भी हो गया है, विश्वास जगा है कि सम्पूर्ण नक्काशी का कार्य समय पर पूरा हो जायेगा।

मंदिर के चारों और लगभग 8 एकड़ क्षेत्र को घेरते हुए एक

परकोटा (परिक्रमा पथ) बनेगा। यह भी पत्थरों से बनेगा, इस कार्य में जोधपुर के पत्थर लगाने का निर्णय हुआ है। इन पत्थरों की भी नक्काशी होगी, जोधपुर का पत्थर जिन व्यक्तियों से खरीदा जाना है, उनका चयन हो गया है।

मंदिर निर्माण पूरा होने के साथ-साथ तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए न्यूनतम आवश्यक भवन भी तैयार हो जायेगें, इस संबंध __ में तैयारी ठीक प्रकार चल रही है।

मंदिर परिसर में संग्रहालय बनेगा, इस संबंध में समानान्तर विचार ___ चल रहा है, स्वतंत्र टोली बनी है।

हम लक्ष्य लेकर चल रहे है कि दिसंबर 2023 तक गर्भगृह, गर्भगृह के सामने गृहमंडप तथा रंगमंडप तैयार करके गर्भगृह में भगवान को प्रतिष्ठित करा देगे। शेष निर्माण कार्य चलता रहेगा, और गर्भगृह में भगवान का दर्शन भी साथ-साथ चलता रहेगा।

प्रस्तोता :

(चम्पतराय)

 

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