यूपी की सियासत में ‘राजभर’ का बदलता स्वरूप

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कुछ राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने इस बात का आंकलन कर लिया था कि इस बार राज्य में बीजेपी की वापसी नहीं होगी और उन्होंने उस बीजेपी पार्टी को छोड़ दिया जिसके भरोसे पर उन्हें सत्ता का सुख मिला था। ओम प्रकाश राजभर भी उन्ही लोगों में से एक थे जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले ही यह समझ लिया था कि इस बार बीजेपी पुनः सत्ता में वापसी नहीं करेगी इसलिए उन्होंने सपा की साइकिल पर सवारी शुरु कर दी लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम जैसे ही आये तो पता चला कि साइकिल तो पंचर हो चुकी है ऐसे में सपा के साथ साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की भी हवा निकल गयी और जिन 18 सीटों पर चुनाव लड़े थे उसमें से सिर्फ 6 सीटों पर ही विजयी हो सके। 

ओमप्रकाश राजभर को अब यह बात समझ आ चुकी है कि अगर साइकिल के साथ रहा तो अगला 5 साल विपक्ष में ही गुजारना होगा और जनता भी उन्हें भूल जाएगी इसलिए शायद उनके मन में बीजेपी को लेकर फिर से प्यार उमड़ने लगा है। खबर है कि ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी नेताओं से मुलाकात करनी शुरु कर दी है अभी तक अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान सहित कई नेताओं से मुलाकात हो चुकी है और यह सिलसिला अभी जारी है। राजभर यह गणित बैठाने में लगे हुए है कि उन्हें किसी तरह से बीजेपी में एंट्री मिल जाए और अगर मंत्री मंडल में भी जगह मिल जाए तो फिर क्या कहने ? लेकिन सवाल यह है कि जब बीजेपी पहले से ही बहुमत में है तो उसे किसी छोटे दल की शर्त मानने की जरूरत क्या है। अब सुभासपा और बीजेपी के बीच यह गठबंधन फिर से होगा या नहीं यह आने वाला समय तय करेगा।

सुभासपा के बीजेपी से गठबंधन को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। राजभर ने भी बीजेपी नेताओं के साथ मुलाकात को लेकर चुप्पी नहीं तोड़ी है लेकिन सुभासपा के एक प्रवक्ता ने कहा कि सुभासपा बीजेपी के साथ गठबंधन करने के मूड में नहीं है हम सपा के साथ में है और आगे भी रहेंगे। ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने भी एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी सपा के साथ है और भविष्य में भी उन्हीं के साथ रहेगी। हालांकि राजनीति में बयानों का बदलना कोई बड़ी बात नहीं है यह समय पर बिल्कुल बदल जाती है और इनका अपना कोई सम्मान नहीं होता है। कोई दल हो या फिर नेता वह जैसे ही पार्टी छोड़ता है वह उसकी बुराई शुरु कर देता है जबकि जिस पार्टी में वह शामिल होता है उसके तमाम गुण उसे दिखाई देने लगते है और यह बात शिक्षित जनता अब समझने लगी है।

2017 के विधानसभा में ओमप्रकाश राजभर बीजेपी के साथ सत्ता में थे और बीजेपी सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाली थी लेकिन सियासी गणित नहीं बैठने के बाद ओमप्रकाश ने सपा का दामन थाम लिया और अब उसी के साथ राजनीतिक सफर तय करने की बात कह रहे हैं।

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