हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
प्रवासी भारतीय देश के आर्थिक विकास को दे रहे गति

प्रवासी भारतीय देश के आर्थिक विकास को दे रहे गति

by हिंदी विवेक
in आर्थिक, उद्योग, देश-विदेश, विशेष
0

अभी हाल ही में विश्व बैंक ने एक प्रतिवेदन जारी कर बताया है कि विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा वर्ष 2022 में 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि का  विप्रेषण  भारत में किए जाने की सम्भावना है जो पिछले वर्ष 2021 में किए गए 8,940 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विप्रेषण की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है। पूरे विश्व में विभिन्न देशों द्वारा विप्रेषण के माध्यम से प्राप्त की जा रही राशि की सूची में भारत का प्रथम स्थान बना हुआ है। इतनी भारी भरकम राशि में अमेरिका, इंग्लैंड एवं सिंगापुर में रह रहे भारतीयों द्वारा किया जाने वाला  विप्रेषण भी शामिल है। इन तीनों देशों का योगदान वर्ष 2016 से 2021 के बीच 26 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गया है। जबकि गल्फ कोआपरेशन काउन्सिल (जीसीसी) देशों का योगदान इस अवधि में 54 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत हो गया है।

इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि अब भारतीय मूल के नागरिक अमेरिका, इंग्लैंड एवं सिंगापुर सहित अन्य कई विकसित देशों में डॉक्टर, इंजिनीयर एवं सायंटिस्ट जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त एवं उच्च कौशल के  पदों पर कार्य कर रहे हैं, जहां आज भारतीयों को अधिकतम वेतन प्राप्त हो रहा है। जबकि पूर्व में अधिकतम भारतीय गल्फ कोआपरेशन काउन्सिल देशों में ब्लू कॉलर जॉब करते रहे हैं, जहां तुलनात्मक रूप से बहुत कम वेतन प्राप्त होता रहा है। इसी कारण के चलते अब अधिकतर भारतीय गल्फ देशों की तुलना में विकसित देशों की ओर अधिक मात्रा में आकर्षित हो रहे हैं। पहिले जहां भारत में सबसे अधिक  विप्रेषित राशि यूनाइटेड अरब अमीरात से प्राप्त होती थी वहीं अब सबसे अधिक  विप्रेषित राशि अमेरिका से प्राप्त हो रही है। आज अनिवासी भारतीयों की सूची में सूचना प्रौद्योगिकी जैसे तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने वाले भारतीयों की संख्या अमेरिका एवं यूरोप के देशों में तेजी से बढ़ती जा रही है, इस वर्ग को तुलनात्मक रूप से अधिक वेतन की राशि प्राप्त होती है जिसके चलते भारतीयों का यह वर्ग विप्रेषण भी अधिक राशि का करता है।

भारत में  विप्रेषित की जाने वाली राशि में अत्यधिक वृद्धि के कारकों में भारतीय रुपए का अमेरिकी डॉलर की तुलना में हो रहा अवमूल्यन भी शामिल है। क्योंकि इससे भारतीय नागरिकों को डॉलर की तुलना में रुपए में अधिक राशि का विप्रेषण होता है। मान लीजिए एक अमेरिकी डॉलर की बाजार में कीमत 75 रुपए है और यदि यह बढ़कर 82 रुपए प्रति अमेरिकी डॉलर हो जाती है और ऐसी स्थिति में अमेरिका में रह रहा भारतीय यदि अपने परिवार को 1000 अमेरिकी डॉलर की राशि का विप्रेषण करता है तो उसके भारतीय परिवार को रुपए 75000 के स्थान पर रुपए 82000 प्राप्त होंगे। इस प्रकार रुपए के अवमूल्यन की स्थिति में भारतीय परिवार को अधिक राशि प्राप्त होती है।

भारत को यदि विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा विप्रेषण के माध्यम से अधिक राशि भेजी जा रही है तो इससे भारत की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो रही है क्योंकि इससे भारत में विदेशी मुद्रा का भंडार लगातार बढ़ रहा है, जो कि भारतीय रुपए को अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिरता प्रदान करने में मददगार साबित हो रहा है एवं भारत में अर्थव्यवस्था को गति एवं मजबूती प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। साथ ही इससे भारत में नया निवेश बढ़ रहा है एवं जिससे यहां रोजगार के नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। इस प्रकार भारत से बाहर रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों द्वारा भी भारत के आर्थिक विकास में अपना अतुलनीय योगदान दिया जा रहा है।

भारत में लगातार तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास के चलते भी भारतीयों का अन्य देशों विशेष रूप से विकसित देशों की ओर रुझान, अपने व्यवसाय को विदेशों में विस्तार देने,  उच्च शिक्षा प्राप्त करने, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उच्च पदों पर रोजगार प्राप्त करने एवं परिवार सहित विदेशों में घूमने जाने के उद्देश्य से, लगातार बढ़ता जा रहा है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़े सचमुच में चौंकाते हैं।

आज लाखों भारतीय विदेशों में उच्च शिक्षा एवं उच्च कौशल युक्त क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने एवं अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने के उद्देश्य से विकसित देशों की ओर रूख कर रहे हैं क्योंकि इन देशों में इन भारतीयों को तुलनात्मक रूप से बहुत अधिक वेतन प्राप्त हो रहा है। वर्ष 2019 में 25,25,328 भारतीय, वर्ष 2020 में 7,15,733 भारतीय; वर्ष 2021 में 8,33,880 भारतीय; वर्ष 2022 में (31 अक्टोबर तक) 21,43,873 भारतीय रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत से बाहर अर्थात विदेशों में चले गए हैं। साथ ही, वर्ष 2019 में 14,67,537 भारतीय; वर्ष 2020 में 2,65,433 भारतीय; वर्ष 2021 में 1,26,611  भारतीय एवं वर्ष 2022 में (31 अक्टोबर तक) 4,64,275 भारतीय अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने अथवा अपने वर्तमान व्यवसाय को विस्तार देने के उद्देश्य से विकसित देशों में चले गए हैं।

जहां पिछले कुछ वर्षों तक अधिकतम भारतीय ब्लू कॉलर रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से यूनाइटेड अरब अमीरात की ओर जाते थे वहीं अब सबसे अधिक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा एवं साइंस जैसे उच्च कौशल के क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की ओर जा रहे हैं। वर्ष 2020 में ओईसीडी (ऑर्गनायजेशन फोर इकोनोमिक कोआपरेशन एवं डेवलपमेंट) ने एक प्रतिवेदन जारी कर बताया था कि ओईसीडी समूह के सदस्य देशों में उच्च कुशलता प्राप्त भारतीयों की संख्या इन देशों में आज सबसे अधिक है एवं आज इन देशों में 30 लाख से अधिक भारतीय मूल के नागरिक कार्य कर रहे हैं। ओईसीडी समूह में आज अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, कनाडा, फ़्रान्स, जर्मनी, नीदरलैण्ड सहित 38 विकसित देश शामिल हैं।

प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भारतीय छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से भी विकसित देशों में जा रहे हैं। वर्ष 2019 में 5,86,329 भारतीय छात्र; वर्ष 2020 में 2,59,644 भारतीय छात्र; वर्ष 2021 में 4,44,574 भारतीय छात्र एवं वर्ष 2022 में (31 अक्टोबर तक) 6,48,678 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से विशेष रूप से विकसित देशों में गए हैं।

देश में लगातार तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास के चलते कई भारतीयों की आर्थिक स्थिति में इतना अधिक सुधार हुआ है कि वे सपरिवार कई विकसित देशों की पर्यटन की दृष्टि से यात्रा पर जाने लगे हैं। वर्ष 2019 में 252,71,965 भारतीयों ने अन्य देशों की यात्रा की है, कोरोना महामारी के चलते यह संख्या वर्ष 2020 में 66,25,080 एवं वर्ष 2021 में 77,24,864 पर आकर कम हो गई थी परंतु वर्ष 2022 में (31 अक्टोबर तक) पुनः तेजी से बढ़कर 183,12,602 हो गई है। विकसित देशों की यात्रा के दौरान ये भारतीय वहां रह रहे नागरिकों के रहन सहन के स्तर एवं बहुत आसान जीवन शैली से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं एवं इन देशों की ओर आकर्षित होते हैं। भारत में आने के बाद ये परिवार लगातार यह प्रयास करना शुरू कर देते हैं कि किस प्रकार इनके बच्चों को इन विकसित देशों में रोजगार प्राप्त हों और मौका मिलते ही अर्थात रोजगार प्राप्त होते ही कई भारतीय इन विकसित देशों में बसने की दृष्टि से चले जाते हैं।

दरअसल वैश्वीकरण के इस युग में पूरा विश्व ही एक गांव के रूप में विकसित हो रहा है। समस्त देश एक तरह से आपस में जुड़ से गए हैं। इन विकसित देशों में रह रहे वहां के मूल नागरिकों का भारतीय मूल के नागरिकों पर विश्वास भी बढ़ता जा रहा है, क्योंकि भारतीय मूल के नागरिकों का चाल चलन, जो भारत की महान सनातन संस्कृति का अनुसरण करता हुआ दिखाई देता है, को देखकर भी इन देशों के मूल नागरिक भारतीय मूल के नागरिकों से बहुत प्रभावित हो रहे हैं एवं आसानी से भारतीय मूल के नागरिकों को इन देशों में उच्च पदों पर आसीन कर रहे हैं। एक तो उच्च शिक्षा प्राप्त, दूसरे उच्च कौशल प्राप्त एवं तीसरे भारतीय  सनातन संस्कृति का अनुसरण, इन तीनों विशेषताओं के साथ भारतीय मूल के नागरिक विशेष रूप से विकसित देशों में अपना विशेष स्थान बनाने में लगातार कामयाब हो रहे हैं।

– प्रहलाद सबनानी

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: economical growthGCCgdpnon residential indiansNRIOECD

हिंदी विवेक

Next Post
मस्तराम का कीमती खजाना

मस्तराम का कीमती खजाना

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0