सफलता के लिए स्वाभाविक गुण आवश्यक

एम एसईबी में ४० साल तक कार्यरत तथा सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए दिलीप डुम्बरे विद्युत नियामक आयोग में विद्युत लोकपाल के सचिव के रूप में कार्यरत हैं। पूरे देश में बिजली के वितरण के सम्बंध में हुई चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ‘‘महाराष्ट्र और गुजरात में बिजली वितरण की व्यवस्था उत्तम है। देश के अन्य राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश के कुछ भागों को बिजली के वितरण के लिए महाराष्ट्र तथा गुजरात की राह पर चलना चाहिए। अभी ये राज्य सौ फीसदी तक इसमें सफल नहीं हो पाए हैं। वे अगर ‘स्काडा’ जैसी अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करेंगे तो निश्चित रूप से बिजली और ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति कर सकते हैं।‘‘

प्रधान मंत्री सन २०२२ तक भारत के हर कोने में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं। उनके इस कार्य में कई लोग अपना सहयोग दे रहे हैं। उन्हीं में से एक हैं अमित टेकचंदानी। अमित एक युवा उद्योगपति हैं। दिलीप डुम्बरे ने अमित टेकचंदानी के साथ विभिन्न प्रकल्पों पर कार्य किया है। अमित के बारे में उनका कहना है कि ‘स्काडा’ जैसी अत्याधुनिक तकनीक में अमित टेकचंदानी तथा उनकी कम्पनी के द्वारा किया गया कार्य निश्चित ही प्रशंसनीय है। ‘स्काडा’ बिजली के वितरण का ‘ऑटोमाइजेशन’ करने की तकनीक है। पहले यह कार्य ‘मैन्युअली’ होता था। मुख्य ग्रीड से शुरू होने वाला यह पूरा तंत्र ‘रिंग सिस्टम‘ है। इस रिंग सिस्टम में जब कोई फॉल्ट होता है तो उस जगह के फॉल्ट को पहचान कर वहां की पावर सप्लाई को रोक कर १५-२५ मिनट में दूसरी जगह से सप्लाई शुरू करना इसके कारण संभव हो सका है। पहले जब यह कार्य ‘मैन्युअली‘ किया जाता था तो उसमें लगभग २-३ घंटे लग जाते थे। परंतु अब ‘स्काडा’ के कारण यह काम १५-२५ मिनट में हो जाता है। अमित टेकचंदानी ने इसी अत्याधुनिक तकनीक को अपना कर स्वयं को तथा अपनी कंपनी को इस मकाम तक पहुंचाया है।

अतिम टेकचंदानी के विषय में दिलीप डुम्बरे यह भी कहते हैं कि इतनी सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में कुछ स्वाभाविक गुणों का होना भी आवश्यक है। अमित टेकचंदानी के स्वभाव का सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं उनकी नेतृत्व क्षमता, व्यावहारिकता तथा तत्वनिष्ठा।

महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के बारे में दिलीप डुम्बरे बताते हैं कि इसकी स्थापना सन २००३ में हुई थी। हमारे यहां बिजली से सम्बंधित तीन कंपनियां हैं- जनरेशन, डिस्ट्रिब्यूशन तथा ट्रांसमिशन। यह कमीशन इन तीनों पर नियंत्रण रखने का कार्य करता है। पहले केंद्र सरकार इन पर नियंत्रण रखती थी। परंतु उसमें निर्णय लेने की कालावधि बढ़ जाती थी। बिजली तथा ऊर्जा से सम्बंधित नीतियां बनाने भी इसका भरपूर योगदान रहा है। इस कमिटी में टेक्निकल, अकाउंट्स इत्यादि से सम्बंधित विशेषज्ञ होते हैं। अत: कमीशन का लगभग सम्पूर्ण कार्य विशेषज्ञों के निर्देशन में होता है।

क्या मोदी सरकार विद्युत क्षेत्र में अच्छे दिन ला सकी है इस प्रश्न के उत्तर में दिलीप डुम्बरे कहते हैं कि निश्चित ही अब इस क्षेत्र में ऐसा चित्र दिखाई दे रहा है जिससे कहा जा सकता है कि अच्छे दिन आ रहे हैं। मोदी सरकार ने पिछली सरकार की कुछ योजनाओं को परिवर्तन के साथ लागू किया है या जो नई योजनाएं लागू की हैं, उनके द्वारा निश्चित ही विद्युत निर्माण से लेकर उसके उपभोग तक में सकारात्मक परिवर्तन होगा।

विद्युत क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन में अमित टेकचंदानी जैसे युवा उद्योगपतियों के योगदान के संदर्भ में दिलीप डुम्बरे कहते हैं कि आने वाले समय में पावर सेक्टर में अत्यधिक संभावनाएं हैं। ‘स्काडा‘ जैसी तकनीक अब लगभग सभी नगरों, महानगरों तक पहुंचने वाली है। मुंबई जैसे कुछ महानगरों में इसका कार्य शुरू भी हो चुका है। इस परिप्रेक्ष्य में अमित जैसे युवाओं के लिए निश्चित ही बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र उपलब्ध होगा।

दिलीप डुम्बरे विद्युत क्षेत्र के बढ़ते विस्तार के बारे में जानकारी देते हुए यह भी जोड़ते हैं कि यहां ‘स्किल्ड लेबर‘ का अभाव है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तो बहुत हैं परंतु उनमें योग्यता नहीं होती। इसमें दोष हमारी शिक्षा पद्धति का है। कॉलेजों में प्रेक्टिकल कार्यों का अधिक समावेश होना आवश्यक है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सन २०२२ तक सम्पूर्ण देश को प्रकाशवान करने के लक्ष्य के बारे में दिलीप डुम्बरे कहते हैं कि यह कार्य निश्चित रूप से हो सकता है; क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने का निश्चय कर लेता है तो उसमें अपने आप गति आ जाती है। भारत के कई राज्य सम्पूर्ण रूप से प्रकाशवान हो चुके हैं। केंद्र सरकार ने सौर ऊर्जा से सम्बंधित जिन प्रकल्पों को शुरू किया है उनके द्वारा वनवासी भागों तक प्रकाश पहुंचना संभव होगा।

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