प्रधानमंत्री नहीं, प्रेरणामंत्री

नरेंद्र मोदी (नमो) सरकार ने चार वर्ष में बहुतेरे नवाचारों, संकल्पों, योजनाओं व विषयों को दिशा दी। सार रूप में इतना कहा जा सकता है कि यह सरकार भाजपा की राजनैतिक तो पूंजी है ही, हम भारतीयों के लिए भी नैतिक पूंजी बनने जा रही है। नमो केवल प्रधानमंत्री ही नहीं हैं, प्रेरणामंत्री भी हैं।  

राजनैतिक इच्छाशक्ति,  कूटनीतिक सूझबूझ व इनसे तनिक ऊपर संवेदनशीलता ये तीन गुण ही किसी भी राजा के महान या कालजयी जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इनमें भी यदि राजा इन तीनों गुणों को जीते हुए राष्ट्र के नागरिकों में एक विशिष्ट प्रकार के तात्कालिक व दीर्घकालिक राष्ट्रीय चरित्र को जन्म देने वाला सिद्ध हो तो वह मणिकांचन योग ही होता है। यह मणिकांचन योग मोदी सरकार के भाग्य में है।

जिस प्रकार नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को राष्ट्रीय अभियानों में जीवंतता से जोड़ना व आत्मसात करना प्रारंभ किया है वह इस देश हेतु एक अनूठा अनुभव है। पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने एक बार देश से अकाल की स्थिति के समय एक दिन के व्रत का आग्रह किया था, तब देश ने उस आग्रह को सिर माथे पर रखा था। नोटबंदी के समय देश की जनता व नरेंद्र मोदी के मध्य वही तादात्म्य व सामंजस्य दिखाई दिया। राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण या राष्ट्रीय चरित्र के उत्थान के ऐसे उदाहरण भारत में कम ही देखने को मिलते हैं।

बारह वर्ष गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और चार वर्ष देश के प्रधानमंत्री के रूप में, इस प्रकार सोलह वर्ष पूर्ण हुए नरेंद्र मोदी के मोहपाश में बंधे हुए देश के। मुख्यमंत्री के रूप में प्रारंभ के एकाध वर्ष को छोड़ दें तो बाकी के पूरे समय में नरेंद्र मोदी सदैव ही समूचे राष्ट्रीय विमर्श को तीव्रता, तीक्ष्णता व तत्परता से प्रभावित करते रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी ने भी स्वातंत्र्योत्तर भारत को, तनिक कम अधिक, इतने ही वर्षों तक भारत के राष्ट्रीय विमर्श को प्रभावित किया है; किंतु वे समूचे समय राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे जबकि नरेंद्र मोदी ने अब तक के अपने राजनैतिक जीवन का तीन चौथाई समय देश के एक मंझोले राज्य गुजरात में ही बिताया है। एक राज्य के मुख्यमंत्री का सतत 12 वर्षों तक देश की चेतना पर हावी रहना यूं ही नहीं हो जाता! इसके पीछे एक कुछ किस्से कहानियां नहीं बल्कि संघर्ष की, वैचारिक आग्रह की, अपरिग्रही जीवन की व अहर्निश परिश्रमी होने की एक दीर्घ जीवंत गाथा है।

सुदृढ़ स्थापित परम्पराओं को अटल मान्यता देने की बात हो या जड़ हो चुकी परम्पराओं को एक झटके में उखाड़ फेंकने का साहस हो इन दोनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई सानी नहीं दिखता है। वैश्विक मंचों पर नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार की भारतीय ठसक व धमक उत्पन्न की है वह तो नितांत अकल्पनीय व गौरवमयी विषय है भारत के लिए।

भविष्य के चितेरे नरेंद्र मोदी ने अपने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को जिस प्रकार मात्र दो चार राज्यों में शासन करने तक समेट दिया है व भाजपा को बीस-बाईस राज्यों में सत्तारूढ़  कराया है वह एक उल्लेखनीय विजय गाथा है। देश भर में सतत गठित होती ये सरकारें मोदी सरकार के चार वर्षों के शासनकाल पर व मोदी के रिपोर्ट कार्ड पर अनुमोदन की दिव्य मुहर है। इस क्रम में मोदी सरकार ने अपने कार्यों व योजनाओं के आधार पर भाजपा को दक्षिण के राज्य कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत पाने के कगार पहुंचा दिया। कर्नाटक की यह उपलब्धि भाजपा हेतु दक्षिणी राज्यों में भाजपा के लिए द्वार खोलने वाली सिद्ध हो सकती है। दशकों तक पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक खाता न खोलने वाली भाजपा हाल ही में संपन्न बंगाल के पंचायत चुनावों में दूसरे क्रम पर उभर कर आई है।

देश की जनता को अधिकार है कि वह इस सरकार के चार वर्षों की समीक्षा करें। सरकार स्वयं भी ‘48 साल बनाम 48 महीने’ के नारे के साथ जनता के मध्य परीक्षण हेतु उपस्थित है।  पिछले चार वर्षों में जो कुछ हुआ, वह भारत हेतु सर्वथा नवीन था, जिसने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था का चरित्र बदल डाला बल्कि लोगों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की आदत भी डाली। लोगों को परेशानी हुई, लोग कतारों में लगने को मजबूर हुए, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री के निर्णय को खुले दिल से स्वीकार किया और उन्हें समर्थन भी दिया।

भारत के टिपिकल परम्परागत व्यवसायियों ने सर्वाधिक ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत किया स्वयं को बदलने का व राष्ट्र के साथ कदम से कदम मिलकर चलने का। जीएसटी लागू होने के कुछ महीनों के भीतर ही जिस प्रकार तमाम कठिनाइयों, उलझनों व झंझावातों को झेलते हुए भारतीय व्यापारी आज नए सेट अप में पुनः सक्रियता से राष्ट्रनिर्माण में लग गए हैं, वह एक अद्भुत कहानी है। जीएसटी सिस्टम की तमाम आलोचनाएं, विरोध व बहसें समाप्त होती नजर आ रही हैं। आज एक देश – एक टैक्स के मार्ग पर चलता हुआ भारत समूचे विश्व हेतु एक उदाहरण के रूप में निहारा जा रहा है। नोटबंदी व जीएसटी से भारत में काले धन की समानांतर व्यवस्था दम घुंटकर मरने की कगार पर है। अर्थव्यवस्था का अब नया स्वरूप सामने है। यह परिवर्तन इसलिए हुआ क्योंकि लोगों का भरोसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कायम है। मोदी सरकार ने बेनामी सम्पत्ति और बेनामी लेन-देन पर शिकंजा कसा और अब तक हजारों करोड़ की बेनामी सम्पत्तियां जब्त की जा चुकी हैं।

कभी मनमोहन सरकार में आए दिन अकल्पनीय राशि के घोटालों को सुनते रहने का अभ्यस्त देश आज एकाएक आश्चर्यचकित है कि 48 महीनों की मोदी सरकार का कोई भी मंत्री किसी भी घोटाले में फंसा दिखाई नहीं दे रहा है। स्वतंत्रता पश्चात इतनी सुचितापूर्ण केंद्र सरकार कोई भी, कभी भी नहीं थी।

उज्ज्वला योजना, गांव-गांव बिजली के बाद अब घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य, हर दिन 50 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य लिए सरकार अपनी अद्भुत गति से चल रही है। प्रति दिन 27 किलोमीटर सड़क बना रही नमो सरकार इस कार्य को 50 किलोमीटर तक पहुंचाने की ओर अग्रसर है। नए एक्सप्रेस-वे, नई सड़कें, नए पुल देखकर हर किसी को अहसास हो रहा है कि भारत बदल रहा है। प्रथम अवसर है कि यह दिखाई दिया कि अगर सरकार चाहे तो कल्याणकारी योजनाएं घर-घर और हर हाथ पहुंचाई जा सकती हैं।  ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजनाएं जमीनी स्तर पर दिखाई दीं। मंझोले व छोटे शहरों को जोड़ने वाली रीजन कनेक्टिविटी स्कीम ‘उड़ान’ से कई छोटे हवाई अड्डों के  कायाकल्प की भूमिका तैयार हो चुकी है। नीतिगत स्तर पर इतने स्पष्ट लक्ष्य, दृष्टि, कल्पना व योजना वाली सरकार देश में प्रथम बार दिखाई दे रही है। 56 इंच के सीने वाली सरकार ने जो भी किया साहस और दृढ़संकल्प के साथ किया और दम ठोंककर किया! यही कारण रहा कि भाजपा चुनावों में एक के बाद एक सफलता प्राप्त कर पाई और आज 21 राज्यों में उसकी सरकारें हैं।

साम्प्रदायिक शब्द से पुकारी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अद्भुत कदम उठाते हुए तीन तलाक के मुद्दे पर निर्णायक कदम उठाए।

यह सुखद संयोग ही है कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक नीति विषयक निर्णय तेजी से लिए जाने के कारण देश में आर्थिक वृद्धि की संभावना बढ़ी है। विश्व बैंक ने 19 अप्रैल को जारी अपनी रिपोर्ट ग्लोबल फिन्डेक्स में भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में उठाए गए प्रयासों की सराहना की है। विश्व बैंक के अनुसार व्यापक पैमाने पर जनधन खाते खोलने और आधार को बैंक खाता खोलने की प्रक्रिया में शामिल करने से ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में भारत की केवल 53 प्रतिशत जनसंख्या के पास ही बैंक खाते थे, लेकिन 2017 के अंत तक यह संख्या बढ़कर 80 प्रतिशत हो गई। यह रिपोर्ट डिजिटल भुगतान में आ रही तेजी की भी पुष्टि करती है। मोदी सरकार के चौथे वर्ष की उपलब्धियों, योजनाओं, संकल्पों की चर्चा इस संक्षिप्त आलेख में पूर्णतः संभव ही नहीं है। बहुतेरे नवाचार, संकल्प, योजनाएं व विषय हैं नमो सरकार के, जो चार वर्ष पूर्ण होने पर विस्तारपूर्वक चर्चा योग्य हैं किंतु इस आलेख में सम्मिलित नहीं हो पाए हैं किंतु सत्व रूप में इतना कहा जा सकता है कि यह सरकार भाजपा की राजनैतिक पूंजी है। यह छोटी बात है – बड़ी बात यह है कि नमो सरकार, भ्रष्टाचार के लिए विश्व भर में बदनाम होते रहे हम भारतीयों के लिए नैतिक पूंजी बनने जा रही है।

 

 

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