त्रिपुरा चौतरफा विकास की ओर अग्रसर

त्रिपुरा ने कम्युनिस्टों का 25 साल पुराना शासन ध्वस्त कर दिया है। पूर्वोत्तर में यह एक चमत्कार ही है। वहां अब भाजपा की सरकार है। प्रस्तुत है त्रिपुरा की समस्याओं, विकास योजनाओं, कम्युनिस्टों की स्थिति, 2019 के लोकसभा चुनाव और राजनीति के बारे में मुख्यमंत्री बिप्लव देब से हुई बेबाक बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-

एक सामान्य कार्यकर्ता से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बनने पर आप अपना सिंहावलोकन किस रूप में करते हैं?

मैं जिस पार्टी में हूं वह पार्टी जनसाधारण की पार्टी है। इसलिए मैं मुख्यमंत्री बना हूं तो नया कुछ नहीं किया है। भाजपा की ओर से अटलजी प्रधानमंत्री बने थे, जो जनसाधारण में से ही आते हैं। अब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, जो जनसाधारण का ही प्रतिनिधित्व करते करते हैं, सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं और एक मिसाल माने जाते है। इसलिए मेरे जैसा सामान्य व्यक्ति ही मुख्यमंत्री बना है, इसमें मैंने नया कुछ नहीं किया है।

त्रिपुरा राज्य के भौगलिक, सामाजिक, राजनैतिक स्वरूप के संदर्भ में अपने विचार स्पष्ट करें।

त्रिपुरा राज्य भौगलिक रूप से चारों ओर से बांग्लादेश से घिरा होने के कारण संवेदनशील प्रदेश है। प्राकृतिक सम्पदा के रूप में त्रिपुरा में गैस है, वह अनानस, कटहल से समृद्ध है, रबर, बांस है, चाय है। प्रकृति का त्रिपुरा को यह वरदान है।  सामाजिक रूप से देखें तो यहां जनजातियां बंगाली हैं। त्रिपुरा को सभी लोगों से जोड़ता है माता त्रिपुरेश्वरी का मंदिर। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी लोग इस मंदिर में श्रध्दा से आते हैं। त्रिपुरा में सभी समाज को त्रिपुराश्वरी माता ने जोड़कर रखा है।  राजनैतिक रूप से देखें तो त्रिपुरा की भूमि में बरसों से कम्युनिस्टों का राज चलता रहा है। कम्युनिस्टों की सिस्टम लोगों को पसंद हैं इसलिए उनका शासन रहा, ऐसा नहीं है। लोग कम्युनिस्टों से वास्तव में तंग आ चुके थे, लेकिन उससे निकल नहीं पा रहे थे। कम्युनिस्टों ने लोगों को भय दिखाकर, डराधमकाकर अपने शिकंजे में कस रखा था। इस बार उस शिकंजे को तोड़कर जनता बाहर आ गई। ऐसा इसलिए हुआ; क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति जनता को पूरा भरोसा है। वह मानती है कि मोदी जी और अमितभाई शाह जैसा नेतृत्व हो तो उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। इससे लोगों का डर खत्म हुआ। लोगों ने वोट दिया और जनता की सरकार आ गई।

पूर्वोत्तर में भाजपा को बड़ी सफलता मिली है। इस सफलता से देश के राजनैतिक क्षितिज पर पूर्वोत्तर की तस्वीर में किस प्रकार का परिवर्तन आप महसूल करते हैं।

प्रधानमंत्री जी ने पहले पूर्वोत्तर के बारे में ‘लुक ईस्ट’, ‘एक्ट ईस्ट’, ‘अष्टलक्ष्मी पूर्वोत्तर’ और उसके बाद अब पूर्वोत्तर को उन्होंने ‘हीरा’ (HIRA) देने का वादा किया। इसका मतलब क्या है? आप देश के पूर्व भाग को, जहां से सूरज अपनी रश्मियां पूरे देश में फैलाता है, शक्तिशाली नहीं बनाएंगे तो सूरज का लाभ पूरे देश को नहीं मिल सकता। प्रधानमंत्री उसी दिशा में काम कर रहे हैं। वे पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को एकसाथ जोडना और समान रूप से विकसित करना चाहते हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों ने भी जाना कि यही एक  रास्ता है विकास का, आगे बढ़ने का। अतः उस रास्ते को सभी राज्यों ने अपना लिया। आठ में से सात में तो एनडीए, भाजपा की सरकारें हैं, केवल मिज़ोरम बाकी है। वहां  चुनाव हो तो मेरा पूरा विश्वास है कि वहां भी भाजपा की ही सरकार आएगी।

पूर्वोत्तर में विविध राज्यों में तालमेल निर्मित कर त्रिपुरा का विकास करने की सरकार की क्या योजना है?

त्रिपुरा के विकास के संदर्भ में प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि त्रिपुरा में ‘हीरा’ बनाना है। अँग्रेजी संक्षिप्ताक्षर HIRA का हिंदीकरण ‘हीरा’ है। HIRA के पहले अक्षर H का अर्थ है Highway, I का अर्थ है Iway,  R का अर्थ है Railway,  A का अर्थ है Airway। इसीके तहत त्रिपुरा में Internatioal Airport का काम चल रहा है। 6 राष्ट्रीय राजमार्गों का भी काम चल रहा है। राज्य में पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराया है। त्रिपुरेश्वरी मंदिर को फोल्डेनिंग रोड से हवाई अड्डे तक जोड़ने का काम हमने शुरू कर दिया है। त्रिपुरा के छवीमुरा, अनुकरी, निर्माण, त्रिपुराश्वरी माता मंदिर, नकिल इन सब को एकसाथ जोड़ना है। इससे एक पर्यटन सर्किट बनेगा और पर्यटन का विकास होगा। इस दिशा में केद्र सरकार बहुत पहले से काम कर रही है। केंद्र और राज्य में एक ही विचार की सरकार होने से इस दिशा में बहुत तेजी से काम होगा। कम्युनिस्ट यह काम होने नहीं दे रहे थे, हमारा सहयोग भी नहीं ले रहे थे। हम लोग सभी का साथ लेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र का भी इसमें सहयोग होगा। खुद भी काम करेंगे, और खुद काम करेंगे तो अपने-आप ही सब बढ़ेगा।

कांगे्रसी एवं कम्युनिस्ट विचारों के विभिन्न राजनैतिक दलों को एक मंच पर लाकर भाजपा ने अद्भुत जीत हासिल की। यह एक सत्य है, लेकिन सरकार चलाते समय विभिन्न राजनैतिक दलों को साथ लेकर चलने के लिए कौन सी योजना आपके मन में है?

विभिन्न दलों को साथ लेने के लिए वैसी कोई योजना नहीं है। जो थे वे भाजपामय हो गए हैं। यहां विभिन्न दल तो हैं ही नहीं, भाजपा ही सबकुछ है। चुनाव के पहले भले कांगे्रस में हो, परंतु अब तो सब लोग भाजपा में आ गए हैं। भाजपा से ही चुनाव लड़े हैं। आज भाजपा के ही हैं, भाजपा के ही मंत्री हैं। मंत्रिमंडल में वे अच्छा काम कर रहे हैं। हमारा सब का एक लक्ष्य है त्रिपुरा का विकास। उस दिशा में हमें काम करना है।

त्रिपुरा में यातायात एक बड़ी समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए आपकी सरकार ने कौन सी योजना तय की है?

त्रिपुरा के यातायात में सुधार के लिए मोदी सरकार आने के बाद से पहल शुरू हुई। वाहनों के लिए गैस उपलब्ध है। त्रिपुरा   एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस आ रही है। और एक वैकल्पिक रेल्वे की योजना है।

2019 के चुनाव में त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्य भाजपा को किस प्रकार शक्ति प्रदान करेंगे?  

देखिए, 2019 में तो भाजपा की ही सरकार बनेगी। इसमें त्रिपुरा की दोनों लोकसभा सीटें भाजपा को ही मिलेगीं। अन्य
पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ही बता सकते हैं।

त्रिपुरा में माणिक की जगह आप जैसा हीरा आने से त्रिपुरावासियों के जीवन में कौन से परिवर्तन आएंगे?

त्रिपुरावासियों के लिए सबसे बड़ी बात तो यह है कि बहुत सालों बाद स्वाभिमान से जीने का उन्हें मौका मिला है। त्रिपुरा को मानो खुली हवा में सांस लेने का मौका मिल गया। सब अपने को स्वाधीन महसूस करते हैं। त्रिपुरा के लोग कर्मठ हैं। उन्हें स्वतंत्रता के साथ काम करने का मौका मिल रहा है। अभी तो केद्र सरकार की योजना चल रही है। राज्य सरकार की योजना भी हमने बनाई है। उस योजना के जरिए हम लोग त्रिपुरा को आधुनिक राज्य बनाने का नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा करेंगे। उस सपने की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं। वह हम पूरा करके दिखाएंगे।

त्रिपुरा में रोजगार निर्माण हेतु कौन से प्रयास हो रहे हैं?

त्रिपुरा में पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार निर्माण की बहुत संभावनाएं  हैं, उसके लिए हम लोग काम कर रहे हैं। मैंने पहले ही बताया है कि  पर्यटन स्थानों को हर जगह जोड़ना है। उसमें चारों तरफ से सर्किट तैयार करना है। छोटे-छोटे रिसोर्ट तैयार करना है। इसमें ज्यादा लागत की भी जरूरत नहीं है। पर्यावरण अनुकूल पर्यटन विकसित  करना है। उसी दिशा में हम काम कर रहे हैं। त्रिपुरा में अनानस बहुत है। हमने इसकी अधिक खेती के लिए वन विभाग और कृषि विभाग को कह दिया है। अनानस एक साल में फल देता है। बांस भी एक साल में तैयार हो जाता है। इससे एक साल के अंदर आपको घर बैठे रोजगार मिल जाएगा। किसान को सीधा पैसा मिल जाएगा। उसे बाहर भेजने की भी हम व्यवस्था करेंगे।

2019 लोकसभा चुनाव पर त्रिपुरा विजय का असर किस प्रकार होगा?

2019 के लोकसभा चुनावों पर त्रिपुरा विजय का असर अवश्य होगा। फिलहाल एनडीए-भाजपा के पास 21 राज्य हैं, जहां हमारे मुख्यमंत्री हैं। कभी कांग्रेस वहां सत्ता में रही। किंतु बाद में विपक्ष ताकतवर होता गया, फिर भी किसी पार्टी को एकसाथ इतनी बड़ी जीत नहीं मिली। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। मोदी सरकार की सबके विकास की जो नीति है वह अवश्य कामयाब होगी। गरीबों के लिए किए काम, गरीबों के कल्याण की दिशा में किए गए कार्यों के सुफल को लेकर हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मैदान में उतरेंगे और मैं मानता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री इस बारे में काफी सक्षम हैं। वे शेर हैं। शेर अकेला ही चलता है। हम तो उनके साथ हैं ही। वे अकेले काफी हैं। जनता उन्हें मसीहा मानती है। अतः 2019 की चिंता की कोई बात नहीं है।

भाजपा यानी हिंदुओं की पार्टी, ऐसा माना जाता था लेकिन पूर्वोत्तर की जीत ने भाजपा को सर्व जाति धर्म का स्वरूप प्रदान किया है। यह कैसे संभव हुआ?

भाजपा परिर्वतन पर विश्वास करती है। हम लोग कम्युनिस्टों जैसे कट्टरपंथी नहीं हैं। वे तो ‘दास कैपिटल’ (मार्क्स की किताब) में जो लिखा है उससे टस से मस नहीं होते। हम परिवर्तन में विश्वास करते हैं। इसलिए भाजपा समय के साथ चलनेवाली सबसे ताकतवर पार्टी है। केवल देश में ही नहीं, दुनिया में सबसे बड़ी पार्टी है। समय के साथ जो चलता है, समय उसके साथ होता है और भविष्य की योजना बनाता है। भाजपा इस तरह की पार्टी है। अमितभाई के नेतृत्त्व में सबसे बड़ी पार्टी बनी है।

माणिक सरकार की छवि एक ईमानदार राजनेता की रही है। बिप्लब देब अपने आपको किस स्वरूप में त्रिपुरा की जनता के सामने प्रस्तुत करेंगे?

देखिए, त्रिपुरा की जनता मुझे जानती है। अन्य किसी के साथ किसी की तुलना मैं नहीं कर सकता। मैं कैसा हूं यह तो समय ही बताएगा। मेरी पार्टी के सिवा बाकी किसी के बारे में राय देने का मेरा कोई विचार नहीं है, और मुझे देना भी नहीं चाहिए। इसलिए मैं कहता हूं, आप मेरे बारे में जनता से ही पूछिए। मेरे बारे में मुझ से ही न पूछें तो बेहतर है।

वाम दल त्रिपुरा से समाप्त हुआ, इस प्रकार की बातें कही जा रही हैं। वामपंथी दल का राजनीतिक मंच से विलुप्त होने का मतलब क्या ऐसा है कि उनकी सम्पूर्ण विचारधारा समाप्त हो गई? आप क्या मानते हैं?

वाम सरकार, वाम फ्रंट की कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया से विदा हो चुकी है। इतिहास कहता है कि जहां से भी कम्युनिस्ट पार्टी का एक बार खात्मा हो गया हो वहां वे दुबारा नहीं पनपते। अपवाद केवल केरल का है। केरल में पांच साल कांग्रेस के होते हैं, पांच साल कम्युनिस्टों के। विकल्प के अभाव में यह क्रम बना है। कम्युनिस्ट जहां जहां थे- जैसे पश्चिम बंगाल में और त्रिपुरा में- वहां से वे खत्म हो चुके हैं। मानकरचलिए कि भारत से, दुनिया से कम्युनिस्टों का अंत हो चुका है। रही केरल की बात तो वहां जो है वह कम्युनिस्ट की बात नहीं, विकल्प की बात है।

सम्पूर्ण देश में भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया लेकिन त्रिपुरा चुनाव में कम्युनिस्ट मुक्त भारत का नारा जोरों पर था। ऐसा क्यों?

त्रिपुरा में कांग्रेस थी ही नहीं। कांग्रेस का अस्तित्व ही नहीं है। कांग्रेस है ही नहीं, तो हमने कम्युनिस्ट मुक्त का नारा दिया। हम कांग्रेस मुक्त हो ही चुके हैं। अब हमें कम्युनिस्टों से मुक्ति चाहिए थी। उनकी विचारधारा, उनकी सोच देश के हित में नहीं है। हम लोग व्यक्तिविरोधी नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी व्यक्ति विरोधी नहीं है। हम किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत आलोचना नहीं करते, उसकी विचारधारा का विरोध करते हैं। जो विचारधारा भारत को तोड़ती है, उसका हम विरोध करते हैं। इसलिए हम लोग कम्युनिस्ट विचारधारा के विरोधी हैं।  कम्युनिस्ट नेताओं का व्यक्तिगत विरोध नहीं करते। हम लोग कम्युनिस्ट विचारधारा को इस दुनिया से विदा करने की दिशा में काम करते हैं।

भाजपा की विजय में आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान को किस नजरिए से देखते हैं?

भाजपा राजनीतिक पार्टी है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक सामाजिक संगठन है। इसलिए उसके साथ इसे जोड़ना नहीं है। मैं इतना कह सकता हूं कि संघ के स्वयंसेवक में एक दृष्टि, संस्कृति होती है। उसका व्यक्तित्व समाज के साथ जुड़े हुए व्यक्ति का होता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री जी को, अटलजी को आप देखिए कितना प्रकट व्यक्तित्व है। वह संघ के स्वयंसेवक बने और तब उनमें एक व्यक्तित्व का विकास हुआ। स्वाभाविक तौर पर संघ में अच्छा व्यक्तित्व तैयार होता है। राष्ट्रवादी तैयार होता है। इसलिए मैं इसके साथ राजनीति को नहीं जोड़ना चाहता। राजनीति एक जगह पर है, और संघ अलग जगह पर है। संघ की अपनी विचारधारा, अपनी सोच है। संघ राजनीति नहीं करता। भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है। भाजपा में संघ के स्वयंसेवक हैं।

त्रिपुरा में बांग्लादेशी घुसपैठ विविध समस्याओं का मूल है। इसे आपकी सरकार किस दृष्टिकोण से देखती है?

बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं। हमारी सरकार अभी-अभी आई है। भारत की नीति अतिथि देवो भव है। अतिथि आए तो हम उसका सम्मान करते हैं। हमारा कल्चर है, संस्कृति है। लेकिन अतिथि आकर घर ही छीन लें तो वह कैसे बर्दाश्त होगा? भारतीय संविधान ऐसी अनुमति नहीं देता। कोई हमारा घर छीनने के लिए आए तो स्वाभाविक रूप से हम इसका विरोध करेंगे। इसलिए हम भारतीय संविधान के अनुसार काम करेंगे। राज्य को बचाने के लिए जो काम करना पड़ता है वह काम करेंगे। केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकारें हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सीमा सम्हालता है। बीएसएफ घुसपैठियों को रोकने का काम कर रहा है। राज्य सरकार की पुलिस का इसमें सहयोग होता है।

राज्य के वनों में आयुर्वेदिक औषधियों की प्रचुर सम्पदा है। उसके सदुपयोग हेतु कौन सी योजनाएं हैं?

वनों में आयुर्वेदिक औषधियों के उत्पादन की दिशा में हम लोग काम कर रहे हैं। इस सम्बंध में नीति बनाई जा रही है। इस काम में बाबा रामदेव, आयुष मंत्रालय, श्री श्री रविशंकर जी का अवश्य सहयोग लिया जाएगा। इससे वनौषधियों की उपज के साथ उसके बाजार को भी खोजना होगा। त्रिपुरा के लोगों को उसका लाभ होगा।

सत्ता आने पर कार्यकर्ताओं की अपेक्षाएं बढ़ती हैं। साथ ही, आपके साथ रही विभिन्न विचारों की राजनीतिक पार्टियों की अपेक्षाएं भी बढ़ती जाएंगी। इन सबको आप किस प्रकार संतुलित करेंगे?

अभी तो सरकार आई है। भाजपा के कार्यकर्ता ऐसे नहीं हैं जो महज स्वार्थ के लिए राजनीति में आए हो। यदि वे स्वार्थ के लिए राजनीति में आए होते तो मेरे देश में अटल जी जैसा प्रधानमंत्री नहीं होता और नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री नहीं बनता। इसलिए इस पार्टी से जो भी जुडता है वह राष्ट्रहित की भावना से जुड़ता है। कुछ मिलेगा इस भावना से नहीं। मैंने भी इस पार्टी में काम शुरू किया था। कभी मुख्यमंत्री बनूंगा, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। यहां कुछ मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। पार्टी के वरिष्ठ नेता सक्षम हैं, निर्णय करने में।

पूर्वोत्तर में जो राजनैतिक परिवर्तन आया है उससे राष्ट्र की सुरक्षा में किस प्रकार का परिवर्तन आएगा?

स्वाभाविक है परिवर्तन आएगा। जब कोई राष्ट्रवादी पार्टी सत्ता में आती है तब अधिक सुरक्षितता आती है। पूर्वोत्तर के बारे में कभी गलतफहमियां थीं। मैं तो पूर्वोत्तर का वासी हूं। मैं कहता था, पिता ठीक हो तो पुत्र ठीक होता है। आज देश के प्रधानमंत्री जो काम कर रहे हैं, उस पर सवाल उठाने का प्रश्न ही नहीं है। इतने 40 -42 सालों से एनएसडी नागालैण्ड में सत्ता में थी और समस्या चल रही थी। कोई समाधान नहीं हो रहा था। हमारे प्रधानमंत्री जी ने आते ही उसका समाधान कर दिया। मोदी जी का जो व्यक्तित्व है, राजनीतिक निष्ठा है वह है देश में एकात्मभाव जगाए रखना। नरेंद्र भाई के करिश्माई व्यक्तित्व के कारण ही पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में भाजपा विजय का परचम फहराते दिखाई दे रही है।

त्रिपुरा विजय ने देशभर में भाजपा कार्यकर्ताओं को एक ऊर्जा प्रदान की है। क्या 2019 के चुनाव में त्रिपुरा से इसी प्रकार की ऊर्जा मिलेगी, और वह कैसे?

2019 में क्यों नहीं मिलेगी? त्रिपुरा में हुआ चुनाव जनता का चुनाव था। सरकार जो बनी वह भी जनता की सरकार है। इतने दिन जो सरकार थी, वह कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार थी। चूंकि वर्तमान सरकार वास्तव में जनता की सरकार है इसलिए जनता 2019 में भी सरकार के साथ ही रहेगी। मैं बिप्लब देब नहीं भी जाऊंगा प्रचार के लिए तब भी। त्रिपुरा की दोनों लोकसभा सीटें भाजपा को भारी बहुमत से मिलेगी। आप देखिए कम्युनिस्टों से इतने भय के बावजूद भी 44 सीटें मिली हैं। 4 सीटें हम केवल 200 वोट से हारे हैं। एक तो 93 वोट से, एक 121 वोट से, एक 404 वोट से हारे हैं। जनता ने कम्युनिस्टों के भय के बाद भी और 25 साल तक उनका शासन होने के बावजूद उन्हें धूल चटा दी। इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इसका दर्शन होगा।

आपकी सरकार द्वारा त्रिपुरा को आदर्श राज्य बनाने के लिए कौन से प्रयास किए जा रहे हैं?

आदर्श राज्य बनने के लिए नया कोई प्रयास करने की जरूरत नहीं है। नरेंद्रभाई मोदी जी की ग्राम स्वराज्य योजना जैसी योजना पर अभी हमारा काम चल रहा है। वह नीचे के तबके तक पहुंचे तो आपकी सरकार आदर्श हो सकती है। इसके बाहर आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है। भारत सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं उनसे हर व्यक्ति जुड़ जाता है। ‘आयुषमान भारत’ में गरीबों को इलाज के लिए 5 लाख रू. मिलते हैं, ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ में 1.5 से 2.1 देकरकिसानों की फसल का बीमा होता है। 2 रु. देकर सभी गरीब लोगों को बीमा का 2 लाख रूपया मिल जाएगा। ‘उज्ज्वला योजना’ माध्यम है आपके घर में चूल्हा जलाने के लिए व्यवस्था का। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के माध्यम से सब को घर देने की व्यवस्था कर दी है। सभी को शौचालय बनाने के लिए 12 हजार रु. का अनुदान मिल रहा है। सभी को 2 रू में चावलमिल रहा है। हमारे प्रधानमंत्री ने जो योजनाएं जारी की हैं उन्हें नीचे तक पहुंचाना है। यह काम सिर्फ हमें देखना है।

मुख्यमंत्री के लिए संगठन कौशल अत्यंत आवश्यक गुण माना जाता है। आप यह सरकार यशस्वी रूप से चलाने के लिए अपने संगठनात्मक कौशल का किस तरह उपयोग करेंगे?

संगठनात्मक कौशल निर्माण नहीं किया जा सकता, वह स्वयंमेव निर्माण होते जाता है। संगठन का मूल विषय जनता के साथ जुड़े रहना है। जनता की बात सुने और उसको सही ढंग से लागू करें। संगठन के लिए आप में सुनने का संयम होना चाहिए,  आप अच्छे वक्ता होने चाहिए, और संगठन होना चाहिए। ये तीन क्षमताएं जिस व्यक्ति में होती हैं, वह नेता बनता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री अच्छे वक्ता हैं, अच्छे संगठक, सुनने का संयम है। सब लोग तो नरेंद्र मोदी बन नहीं सकते, किंतु उस दिशा में चलने का प्रयास तो कर ही सकते हैं।

This Post Has One Comment

  1. नीलेश कुमार शुक्ला

    बहुत ही अच्छा

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