कोयला क्षेत्र लिख रहा है भारत की विकास गाथा

पिछले चार वर्षों में कोयले के क्षेत्र ने अभूतपूर्व रफ्तार पकड़ी है।  पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी और बेहतर परिवहन से, मोदी सरकार एक ऐसा कोयला क्षेत्र विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो हमारे लोगों के लिए एक कुशल, किफायती और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य को सुनिश्चित करता है।

पिछले चार सालों में, भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई है जो न केवल वैश्विक संगठनों की रैंकिंग में नज़र आ रही है बल्कि कम अवधि में किए गए बड़े-बड़े सुधारों में दिख रही है, जो कि प्रशंसा के योग्य है। देश के कोयला क्षेत्र में हुए तेज सुधारों ने ऊर्जा क्षेत्र की कार्य कुशलता, क्षमता और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है, जिससे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी योजना ’24 बाय 7 पावर फॉर ऑल’ लक्ष्य की दिशा में तेजी से काम हो रहा है तथा उनकी 2022 तक नए भारत के निर्माण की दृष्टि में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

2014 में, सर्वोच्च न्यायालय ने 204 कोयले के ब्लॉक के आवंटन रद्द करने के बाद मोदी सरकार ने सबसे पारदर्शी कोयले तंत्र को शीघ्रता से लाया। पारदर्शी नीलामी के बाद हमने अपना रुख बेहतर और तेज कोयला खनन, कोयला परिवहन के लिए उचित चैनल, और परेशानी मुक्त और निष्पक्ष कोयला आवंटन की ओर किया। पिछले चार वर्षों में कोयले के उत्पादन में 105 मिलियन टन की वृद्धि प्राप्त की गई जबकि 2013-14 से पहले इसे हासिल करने में लगभग सात साल लग गए थे। कोयले के लिए ड्रिलिंग के मामले में 2013-14 में 6.9 लाख मीटर से शुरू कर 2017-18 में 13.7 लाख मीटर तक पहुंचकर, कोयले की ड्रिलिंग को लगभग दोगुना कर दिया गया।

खनन, आपूर्ति और अंत उपयोग के कोयला मूल्य श्रृंखला में, सबसे महत्वपूर्ण वास्तविक समय ट्रैकिंग को मोबाइल ऐप के साथ-साथ कोयला मित्र और शक्ति (Scheme for Harnessing and Allocating Koyala (Coal) Transparently in India-SHAKTI) जैसे ऑनलाइन पोर्टलों की सहायता से लाया गया। कोयले की गुणवत्ता में आमूल परिवर्तन लाने के लिए, तीसरे पक्ष के नमूने को पेश किया गया था। इससे एक आधिकारिक तंत्र स्थापित किया जा सका ताकि कोयले के खरीदारों को खानों से कोयले की वांछित गुणवत्ता प्राप्त हो सके। 100% क्रश्ड कोयले और अन्य गुणवत्ता उपायों को कार्यान्वित करके, भारत थर्मल पावर जनरेशन की लागत को कम करने में सफल रहा है क्योंकि बिजली की प्रति इकाई उत्पन्न करने के लिए आवश्यक कोयले की मात्रा पिछले चार वर्षों में 8% कम हो गई है।

राज्यों और निजी कंपनियों की कोयले की अनियोजित मांग की चुनौतियों का सामना करने के लिए, केंद्र ने रेलवे और कोयला मंत्रालयों के बीच तालमेल बढ़ाते हुए कम से कम समय में कोयले के रेक को बढ़ाने का कार्य किया है। पिछले साल भारतीय रेलवे द्वारा कोयले की अब तक की सबसे ज्यादा ढुलाई की गई।  2016-17 में 533 मिलियन टन से बढ़कर यह 2017-18 में 555 मिलियन टन हो गई।

वाणिज्यिक कोयला खनन के 1973 में हुए राष्ट्रीयकरण के बाद अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी कोयला सुधार क़दमों को उठाया गया है। यह न केवल कोयले की आयात निर्भरता को कम करेगा, बल्कि कोयले की सुनिश्चित आपूर्ति के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा भी लाएगा। यह रोजगार के अवसरों के लिए भी मददगार साबित होगा और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ तकनीक भी लाएगा।

कोयला उत्पादन में तेजी, नीलामी में पारदर्शिता और कोयले की गुणवत्ता में सुधार, कोयला प्रभावी राज्यों के लिए बहुत बड़े वरदान साबित हुए हैं। राज्यों को 100% राजस्व प्राप्त होने के साथ, मोदी सरकार कोयला सुधार प्रयासों के द्वारा सहयोग आधारित संघीयता के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिख रही है। इससे प्राप्त होने वाला राजस्व इन राज्यों को ‘न्यू इंडिया 2022’ के लक्ष्यों को विकसित करने और हासिल करने में मदद करेगा, खासकर गरीब और विकासशील जिलों के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा।

पिछले चार वर्षों में कोयले के सुधारों का लक्ष्य अंततः देश को दुनिया में सबसे बड़े कोयला भंडार होने का सम्मान प्राप्त कराना है। पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी और बेहतर परिवहन से, मोदी सरकार एक ऐसा कोयला क्षेत्र विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो हमारे लोगों के लिए एक कुशल, किफायती और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य को सुनिश्चित करता है। इससे उन्हें अपने सपने हासिल करने और उनकी पूरी क्षमता से काम करने में मदद मिलेगी।

 

 

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