सत्ता की राह अग्निपथ से होकर गुजरती है, जो इस अग्नि परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है वहीं सत्ताधीश होने का अधिकारी होता है। जिस तरह पिछले 2 कार्यकाल में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं और उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उसी तरह उनका तीसरा कार्यकाल विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर होगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार का तीसरा कार्यकाल प्रारम्भ हो चुका है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी सदस्य नई ऊर्जा, नए जोश और नए उत्साह के साथ अपना कार्यभार सम्भाल चुके हैं। नई सरकार में भी गृह, रक्षा, विदेश, वित्त जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण माने जाने वाले विभागों की जिम्मेदारी उन्हीं मंत्रियों को सौंपी गई है जिन्होंने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इन विभागों की जिम्मेदारी का दक्षतापूर्वक निर्वहन किया था।
सीधी सी बात है कि गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के सबसे महत्वपूर्ण चार आधार स्तम्भ हैं जिन्होंने अपनी विलक्षण सूझ-बूझ और अद्भुत कार्य शैली के द्वारा विगत 5 सालों में सरकार के समक्ष आई हर कठिन चुनौती को परास्त कर अपनी अलग पहचान बनाई थी। इसलिए यह पहले से ही तय माना जा रहा था कि प्रधान मंत्री उक्त चारों मंत्रियों के विभागों में कोई बदलाव नहीं करेंगे। प्रधान मंत्री मोदी ने भाजपा के साथ ही एनडीए के अन्य घटक दलों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व देकर यथासम्भव संतुलित मंत्रिमंडल बनाने का प्रयास किया है जिसमें वे सफल भी हुए हैं।
प्रधान मंत्री ने अपना तीसरा कार्यकाल प्रारम्भ होते ही सबसे पहले प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि की सत्रहवीं किश्त जारी कर यह संदेश दिया कि किसानों का आर्थिक सामाजिक उन्नयन उनकी सरकार के तीसरे कार्यकाल की प्राथमिकताओं में भी सर्वोपरि रहेगा। किसान कल्याण के लिए समर्पित मोदी सरकार ने हाल में ही 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि का जो निर्णय लिया है वह भी इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार अन्नदाता के कल्याण और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल के प्रथम सप्ताह में ही देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 3 करोड़ परिवारों को घर के निर्माण हेतु सहायता प्रदान करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। इस निर्णय के लिए प्रधान मंत्री मोदी सराहना के पात्र हैं।
प्रधान मंत्री मोदी ने अपना पदभार ग्रहण करने के प्रथम सप्ताह में ही इटली में आयोजित जी-7 देशों के सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों से ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सार्थक विमर्श किया। इस अवसर पर इटली की प्रधान मंत्री जार्जिया मेलोनी द्वारा प्रधान मंत्री मोदी का भारतीय संस्कृति के अनुरूप नमस्ते से किए गए अभिवादन ने सारी दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया। इसमें यह संदेश भी छुपा था कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के समय विदेशों में भारतीय संस्कृति को जानने, समझने और उसकी विशेषताओं को अपने आचार-विचार में उतारने की लालसा निरंतर बढ़ी है। प्रधान मंत्री मोदी के इटली प्रवास से यह संदेश भी मिला है कि अगले 5 सालों में अंतरराष्ट्रीय मसलों पर भारत की राय की अहमियत और बढ़ेगी।
प्रधान मंत्री ने शपथ ग्रहण के अगले दिन प्रधान मंत्री कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए जब यह कहा कि आने वाले 5 सालों में हमें वैश्विक मानदंडों से भी आगे जाकर काम करना है। जहां कोई नहीं पहुंचा वहां अपने देश को पहुंचाना है, तब वह पूरे आत्मविश्वास और दृढ़संकल्प से परिपूर्ण दिखाई दे रहे थे। प्रधान मंत्री ने लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान भी स्पष्ट शब्दों में कहा था कि उनकी सरकार अगले 6 महीनों में कुछ बड़े निर्णय लेने के लिए तैयार है। शपथ ग्रहण के बाद प्रधान मंत्री कार्यालय में दिए गए अपने पहले भाषण में उन्होंने बड़े निर्णयों के बारे में पूर्व संकेत दे दिया है। अब देशवासियों के मन में उन सम्भावित बड़े निर्णयों के प्रति बेहद उत्सुकता है और साथ ही यह विश्वास भी है कि प्रधान मंत्री का हर निर्णय भारत की 140 करोड़ जनता की खुशहाली का संदेश लेकर आएगा।
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में गठित एनडीए सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में आर्थिक सुधारों में तेजी लाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का गौरव दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी। इस कार्यकाल में सरकार महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। गौरतलब है कि इन दोनों मोर्चों पर विपक्ष ने हमेशा सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इसी कार्यकाल में सरकार जीएसटी प्रणाली को सरलीकृत करने और जीएसटी की दरों में कमी करने पर भी गम्भीरता से विचार कर सकती है। मोदी सरकार जिस तरह अपने दूसरे कार्यकाल में संविधान के अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावीकरण, तीन तलाक की कुप्रथा की समाप्ति और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण जैसी ऐतिहासिक उपलब्धियां अर्जित करने में सफल रही, उसी तरह तीसरे कार्यकाल में वह समान नागरिक संहिता, वन नेशन वन इलेक्शन जैसे महत्वपूर्ण विषयों को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रख सकती है। इन दो मामलों में अगर मोदी सरकार सभी पक्षों को सहमत करने में सफल हो जाती है तो तीसरे कार्यकाल में भी वह इतिहास रचने में कामयाब हो सकती है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विषय पर सुझाव देने के लिए सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में जो उच्चाधिकार समिति गठित की थी, वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। देश के 15 राजनीतिक दलों को छोड़कर बाकी 32 राजनीतिक दलों ने सरकार के इस विचार से सहमति जता दी है, लेकिन इंडी गठबंधन के घटक दलों को राजी करने में सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यही स्थिति समान नागरिक संहिता के मामले में भी बन सकती है। अग्निवीर योजना को लेकर एनडीए के सहयोगी दलों ने जो राय व्यक्त की है, उसका सम्मान करते हुए उसमें कुछ बदलाव लाने के लिए भी सरकार तैयार हो सकती है। कुल मिलाकर नवगठित एनडीए सरकार को अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर एनडीए में सर्वसम्मति बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है, परंतु राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एनडीए गठबंधन के सबसे बड़े दल भाजपा के कोटे से जो मंत्री सरकार में शामिल किए गए हैं वे अपनी विलक्षण राजनीतिक सूझ-बूझ से हर मुश्किल पड़ाव पर एनडीए के घटक दलों के साथ सामंजस्य बिठाकर सरकार की राह आसान बनाते रहेंगे।