
पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों के विरोध में मोदी सरकार के खिलाफ लामबंदी करनेवाली विपक्षी पार्टियां स्वार्थ सिद्धि हेतु तथा अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए और कितना नीचे गिरेगी ? रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाले भारत के लाखों-करोड़ों मजदूर वर्ग के रोजी-रोटी(पेट) पर लात मारकर “भारत बंद” करने वाले विपक्षी पार्टियां कहीं राजनीतिक रोटियां तो नहीं सेंक रहीं हैं ?
पहले भी पेट्रोल-डीज़ल के भाव में समय-समय पर उतार-चढ़ाव आते जाते रहे है किंतु अब इतना हो हल्ला क्यों किया जा रहा हैं ? अपनी बेबाक राय दें