बन्दूक का लाइसेन्स है

अटलजी का मत था -किसी पर आक्रमण के लिए नहीं परंतु हम पर कोई अण्वास्त्रों से हमला न करें इसलिए अण्वास्त्र बनाना आवश्यक है।

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी कवि के साथ साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते थे। उनकी सभाओं में भीड़ इस बात का प्रमाण है। बड़े ही सधे हुए अंदाज में किसी गंभीर बात को कहना एवं सरकार की आलोचना करना उनके लिए साधारण सी बात थी। ऐसा ही एक प्रसंग मुझे याद याद आता है।

सन् 1967 से 1970 के बीच (निश्चित कालखंड याद नहीं है।) किसी समय अटल जी जबलपुर आए थे। वहां स्थित घंटाघर के पास ही पी.एस.एम. ग्राउंड में उनकी सभा आयोजित की गई थी। अटल जी याने सभा स्थल, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, पूर्ण भर जाना मानो एक समीकरण था। अटल जी का भाषण शुरू हुआ एवं सभा बड़ी शांति के साथ सुन रही थी। उस समय राज्य एवं केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। अण्वास्त्रों संबधी कांग्रेस की नीति थी कि हमें अण्वास्त्र नहीं बनाने हैं। शांतिपूर्वक किए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए भी अणु शक्ति का प्रयोग कांग्रेस को मान्य नही था। उस समय रूस, जो कि अमेरिका के बाद एक बड़ी ताकत था, के साथ हमारे संबध मधुर थे। रूस ने गारंटी दी थी कि यदि हम पर अण्वास्त्रों से वार होता है तो वह हमारी सहायता हेतु दौड़ा आएगा। इस संबंध में उस सभा में अटल जी ने एक किस्सा सुनाया जिसे सुनकर हम सभी एवं पूरी सभा हंस-हंस कर लोटपोट हो गई थी। किस्सा इस प्रकार था-

एक शिकारी शिकार करने हेतु अपनी बंदूक साथ में लिए बैलगाड़ी पर बैठकर जंगल में जा रहा था। वह और गाड़ीवान दो ही व्यक्ति थे। थोड़ी देर बाद शिकारी गाड़ी में बैठा-बैठा उबता गया एवं बंदूक साथ में लेकर पैदल चलने लगा। गाड़ी भी साथ चल रही थी। कुछ और आगे जाने पर उसे बंदूक भी बोझ लगने लगी एवं उसने वह गाड़ी पर रख ही जंगल की शोभा निहारते हुए वह धीरे-धीरे चल रहा था। गाड़ी भी अपनी गति से चल रही थी। काफी दूर चलने के बाद गाड़ी और शिकारी के बीच अंतर बढ़ गया। थोड़ी देर बाद शिकारी ने देखा कि उसके सामने शेर खड़ा है। वह घबरा गया। कंधे पर हाथ जाने पर महसूस हुआ कि बंदूक तो गाड़ी में रह गई और गाड़ी भी शेर के उस पार थी। परंतु शिकारी चतुर था। बंदूक का लाइसेंस उसकी जेब में था। उसने तुरंत वह लाइसेंस निकाल कर शेर को दिखाया और कहा कि मुझ पर हमला मत करना, मेरे पास बंदूक है जिसका यह लाइसेंस है। परिणाम क्या हुआ होगा आप समझ ही सकते हैं, शेर लाइसेंस समेत शिकारी को खा गया।

इस किस्से को देश की परमाणु नीति के साथ जोड़ते हुए अटल जी ने कहा कि यदि हमारा पड़ोसी हम पर अण्वास्त्र से हमला करता है तो हम कहेंगे कि ठहर जा हमारे पास रूस की गारंटी है। परिणाम हमारा भी शिकारी सा होगा। उनका निश्चित मत था कि किसी पर आक्रमण के लिए नहीं परंतु हम पर कोई अण्वास्त्रों से हमला न करें इसलिए अण्वास्त्र बनाना आवश्यक है। उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में यह कर दिखाया।

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