भारतमाला परियोजना के अंतर्गत देश भर में अनेक नई सड़कों का जाल बिछाने की योजना है। पहले चरण में कोई 24,800 कि.मी. सड़कों के निर्माण का कार्य चल रहा है।
किसी राष्ट्र का विकास उसके परिवहन नेटवर्क और उसके रखरखाव के तौर-तरीकों पर निर्भर करता है। यही बात भारत जैसे विशाल और घनी आबादी वाले राष्ट्र के विकास पर भी लागू होती है। विभिन्न इलाकों को जोड़ने और उनके बीच यातायात के सुचारू रूप से संचालन के लिए नई और विकसित सड़कों का निर्माण बहुत जरूरी है। यह लक्ष्य भारतमाला परियोजना पर अमल से हासिल किया जा सकता है। इस योजना के अंतर्गत देश भर में अनेक नई सड़कों का जाल बिछाने की योजना है।
भारतमाला परियोजना की खास बातें :
* मल्टीमोडल लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास और भीड़भाड़ वाले स्थानों को समाप्त करके मौजूदा सड़क गलियारों की दक्षता में सुधार।
* पूर्वोत्तर के साथ सड़क संपर्क में सुधार और अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता का फायदा उठाने पर भी जोर।
* परियोजना निर्माण और परिसंपत्तियों की निगरानी के लिए टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक नियोजन पर भी अधिक जोर।
* परियोजनाओं को सौंपने में तेजी लाने के लिए शक्तियों का हस्तांतरण- पहला चरण 2022 तक पूरा होगा।
* पूर्वोत्तर में सड़क संपर्क में सुधार।
मुख्य विशेषताएं
सड़कों की गुणवत्ता में सुधार: इस योजना की शुरुआत भली-भांति रखरखाव वाली और पूरी तरह विकसित सड़कों के जरिए देश में विकास की नई लहर पैदा करने के लिए की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत देश के सभी भागों में सड़कों का निर्माण किया जाएगा।
समन्वित योजना: भारतमाला वह नाम है जो सड़कों के कार्य को दिया गया है और इसमें कई अन्य संबंधित योजनाएं भी शामिल हैं। इनके पूरा हो जाने से योजना की समग्र सफलता की गारंटी दी जा सकेगी।
कार्यक्रम की कुल अवधि: केंद्र ने पांच साल के भीतर इस योजना को पूरा करने का कार्यक्रम बनाया है। इस तरह 2022 तक पहले चरण को पूरा करने के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
चरणों में विभाजन: योजना के विशाल आकार और विस्तार को ध्यान में रखते हुए इसे सात अलग-अलग चरणों में बांटा जाएगा। इस समय पहले चरण का निर्माण कार्य चल रहा है।
दैनिक आधार पर निर्माण कार्य: पहले चरण को समय पर पूरा करने के लिए संबंधित विभागों ने रोजाना कम से कम 18 किलोमीटर सड़कें बनाने का प्रयास किया है। कार्य को समय पर पूरा करने के लिए दैनिक निर्माण के लक्ष्य को 30 किलोमीटर प्रतिदिन करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
बजट आवंटन: भारतमाला के पहले चरण में 24,800 कि.मी. सड़कों के निर्माण पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा इस परियोजना के पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के तहत 10,000 कि.मी. सड़कों के बकाया कार्य को निपटाना भी शामिल है जिसके पूरा हो जाने पर सड़कों की लंबाई बढ़कर 34,800कि.मी. हो जाएगी। इस परियोजना पर अनुमानत: 5,35,000 करोड़ रूपये लागत आएगी। भारतमाला प्रथम चरण को 2017-18 से 2021-22 तक की पांच वर्ष की अवधि में लागू किया जाना है।
भारतमाला परियोजना की श्रेणियां
आर्थिक गलियारा: सड़क निर्माण परियोजनाओं के दिशानिर्देशों के अनुसार केंद्र सरकार 9000 किमी. लंबे आर्थिक गलियारे का निर्माण करेगी।
कॉरीडोर में प्रवेश के लिए फीडर मार्ग: फीडर रूट या अंतर-गलियारा श्रेणी में आने वाली सड़कों की कुल लंबाई 6000 किलोमीटर है।
राष्ट्रीय गलियारे की दक्षता में सुधार: इस योजना के तहत निर्मित 5000 कि.मी. लंबी सड़कों को दूसरी सड़कों के साथ बेहतर संपर्क के लिए राष्ट्रीय गलियारे की श्रेणी में रखा गया है।
सीमा सड़क और अंतरराष्ट्रीय सम्पर्क: सरहदी इलाकों के शहरों और दूरदराज क्षेत्रों को जोड़ने की इस परियोजना में 2000 कि.मी. लंबी ऐसी सड़कों के निर्माण का प्रावधान किया गया है जो सीमा सड़क या अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में आती हैं।
बंदरगाहों से सम्पर्क और तटवर्ती सड़कें: समुद्र तटवर्ती इलाकों में फैले स्थानों और महत्वपूर्ण बंदरगाहों को जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने 2000 कि.मी. लंबी सड़कों के निर्माण का आदेश दिया है।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे: यातायात और माल परिवहन के बेहतर प्रबंधन के लिए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण और विकास पर मुख्य रूप से जोर दिया जाएगा।
एनएचडीपी का बकाया कार्य: परियोजना के आखिरी खंड में 10,000 कि.मी. लंबी नई सड़क परियोजनाओं का निर्माण और रखरखाव किया जाएगा।