प्रधानमंत्री नहीं राष्ट्रसेवक

बचपन में रेलगाड़ियों में कभी चाय बेचनेवाले नरेन्द्र मोदी आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता और गरीबी से प्रधानमंत्री तक की उनकी जिंदगी की कहानी भारत के उदय की गतिशीलता और क्षमता को परिलक्षित करती है। भारत के राजनीतिक क्षितिज पर देदीप्यमान नक्षत्र के रूप में ऐसे छा गए कि बाकी सभी सितारों की चमक उनके आभामंडल के आगे फीकी दिखाई देने लगी।

प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह सर्व विदित है कि वह ४ घंटे से अधिक की नींद नहीं लेते। देर से सोते हैं सुबह तड़के उठ जाते हैं। मन और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वे नियमित रूप से योग करते हैं। यह सोच-सोचकर आश्चर्य होता है कि वे लगभग २० घंटों की व्यस्त दिनचर्या में एक बार भी उनके चेहरे पर किंचित थकान नहीं दिखाई देती। वे हमेशा तरोताजा दिखाई देते हैं। उनकी यह ऊर्जा शक्ति और सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने एक अलग पहचान बना ली है, जिससे विश्व स्तर पर उनके हर दम में एक नई शक्ति का अहसास कई देशों के राष्ट्रध्यक्ष महसूस करने लगे हैं। कर्मठ व्यक्तित्व के धनी नरेन्द्र मोदी अब अंतरराष्ट्रीय मंच के ‘रॉक स्टार’ बन चुके हैं। मोदी बेहद सधे हुए अंदाज में और थोड़े से शब्दों में अपनी बात कह जाने की अदभुत करिश्माई प्रतिभा के धनी हैं। वे विदेशों में सफल भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में अपनी विशिष्ट छवि बना चुके हैं। उन्होंने अनेक छोटे बड़े राष्ट्रों की संसदों में अपने सारगर्भित उद्बोधनों से वहां के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को मंत्रमुग्ध करने में सफलता पाई है।

एक संवेदनशील प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने नेपाल को संकट से उभरने के लिए सबसे पहले सहायता उपलब्ध कराई थी। इसे उनकी अतिशय विनम्रता ही माना जा सकता है कि वे केन्द्र की भाजपानीत राजग सरकार के संपूर्ण शक्ति संपन्न प्रधानमंत्री होने के बावजूद वे स्वयं को जनता का प्रधान सेवक कहलाना ही पसंद करते हैं। उनका स्वच्छता अभियान केवल दूसरों के लिए नहीं है। वे स्वयं भी झाडू लेकर सडक़ बुहारने से परहेज नहीं करते और राजधानी दिल्ली में हजारों स्कूली छात्रों के साथ योगासन करने से भी उन्हें गुरेज नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘पॉवर ड्रेसिंग’ में यकीन रखते हैं। अभिजात्य शैली का उनका रहन-सहन कई बार आलोचना का विषय बन जाता है परंतु मोदी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी भव्य पोशाकों को लेकर कोई उनके बारे में कैसी राय रखता है। उनकी पोशाक मेंं आपको निश्चित रूप से भव्यता दिखाई देगी परंतु यह भी एक हकीकत है कि मोदी की भव्य पोशाक उनके आकर्षक व्यक्तित्व में चार चांद लगा देती है। वे समय और मौके के अनुसार अपनी पोशाक निर्धारित करते हैं। आखों पर धूप का चश्मा चढ़ाकर मोदी सेल्फी भी लेते देखे गए हैं। देश में आधी बांह का कुर्ता मोदी की सर्वकालीक प्रिय पोशाक रही है। मोदी कैसी भी पोशाक धारण करें वह सुर्खियों का विषय बन जाती है।

मोदी की भव्य पोशाकों ने उनके विदेशी दौरों के समय बाहर के मीडिया में भी जगह बनाई है। न्यूयार्क टाइम्स ने मोदी के आकर्षक पहनावे और उनकी स्टाइल को अध्ययन का विषय बताते हुए लिखा है कि ‘भारत में आम तौर पर नेता अपने अंतरराष्ट्रीय समकक्षों की तुलना में परिधान को बेहतर संवाद का जरिया समझते हैं ऐसे में मोदी का अंदाज अलग है। पूरी तरह से और रणनीतिक तौर पर भी।’ वाशिंगटन पोस्ट ने तो एकदम आगे बढ़कर मोदी ड्रेस स्टाइल की सराहना की है। टाइम पत्रिका ने नरेन्द्र मोदी को भारतीय फैशन की बड़ी हलचल बताते हुए कहा है कि ‘उनका छोटा ट्यूनिक हो या मोदी कुर्ता मोदी अपने स्टाइल बोध में सबसे अलग लग रहे हैं।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने १७ सितंबर १९४८ को गुजरात में जब श्री दामोदरदास मोदी के घर जन्म लिया था तब घर की माली हालत ठीक नहीं थी। बालक नरेन्द्र थोड़ा बड़ा हुआ तो रेलगाडियें में चाय बेचकर जीविकोपार्जन में अपने पिता की मदद करने लगा। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं बताते हैं कि उनकी मां घर का खर्च चलाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन साफ करने का काम करती थीं। यह सारा संघर्ष केवल इसलिए उन्होंने किया होगा क्योंकि शायद उन्होंने बेटे नरेन्द्र के हाथों की लकीरों में छिपे उनके यशस्वी जीवन का पूर्वानुमान उनके बचपन में ही लगा लिया था। माता के इस त्याग, तपस्या का बेटे नरेन्द्र के कोमल हृदय पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने कुछ बन दिखाने की ठान ली।

संघर्षों में पले बढ़े बालक नरेन्द्र को बचपन में स्वयं भी यह अनुमान नहीं रहा होगा कि अपने जिन हाथों में चाय की केटली लेकर वे रेल गाडियें में घूमा करते हैं एक दिन वहीं हाथ नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। लेकिन जुनून, जज्बे, दृढ़ संकल्प और विलक्षण इच्छा शक्ति के धनी नरेन्द्र की मदद के लिए तो ईश्वर पहले से ही तैयार बैठा था। बालक नरेन्द्र को यशस्वी जीवन का वरदान देकर ही ईश्वर ने पृथ्वी पर भेजा था और एक दिन ऐसा आ ही गया जब नरेन्द्र से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बन कर वे भारत के राजनीतिक क्षितिज पर देदीप्यमान नक्षत्र के रूप में ऐसे छा गए कि बाकी सभी सितारों की चमक उनके आभामंडल के आगे फीकी दिखाई देने लगी।

रेलगाडियें में घूम-घूमकर चाय बेचने वाला बालक आज विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से ‘मैन ऑफ एक्शन’ के संबोधन से सम्मानित हो चुका है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में ‘टाइम’ पत्रिका में लिखा ‘नरेन्द्र मोदी ने अपने बाल्यकाल से अपने परिवार की सहायता करने के लिए अपने पिता की चाय बेचने में मदद की थी। आज वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता और गरीबों से प्रधानमंत्री तक की उनकी जिंदगी की कहानी भारत के उदय की गतिशीलता और क्षमता को परिलक्षित करती है।’

प्रधानमंत्री मोदी के इन ६७ वर्षीय जीवन सफर में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। उन्होंने संघर्ष करते हुए ही जीवन के लगभग चार दशक गुजार दिए हैं लेकिन उनके चेहरे पर कभी थकान के चिह्न तक नहीं नजर आए। अब तक की जीवन यात्रा के हर पड़ाव पर उन्होंने शक्ति अर्जित की है और आगे बढ़ गए हैं। स्नातकोत्तर तक शिक्षित नरेन्द्र मोदी के भाषणों और व्याख्यानों में उनके गहन अध्ययन मनन और चिंतन की झलक आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। उनमें श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने की अद्भुत क्षमता है। देश के अंदर ही नहीं विदेशों में भी उनके विचार सुनने के लिए बड़ी संख्या में आप्रवासी भारतीयों की भीड़ जुटती है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी वे पूरी तरह भारतीय होते हैं। उनके पास विदेशी राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षें को अपना बना लेने की ऐसी चुम्बकीय शक्ति मौजूद है जिसे देखकर उनके विरोधी भी दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। अपनी बात को वे इतने सधे हुए अंदाज से कहते हैं कि सामने वाले को सहमत होना ही पड़ता है। उनके अंदर मौजूद इस कला को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी स्वीकार किया है। डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार अपने बयान में कहा था कि मोदी उनसे बेहतर ईवेंट मैनेजर हैं।

विदेशों से तो मानो प्रधानमंत्री मोदी का चोली-दामन का रिश्ता रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री पद की बागड़ोर संभालने से लेकर देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने तक वह कई बार ऐसे विवादों में घिरे हैं जो किसी भी राजनेता के मन का सुकून छीन सकते थे परंतु मोदी तो मानो विवादों से जूझने की कला में इतने पारंगत हैं कि उनके विरोधी भी आश्चर्यचकित रहते हैं। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है कि मानो विवादों को वे स्वयं आमंत्रित करते हैं और फिर उसका भरपूर लुत्फ उठाते हैं। यह भी कैसा विरोधाभास है कि मोदी बोलते हैं तब भी विवाद छिड़ जाते हैं और अगर वे मौन धारण कर लेते हैं तब उनका मौन भी विवाद का विषय बन जाता है। लेकिन मोदी तो मोदी हैं उन्हें आप मौन तोड़ने के लिए विवश नहीं कर सकते और जब ऐसे प्रयासों में उनके विरोधियों को असफलता हाथ लगती है तो मोदी शायद अंदर ही अंदर मुस्कुरा रहे होते हैं और उनके विरोधियों की खीज चरम पर पहुंच चुकी होती है। एक बार वर्तमान प्रधानमंत्री ने एक प्रमुख राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक के साथ साक्षात्कार में कहा भी था कि आप हर मुद्दे पर मुझसे प्रतिक्रिया देने की अपेक्षा नहीं कर सकते। जब आवश्यक होता है तभी मैं अपनी प्रतिक्रिया देता हूं।

हमेशा ही विवादों से घिरे रहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया के बेताज बादशाह हैं। सोशल मीडिया का उपयोग वे जनता से संवाद कायम रखने के लिए नियमिल रूप से करते हैं। वे विश्व के किसी भी कोने में हो परंतु देश के अंदर की हर छोटी बड़ी घटना पर उनकी पैनी निगाह रहती है। कला, संस्कृति, खेल, विज्ञान, शिक्षा आदि किसी भी क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित करने वाली प्रतिभाओं को चंद मिनटों के अंदर ही सोशल मीडिया के जरिए अपना बधाई संदेश भेज देते हैं। इतना ही नहीं उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाली विशिष्ट प्रतिभाओं को वे निवास या किसी अन्य भवन में स्वयं सम्मानित भी करते हैं। ट्विटर और फेसबुक पर लोकप्रियता के मामले में मोदी विश्व के दूसरे सबसे बड़े राष्ट्राध्यक्ष हैं। गौरतलब है कि मोदी से आगे केवल अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा रहे हैं। प्रधानमंत्री समय के साथ चलते हैं, नए रीति-रिवाजों में पूरी दिलचस्पी लेते हैं। सोशल मीडिया से उनका जुड़ाव तो जगजाहिर है परंतु जब वे स्मार्टफोन पर सेल्फी लेते दिखाई देते हैं तो आप मुस्कुराए बिना नहीं रह सकते। वे नई पीढ़ी से यही अपेक्षा रखते हैं कि वह संचार के नए-नए संसाधनों का भरपूर उपयोग करें। याद कीजिए, प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के चुनावों में युवकों से प्रश्र किया था कि क्या वे अपने हाथों में एन्ड्रायड-वन लेकर चलना नहीं चाहते। तब उनके इस अंदाज ने युवकों को सम्मोहित कर लिया था।

मोदी की इसी अद्भुत कार्यशैली के कारण वे सारे राजनेताओं के बीच अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुए हैं।
अपने अभी तक के कार्यकाल में लगभग २५ से अधिक देशों के राजकीय प्रवास पर जा चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पर्याप्त सम्मान मिला है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने मोदी के उस प्रस्ताव को स्वीकार करने में तनिक भी देर नहीं लगाई जिसमें उन्हें २१ जून को प्रति वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का अनुरोध किया था। भारत में तो योग दिवस के आयोजन में स्वयं प्रधानमंत्री ने भी भाग लेकर यह साबित कर दिया कि वे जो कहते हैं उसे पहले वे स्वयं अपने जीवन में उतारते हैं। प्रथम योग दिवस को १०० से अधिक देशों में जो उत्सवपूर्ण आयोजन संपन्न हुए उन्हें मोदी की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि के रूप में आंकना गलत नहीं होगा।प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के बाद नरेन्द्र मोदी ने देश के दूरस्थ अंचलों में निवास करने वाली आबादी से संवाद कायम रखने के लिए रेडियो जैसे सर्वसुलभ संचार माध्यम का चयन किया और अब इस संचार माध्यम के जरिए समाज के हर तबके से बारी बारी से अपने मन की बात साझा करते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने स्कूली बच्चों से मुलाकात के एक अभिनव कार्यक्रम में हिस्सा लेकर बच्चों की शंकाओं का समाधान कर उन्हें संदेश दिया कि आगे चलकर उन्हें ही राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठानी है।

प्रधानमंत्री मोदी एक सिद्धहस्त लेखक और संवेदनशील, सहृदय कवि भी हैं। उनके गद्य में जहां उनके चिंतन की गहराई के दर्शन किए जा सकते हैं वहीं उनकी कविताओं को पढकऱ आप यह सोचने पर विवश हो जाएंगे कि एक सख्त प्रशासक और कूटनीतिक कौशल का धनी राजनेता आखिर अपने अंतर्मन में इतनी सुकुमार भावनाओं का पोषक कैसे बन सकता है? उनकी कविताओं में प्रकृति के सारे रंग बिखरे हुए हैं। उनकी कविताओं को पढ़कऱ आप को यह आश्चर्य जरूर होगा कि आखिर लाखों की भीड़ आकर्षित करने में समर्थ हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री को एकान्त साधना के लिए इतना वक्त किस तरह मिल पाता होगा? शायद मोदी के अंदर में कवि की रचनाधर्मिता कभी विश्राम का नाम नहीं लेती। मोदी की कविताएं मन की अतल गहराइयों का स्पर्श करने में सक्षम हैं।

मोदी कविताओं में छिपे भाव उनके स्वभाव से परे दिखाई देते हैं। उनकी किसी भी कविता को पढ़कऱ उसमें छिपे भावों को समझने के लिए आपको मस्तिष्क पर जोर डालना ही होगा। प्रधानमंत्री की सारी कविताएं दिल और दिमाग दोनों पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। मोदी की काव्य कला बहुआयामी है। उनमें देश प्रेम और प्रेम दोनों दिखाई देते हैं। मोदी के दृढ़निश्चयी स्वभाव और अंतर्मन की उथल-पुथल को भी प्रतिबिंबित करती हैं उनकी कविताएं। मोदी के अंदर नेता धीर गंभीर कवि श्रमेव जयते का उद्घोष भी करता है और मां भारती का अनन्य उपासक भी है। उसे टूटना मंजूर है पर झुकना उसके स्वभाव में नहीं। जो लोग यह मान बैठे हैं कि मोदी के मन की आह को छू पाना आसान नहीं है उनसे मेरा निवेदन है कि मोदी की कविताओं को जरूर पढ़े, बार-बार पढ़े और शांत एकाग्र मन से उनमें छिपे भावों को पढ़ने की चेष्टा करें। मूल रूप से गुजराती भाषा में लिखी गई उनकी कविताओं के अनेक संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और उनका हिन्दी में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। अब तक मोदी की १० किताबें प्रकाशित होकर बाजार में आ चुकी हैं।

प्रधानमंत्री मोदी विशुद्ध शाकाहारी है। ईश्वर में उनकी दृढ़ आस्था है। नियमित रूप से ईश्वर की आराधना करते हैं। नवरात्रि में उपवास रखते हैं और मात्र नीबू पानी ग्रहण करते हैं। गत वर्ष जब वे अमेरिका प्रवास पर गए थे तब उनके स्वागत सत्कार के लिए दर्जनों प्रकार के सलाद व्यंजन स्वयं राष्ट्रपति की पत्नी मिशेल ओबामा की निगरानी में तैयार कराए गए थे परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने केवल नीबू पानी ग्रहण कर सबको हतप्रभ कर दिया था। शाकाहार और संयमित जीवन मोदी की अंतर्गत अपार ऊर्जा का प्रमुख स्रोत रहे हैं।

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