सामाजिक न्याय के लिए कटिबद्ध सरकार

 

वर्तमान सरकार के तीन वर्षों के सुशासन में सामाजिक न्याय मंत्रालय ने भी अपने अच्छे कार्यों के कारण खूब सुर्खियां बटोरी। इस मंत्रालय के मंत्री थावरचंद गहलोत ने जहां एक तरफ कौशल विकास के प्रति युवाओं का रुझान आकर्षित करने की दिशा में कार्य किया वहीं प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘दिव्यांग‘ पर विशेष ध्यान दिए जाने को भी प्रमुखता दी। दिव्यांगों के लिए किए जाने वाले उनके कार्यों ने आम जनता के बीच काफी लोकप्रियता भी पाई। प्रस्तुत है हिंदी विवेक से हुई बातचीत का संपादित अंश :

विगत तीन वर्षों में आपके मंत्रालय ने सामाजिक न्याय को मूर्त रूप देने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं?
हमने शैक्षिक सशक्तिकरण हेतु छात्रवृत्ति योजनाएं, एससी के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप, ओबीसी के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप, शिक्षा ऋण आदि शुरु किया है।
आर्थिक सशक्तिकरण के अंतर्गत १,७२,७५० उम्मीदवारों के कुल लक्ष्य के मुकाबले निगमों ने १,५४,९६६ उम्मीदवारों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया है।
सामाजिक सशक्तिकरण हेतु सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, १९५५ और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, १९८९ का कार्यान्वयन करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष २०१४-१५ और २०१५-१६ के दौरान ७३४८९ लाभार्थियों को २६६.४६ करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई। .

मंत्रालय के द्वारा विगत तीन वर्षों में किए गए विधायी उपायों की जानकारी दें।
मंत्रालय के द्वारा कुछ प्रमुख उपाय किए गए हैं। जैसे कि दो संवैधानिक संशोधन विधेयक अधिनियमित किए गए हैं जिनमें से एक विधेयक केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, त्रिपुरा राज्यों के संबंध में अनुसूचित जाति (एससी) आदेश, १९५० में मौजूदा प्रविष्टियों में पर्याय १० और जातियों को शामिल करने के लिए और दूसरा विधेयक हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा राज्यों तथा दादरा व नागर हवेली संघ राज्य क्षेत्र की ९ जातियों को अनुसूचित जाति आदेश, १९६२ में शामिल करने के बारे में है।
बजट सत्र २०१६ के दौरान संसद ने संविधान अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) अधिनियम २०१६ पारित किया है जिसके द्वारा हरियाणा, केरल, छत्तीसगढ़ के कुछ समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया गया है। साथ ही पश्चिम बंगाल के चैन समुदाय उड़ीसा के नामत: बैरीकी और कुम्मारी को उक्त सूची से हटा दिया गया है।
लाभार्थियों को सिंगल विंडो सुविधा प्रदान करने और उन्हें अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए एनबीसीएफडीसी ने राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) के माध्यम से तीन लाख से अधिक ओबीसी आवेदकों को लाभ देने की दृष्टि से आज की तारीख तक ३०० करोड़ रुपए की ऋण राशि संवितरित की है। निगम ने बकाया देय राशि की वसूली में सुधार लाने की दृष्टि से एक ई-ट्रैकिंग साफ्टवेयर तैयार किया है।
एनबीसीएफडीसी कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदत्त लाभार्थियों के ब्यौरों को वेब के साथ जोड़ने के लिए एक साफ्टवेयर विकसित कर रहा है ताकि उन्हें बेहतर विजेबिलिटी मिल सके और उनकी आजीविका के अवसरों में वृद्धि हो सके।
एनआईसी/एनआईसीएसआई प्रचालन क्षमता में सुधार लाने, पारदर्शिता, देरी में कमी लाने और लक्ष्य समूह के लोगों को सेवाओं की सुपुर्दगी करने के कार्यों से जुड़े प्रयासों के संबंध में एनएसएफडीसी के लिए एक ’वेब आधारित ऋण लेखा प्रबंधन साफ्टवेयर’ विकसित कर रहा है।
सरकार ने १५ जनपथ, नई दिल्ली में १९५ करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से डॉ० अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना करने का अनुमोदन प्रदान किया है। इस ’केन्द्र’ का शिलान्यास १५ जनपथ, नई दिल्ली में २० अप्रैल, २०१५ को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया था।

कल्याणकारी योजनाओं की आम आदमी तक शीघ्र पहुंच के लिए आपके मंत्रालय द्वारा क्या प्रयत्न किए जा रहे हैं?
प्रक्रिया समय को कम करने तथा पारदर्शिता लाने के लिए स्वैच्छिक संगठनों को सहायता अनुदान प्रदान करने की संपूर्ण प्रक्रिया को वर्ष २०१४-१५ से ऑनलाइन किया गया है। ऑनलाइन सिस्टम करने के पश्चात तथा इलेक्ट्रानिक संचार माध्यमों यथा मेल, एसएमएस, टेलीफोन कॉल आदि का उपयोग करके हमने इस प्रक्रिया में लगने वाली देरी को कम कर दिया है।

कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार और क्रियान्वयन में गैर-सरकारी संस्थाओं की भूमिका को किस प्रकार से देखते हैं?
गैर सरकारी संगठनों को सहायता राशि जारी करने के तरीकों में अधिक पारदर्शिता और तेजी लाने के लिए २०१४-१५ से ऑनलाइन कर दिया गया है। इस प्रणाली के अनुसार, गैर सरकारी संगठनों और राज्य में में आवेदनों की प्रोसेसिंग से मंत्रालय द्वारा केंद्रीय सहायता जारी करने तक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया है।
जब अनुदानग्राही संगठन कथित रूप से अनुदानों का दुरुपयोग करता है तो तत्काल सहायता अनुदान की रिलीज निलंबित कर दी जाती है। मंत्रालय के अधिकारी द्वारा अथवा संबंधित राज्य सरकार के अधिकारी द्वारा जांच की जाती है। दोष साबित होने पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाती है।

स्टैंड अप इंडिया अभियान का मूल क्या है?
मंत्रालय ने अनुसूचित जातियों के बीच उधमशीलता को प्रोत्साहित करने और उन्हें रियायती वित्त उपलब्ध करवाने के लिए, वेंचर कैपिटल फण्ड योजना रु. २०० करोड़ की शुरुआती पूंजी से १६ जनवरी २०१६ से चालू किया है। इसके तहत अब तक ६० लाभार्थियों को रू. २२८.५६ करोड़ की मंजूरी दी गई है तथा १ दिसंबर २०१६ तक २१ लाभार्थियों को रू. ८७ करोड़ का भुगतान कर दिया गया है।

आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग जोर पकड़ रही है सरकार का क्या रुख है?
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने का.ज्ञा. दिनांक २५.०९.१९९१ द्वारा सेवाओं में आर्थिक आधार पर १० प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था, परंतु माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने दिनांक १६.११.१९९२ के इंद्रा साहनी बनाम भारत सरकार एवं अन्य के वाद में इसे संविधान सम्मत नहीं पाया और रद्द कर दिया।

निजी क्षेत्र में आरक्षण पर सरकार का क्या स्टैंड है? कब लागू करेगें ?
सरकार प्राइवेट सेक्टर में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए सकारात्मक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

सुगम्य भारत अभियान की मुख्य उपलब्धियां क्या हैं?
इस अभियान के लिए ५० शहरों का चयन किया गया है। संबंधित राज्य सरकारों से उन नागरिक केन्द्रित सार्वजनिक भवनों की सूची भेजने का अनुरोध किया गया है, जिनका दिव्यांग जनों के दैनिक जीवन पर अधिकतम प्रभाव पड़ता है और जिन्हें सुगम्य बनाया जाना है।
सरकारी वेबसाइटों की सुगम्यता एवं आईटी हार्डवेयर और साफ्टवेयर की खरीद में आवश्यक सुगम प्रावधानों हेतु सार्वजनिक खरीद नीति में परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता के प्रयास किए जा रहे हैं। टी.वी. कार्यक्रमों की सुगम्यता एवं प्रसारण सुगम्य भारत अभियान के आवश्यक लक्ष्य हैं।
पेयजल एंव स्वच्छता मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक में यूनिसैक्स शौचालयों का निर्माण किया जाए।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने विभिन्न प्रकार के सगंठनों में समावेश और सुगम्यता का परिमापन करने हेतु एक सूचकांक प्रचार किया है। सूचकांक एक शैक्षणिक और महत्वांकाक्षी औजार है जो किसी संगठन में दिव्यांग जनों की समावेशिता और सुगम्यता की वर्तमान स्थिति का आकलन करता है तथा दिव्यांग जनों/अन्य व्यक्तियों के लिए सहायता, समावेशिता और सुगम्यता में वृद्धि करने के उत्तरोत्तर कदम उठाने के लिए मार्गदर्शन करता है।

भारतीय कृत्रिम अंग विनिर्माण निगम के बारे में जानकारी प्रदान करें।
भारतीय कृत्रिम अंग विनिर्माण निगम कृत्रिम अंगों, इसके भागों और पुनर्वास उपकरणों का सबसे बड़ा विर्निमाता है।
एलीमको आईएसओ ९००१-२००८ कम्पनी एक केन्द्रीय पब्लिक सेक्टर यूनिट है जो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के संरक्षण में कायर्ं कर रही है। वर्ष १९७२ में निगमित एलीमको वर्ष १९७६ से दिव्यांग जनों के सहायक यंत्रों के निर्माण आपूर्ति/वितरण में लगे हैं।
एलीमको ने अभी तक सम्पूर्ण देश के ३३ राज्यों/केन्द्र शासित
प्रदेशों में ६०० जिलों और ५६०० ब्लॉकों में लगभग ४० लाख दिव्यांग जनों को सहायक यंत्र उपलब्ध कराये हैं। एलीमकों की उत्पादन श्रेणी में ३५ श्रेणियां प्रभावी एवं क्वालिटी सहायक यंत्र है जिसमें ३६० वेरियेन्ट्स है।, जिनमें लगभग आर्थोपेडिकली, विजुअली, हियरिंग एवं मैटली इम्पेयरड व्यक्ति के लिए सहायक यंत्र एवं उपकरण शामिल हैं।
पिछले दो वर्षों के दौरान निगम ने कुल बिक्री में बड़ी मात्रा में बृद्धि देखी और १२८ प्रतिशत का उल्लेखनीय विकास दर्ज किया। कम्पनी का निवल मूल्य जो वित्त वर्ष २०१०-११ तक नकारात्मक रहा, वित्त वर्त्र २०१२-१३ के अंत तक लगभग ३४.०० करोड़ तक सकारात्मक हो गया।
निगम वर्तमान में हाईटेक वेल्यू एडिड एसिसटिंग एडवांस तकनीक सहित स्टेट ऑफ आर्ट आधारभूत संरचना को अपनाकर, प्लांट/मशीनरी अपगे्रडिंग, आटोमेटिड प्रोडक्ट लाइन्स एक्सपेंडिंग निर्माण बेस को स्थापित करके, पूरे देश में सर्विस केन्द्र स्थापित करके, आपूर्तिक्रम प्रणाली को सुचारु बनाकर तथा दिव्यांग जनों के लाभार्थ अन्य उद्देश्यों से सम्पूर्ण देश में बड़ी संख्या में लोगों को स्टेट ऑफ आर्ट तकनीक वाले सहायक यंत्र उपलब्ध कराकर इसके बिजनेस को बढ़ा रहा है।
एडवांस मोबिलिटी यंत्र के लिए मै० मोटिवेशन के साथ समझौता हुआ है। कृत्रिम अंग निर्माण के लिए मै० आटोबाक जर्मनी के साथ यूके समझौता, निगम के ’’मेक इन इंडिया’’ के अंतर्गत किया गया है। यह अनुमान है कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट के पूरा होने पर निगम सम्पूर्ण देश में लगभग ६ लाख लाभार्थियों को लाभ पहुंचा पाएगा। वर्तमान में निगम द्वारा १९५७ लाख लाभार्थियों को लाभ पहुचांया जा रहा है।

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