धूएं से आजादी

हर घर को एलपीजी कनेक्शन देने वाली उज्ज्वला योजना महिलाओं को स्वच्छ तथा स्वस्थ पहचान देने के साथ ही धुआं रहित वातावरण, प्रदूषण में कमी और स्वच्छ जीवन देने में भी मील का पत्थर साबित हो रही है।

धुआं- धुआं होती रही जिंदगी.
धुआं-धुआं उड़ती रही जिंदगी
करना चाहे दिल उनकी बंदगी
जिसने की दूर धुएं से यह जिंदगी॥

१ मई, सन २०१६ से पहले वास्तव में भारत के १० करोड़ परिवारों की महिलाओं का जीवन दो जून की रोटी पकाने की जुगत में धुआं- धुआं ही होता रहा। लकड़ी, फूस, गोइंठा और कच्चे ईंधन में खाना पकाना और रोज परिवार का पेट भरना किसी मिशन से कम नहीं होता था। घरेलू चूल्हे से निकलने वाला धुआं ना केवल खाना बनाने वाली महिला के आंखों, फेफड़ों के लिए नुकसानदायक था बल्कि आसपास के वातावरण को भी प्रदूषित कर देता था। वर्तमान मोदी सरकार ने देश के हर नागरिक को खाना, कपड़ा, आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में संकल्प के साथ ही उनके जीवन स्तर के सुधार हेतु विभिन्न योजनाएं बनाई हैं जिनका सफल क्रियान्वयन भी देखने को मिला मिल रहा है। भारत का दिल गांव में बसता है और गांवों में आजादी के लगभग सात दशक बीतने के बाद भी बदहाली और असुविधाओं का ही बोलबाला है। बात चाहे स्वच्छता की हो या शिक्षा रोजगार की, सबका गांवों में अभाव है इस अभाव को दूर करने के लिए ही सरकार बनने के बाद से नरेंद्र मोदी जी ने आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों से गैस की सब्सिडी छोड़ने का देशव्यापी आह्वान किया जिसके प्रभाव से एक करोड़ चार लाख से ज्यादा लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से १ मई, २०१६ मंं ५ करोड़ बी.पी.एल परिवारों को एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने हेतु उज्जवला योजना को प्रारंभ किया। हर घर को एलपीजी कनेक्शन देने वाली यह योजना महिलाओं को स्वच्छ तथा स्वस्थ रखने, एक विशेष पहचान देने के साथ ही धुआं रहित वातावरण, प्रदूषण में कमी और स्वच्छ जीवन देने में भी मील का पत्थर साबित हो रही है इस उज्जवला योजना का मुख्य मंत्र है – स्वच्छ ईंधन,बेहतर जीवन महिलाओं को मिला सम्मान। उज्जवला योजना के तहत पिछले वित्त वर्ष के दौरान २.२० करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन दिए गए। वैसे सरकार ने ३ साल में ५ करोड़ एलपीजी कनेक्शन देने का फैसला लिया था जिसमें से १ वर्ष में ही ६५ फ़ीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है। वर्तमान राजग सरकार के पूर्व देश में ५२ फ़ीसदी घरों में एलपीजी पर खाना बनता था लेकिन अगले २ वर्षों में यह आंकड़ा ९६ फ़ीसदी तक पहुंच जाएगा। महिलाओं को मात्र शिक्षा रोजगार से जोड़ना ही महिला सशक्तिकरण नहीं है बल्कि उन्हें बुनियादी सुविधाएं जैसे खाना पकाने हेतु ईंधन एवं घर में शौचालय उपलब्ध कराना भी आवश्यक है। और वर्तमान मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में लंबे-चौड़े आंकड़ों की तस्वीर पेश करने के बजाय इन्हीं छोटी-छोटी लेकिन बुनियादी सुविधाओं को हर महिला तक पहुंचाने का सफल प्रयास कर रही है। विशेषकर महिला सशक्तिकरण को सुनिश्चित कराने हेतु हर परिवार को महिला के नाम पर ही उज्वला योजना में कनेक्शन दिया जा रहा है साथ ही हर कनेक्शन पर सोलह सौ रुपए की सरकारी आर्थिक मदद दी जाती है गत वर्ष भारत में राष्ट्रीय स्तर पर उज्ज्वला योजना का प्रारंभ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, उड़ीसा और बिहार बंगाल में किया गया है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष तथा समाज सेवी डॉक्टर राकेश त्रिवेदी का कहना है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, उसी समय उन्होंने कहा था कि मैं भारतीय जनता का प्रधान सेवक हूं। मैं ऐसी गरीब मां का बेटा हूं जिन्होंने अंगीठी तथा लकड़ी के चूल्हे से भोजन बना कर खिलाया है ।
मेरी मां की तरह करोड़ों माताओं के आंखों से आंसू पोंछने का कार्य मेरी सरकार करेगी। इसी कड़ी में सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरूआत किया है। जब एक मां लकड़ी, कोयला तथा घास फूस से चूल्हा जला कर भोजन पकाती है तो ४०० से ५०० सिगरेट के बराबर धुएं को ग्रहण करती है सरकार ने गरीब महिलाओं को इस निमित्त सहयोग करके विकास की एक धारा बहाई है। आर्थिक रूप से उपेक्षित भारतीय परिवारों ने यह अनुभव किया है कि एकमात्र भाजपा सरकार ही है जो गरीबों के आंसू को पोंछ सकती है। अतः अधिकांश मात्रा में उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने अपना मत भाजपा को दिया है। समाजवादी पार्टी, वाराणसी-चंदौली के युवा नेता आनंदप्रकश सिंह उर्फ रंजन सिंह का कहना है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना संप्रग सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक योजना है। इसका वर्तमान सरकार ने अभी पैकेजिंग किया है। सरकार ने इसे बलिया से प्रारंभ किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीब महिलाओं को उज्जवला गैस वितरित किया। इस प्रकार की योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से हो तो जनहित में ठीक रहेगा। लेखक द्वारा यह पूछने पर कि क्या प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने वर्तमान विधानसभा चुनावों को प्रभावित किया ? जिसके कारण समाजवादी पार्टी की हार हुई। तो श्री सिंह का कहना था कि समाजवादी पार्टी के हार के अन्य कई कारण थे जिसमें से एक प्रमुख कारण प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना योजना को भी माना जा सकता है। सरकार ने प्रलोभन देकर मतों को प्रभावित किया है। इसमें दो राय नहीं है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र के विचार में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना महिला सशक्तिकरण के संबंध में एक क्रांतिकारी कदम है। नरेंद्र भाई मोदी ने यह कहा था कि हमारे देश के गरीब परिवार की महिलाएं लकड़ी से चूल्हा जलाते समय अनेक रोगों का शिकार हो जाती हैं। यह भारत के सशक्तिकरण के लिए ठीक नहीं है। ऐसा क्यों हो कि अमीर घर की महिलाएं रसोई घर में गैस प्रयोग कर स्वस्थ रहें तथा गरीब परिवार की अस्वस्थ हो। यह विचार अपने आप में क्रांतिकारी कदम है। प्रधानमंत्री ने देश के संभ्रांत एवं समृद्धि प्राप्त लोगों से सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया। एक करोड़ से अधिक लोगों ने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर छोड़ दिए। सरकार ने सब्सिडी द्वारा छोड़े गए सिलेंडर को गरीब महिलाओं को देना शुरू किया। उनका स्वाभिमान जगा, सशक्त हुए और इसका प्रभाव गरीब परिवार की महिलाओं पर पड़ा। उन्हें यह अपेक्षा जागी की उन्हें भी देर-सवेर गैस सिलेंडर मिल जाएगा। उत्तर प्रदेश-२०१७ के विधानसभा चुनाव में उन महिलाओं ने जाति संप्रदाय एवं धर्म से ऊपर उठकर भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया। नरेंद्र मोदी गरीबी उन्मूलन के यथार्थ प्रणेता के रूप में आए एवं गरीबों का उनपर विश्वास जागा। यह चुनाव ‘एक भारत,श्रेष्ठ भारत’ तथा ‘सबका साथ -सबका विकास’ के संकल्प को लेकर लड़ा गया। श्रीमती इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। वह एक स्वप्नलोक का विचार बनकर रह गया लेकिन नरेंद्र मोदी ने गरीबी हटाने का यथार्थवादी मॉडल प्रस्तुत कर व्यवहृत किया है। यह राष्ट्रीय एकता तथा अखंडता की दृष्टि से क्रांतिकारी कदम है । उज्जवला के लाभार्थियों ने यह साबित कर दिया है कि देश और प्रगति पथ पर चल पड़ा है। देश में निर्धन महिलाओं के सशक्तिकरण में यह एक अनूठा प्रयास है। देश की महिलाएं अब समझ रही हैं कि नरेंद्र मोदी विकास पुरुष हैं।

राजाजीपुरम् लखनऊ की पूजा मौर्य का कहना है कि मेरे ५ बच्चे-बच्चियां हैं। गरीबी में मैं कोयले से खाना बनाती थी जिसके कण से सारा घर काला हो जाता था। दाल, सब्जी तथा रोटी पर कोयले के कण उड़-उड़कर पड़ जाते थे। एक समाजसेवी ने कहा कि तुम बड़ी परेशानी के साथ भोजन बनाती हो। सरकार ने गरीब महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री उज्वला योजना का शुरु किया है। प्रयास करो, यदि तुम्हें यह मिल जाता है तो ठीक रहेगा। मैंने प्रयास किया । आज मेरे घर में उज्वला योजना के माध्यम से गैस कनेक्शन मिला है। अपने घर के सफेद कपड़े को दिखाते हुए कहती हैं, ‘देखिए देखिए, घर के कपड़े कितने साफ-सुथरे हैं जबकि यही कपड़े पहले काले हो जाते थे। ‘ गाजियाबाद की मीना सोनकर का कहना है, ‘मेरे पति रेहड़ी पर थोड़ा-बहुत धंधा करके कमा लेते हैं।

एक दिन वसुंधरा के गोसेवक रमेश पांडेय जी से भेंट हुई उन्होंने कहा कि दिनेश सोनकर की आमदनी कैसी है। मैंने बताया किसी तरह गृहस्थी चल रही है। अपने झुग्गी-झोपड़ी के आसपास तथा पार्को से लकड़ियां तोड़कर लाती हूं तथा उसी से भोजन पकाती हूं। चूल्हा फूंकते-फूंकते एक आंख चली गई और एक आंख से पानी गिरता रहता है पड़ोसी से २०० कर्ज लेकर दिखाने गई थी वहीं से अभी-अभी आ रही हूं। रमेश पांडेय जी के कहने पर मैं तथा मेरे पतिदेव उज्जवला योजना लाभार्थी कैंप गए। वहां से मुझे अब गैस मिल गया है । अब तो लकड़ी का झंझट समाप्त हो गया है । जब मन करे तब भोजन बनाओ । यह भाई रमेश पांडेय जी के कहने पर ही हुआ। मैं उनकी आजीवन आभारी रहूंगी।

Leave a Reply