आज के समय में जहां ज्यादातर लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सामान्य से ज्यादा समय सोने में बिताते हैं. ऐसे लोगों को दिन भर उनींदा सा महसूस होता रहता है. वे जम्हाई लेते रहते हैं और रोज सात-आठ घंटे की नॉर्मल स्लीप साइकल से ज्यादा दिन लेते हैं. यह उनके स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अच्छी बात नहीं है.
दरअसल अपर्याप्त नींद लेना या फिर सामान्य से ज्यादा सोना- दोनों की नींद संबंधी बीमारियों के संकेत हैं. अपर्याप्त नींद का प्रभाव हमारे शारीरिक स्वास्थ, हमारी मन:स्थिति, विचारों, संबंधों तथा हमारे कार्य निष्पादन पर पड़ता है.
मनोवैज्ञानिकों की राय में जो लोग किसी तरह की मानसिक समस्या, जैसे कि- अवसाद या तनाव से जूझ रहे होते हैं, उनमें प्राय: नींद न आने की समस्या देखने को मिलती है. फलस्वरूप वे स्लीप एपनिया, नार्कोलेप्सी आदि जैसी निद्रा व्याधियों से ग्रस्त हो जाते हैं.
इसी तरह से अधिक सोना भी हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा जैसी अन्य पाचन संबंधी समस्याओं तथा स्मृतिलोग जैसी संज्ञानात्मक समस्याओं का कारण हो सकता है. निद्रालोप की समस्या से ग्रस्त लोगों की तरह ही अधिक नींद लेनेवाले लोगों की मृत्यु दर उच्च होती है. मनोवैज्ञानिकों ने दिन के समय अधिक सोने की समस्या को हाइपर सोमनिया (Hypersomnia) की संज्ञा दी है. हालांकि किसी कारणवश कई दिनों या घंटों तक अगर कोई व्यक्ति नहीं सोया हो, तो जाहिर-सी बात है कि वह जब सोयेगा, तो लंबे समय तक सोया रहेगा. इस स्थिति को हाइपरसोमनिया की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है.
इस बीमारी के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:
– आमतौर पर सात-आठ घंटे से अधिक सोना
– सुबह अलार्म लगा होने पर भी उठने आलस महसूस करना
– बिछावन से निकलने और अपनी दिनचर्या शुरू करने में परेशानी
– पूरा नींद उनींदा महसूस करना
– लगातार जम्हाई लेते रहना और
– किसी चीज पर ध्यान स्थिर न कर पाना
हर व्यक्ति के नींद की जरूरत अलग-अलग होती है और वह कई कारकों पर निर्भर करती हैं :
– वंशानुगत समस्या, जिससे आपका सर्काडियन रिदम और आंतरिक निद्रा की प्रेरणा शामिल होती है.
– प्राय : 20-25 वर्ष की उम्र में सात-आठ घंटे की नींद और 50-60 वर्ष की उम्र में छह-साढे छह घंटे ही नींद पर्याप्त मानी जाती है.
– इंसान की सक्रियता का स्तर जितना अधिक होगा, नींद उतनी ही अधिक और लंबी आयेगी.
– बीमारी या कमजोरी होने पर भी नींद अधिक आती है.
– कई बार जीवन की कुछ परिस्थितियां भी हमारी नींद के लिए जिम्मेदार होती हैं, जिनकी वजह से हमें कम या अधिक नींद आती है.
अत: अगली बार जब आपको अधिक नींद आये, तो ध्यान दें कि कहीं ये हाइपरमेनिया के लक्षण तो नहीं हैं.
रघुनाथ बाळा काळे
2 अप्रैल 2019अछी बात है। मगर जिनकी उम्र ७८ वर्ष हो और नींद ज्यादा आती हो तो क्या करना? कृपया सलाह देंगे तो सभी को शिक्षा मिले।