पाकिस्तान की नीति पर हमला

आज सुबह तडके साढ़े तीन बजे भारत ने अपनी वायुसेना के मिराज विमानों की सहायता से पाकिस्तान पर लगभग 1000 किलो के बम गिराकर 300 आतंकवादियों का खात्मा कर पुलवामा अटैक का बदला ले लिया। यह हमला आतंकवादियों के एयरबेस के साथ ही पाकिस्तान की दोहरी नीति पर भी है क्योंकि अभी तक पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देने से मुकरता आया है। अब उसे अधिकृत रूप से यह कहना ही होगा कि जहां पर आतंकवादी हमले हुए हैं वहां आतंकवादियों के अड्डे थे या फिर भारतीय सेना द्वारा कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। अभी तक आतंकवादियों के माध्यम से भारत में हमले कराने वाला पाकिस्तान, जब भारत के द्वारा बदले की कार्रवाही की जाती थी तो अंततराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार बिलबिलाता था जैसे उसने कुछ किया ही न हो और भारत उस पर बेवजह हमला कर रहा हो। परंतु अब पाकिस्तानी सेना के द्वारा अधिकृत रूप से जब भारतीय वायु सेना की कार्रवाही के बयान आ रहे हैं इसका सीधा अर्थ यह है कि वे यह मानते हैं कि हमला हुआ है और अपरोक्ष अर्थ यह है कि वे आतंकवादियों के सरपरस्त हैं।

सुबह-सुबह यह खबर आते ही भारतीय आम जनमानस में खुशी की लहर है। भारत माता की जय के नारे सभी जगहों पर सुनाई दे रहे हैं। पुलवामा की घटना में शहीद हुए जवानों की खबर सुनने के बाद सभी भारतवासियों की एक ही भावना थी कि इसका प्रतिशोध लिया जाए। भारत के प्रधानमंत्री ने भी जनता को थोडा धैर्य रखने की सलाह देते हुए सेना को खुली छूट दे रखी थी कि वे अपने हिसाब से जगह और समय निर्धारित करें और इस घटना का मुंहतोड जवाब दें। सेना को खुली छूट देने के साथ ही प्रधानमंत्री ने त्वरित रूप से “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा हटाने, आयात पर 200 प्रतिशत का कर लगाने तथा पाकिस्तान का पानी रोकने जैसे कुछ कूटनीतिक निर्णय भी लिए। मोदी पहले भी कह चुके हैं कि यह नई नीति वाला भारत है। यह सही है कि परमाणु हथियारों के सम्बंध में हम ‘नो फर्स्ट यूज’ की नीति अपनाते हैं परंतु साधारणतया युद्ध जैसे जानमाल के नुकसान होनेवाले कार्यों में भी भारत ने कभी पहला कदम नहीं उठाया। इसी का फायदा पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से उठाता आया है और विभिन्न प्रकार के आतंकवादी हमले करता आया है। परंतु अब उसे इसका जवाब मिलने लगा है. ऊरी हो या पुलवामा, भारत की सेना की सेना ने आतंकवादी गतिविधियों का 10 दिन के अंदर बदला लिया है।

अब सवाल यह है कि क्या अभी भी भारत को केवल प्रत्युत्तर देने तक सीमित रहना चाहिए या आतंकवाद को खत्म करने के लिए कुछ बडे कदम उठाने चाहिए। इजराइल की तर्ज पर हाफिज सईद, मसूर अहमद जैसे आतंकवादियों को चुनचुन कर खतम करना ही होगा। साथ ही देश के अंदर इन आतंकवादियों का या आतंकी गतिविधियों को मदद करने वाले लोगों का सफाया करना भी उतना ही आवश्यक हैं। पुलवामा की घटना के बाद अलगाववादियों पर जिस तरह से मोदी सरकार ने कार्रवाही की है उससे यह साफ जाहिर है कि अब सफाई का काम न केवल सीमा पार शुरू हो चुका है बल्कि सीमा के अंदर भी शुरू है।

आश्चर्य की बात यह है इस सारी घटना के बाद विपक्ष और केजरीवाल जैसे लगों ने किसी सबूत की मांग नहीं की है। शायद उनका सेना पर विश्वास नहीं और वे इमरान खान की प्रेस कॉनफरेंस की राह देख रहे हैं।

 

This Post Has One Comment

  1. Neerja Bodhankar

    भारतीय सेना का शौर्यपूर्ण कार्य.????जहां तक आतंकवाद के खात्मे की बात आती है वो सेना,रक्षा विशेषज्ञों का विषय है।
    इसी के साथ एक बात और बताना चाहती हूँ यह लेख हमारी वायुसेना को सलाम देता लेख हैअतः अंतिम पंक्तियों में कौन क्या कह रहा हैये ना लिखते तो लेख ज्यादा गरिमामय होता।?

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