असहाय पशुओं को चाहिए सहारा

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भारत में पशुओं की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी होती जा रही है पर उस अनुपात में पशुचिकित्सकों की संख्या काफी कम है। लोगों का जीवन स्तर विकसित होने के साथ ही विगत दो दशकों से देश में कुत्ते, बिल्लियों समेत अन्य जानवर पालने का भी शौक बढ़ा है। इसलिए देशभर में पशु चिकित्सकों की नई पीढ़ी तैयार किए जाने की आवश्यकता है। 

गौशाला-पांजरापोल की आधुनिक आदर्श व्यवस्था

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 अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि गोशाला-पांजरापोल की आधुनिक आदर्श व्यवस्था कैसे की जाए और उन्हें स्वावलंबी व आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए? जिससे उन्हें गोशाला संचालन में आसानी हो और सहजता से वह गोसेवा कर पाए। जिसमें सभी प्रकार की अत्याधुनिक सुख सुविधा भी मौजूद हो।

समस्त महाजन की आकाशगंगा का धु्रव तारा – परेश शाह

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भगवान की कृपा से समस्त महाजन संस्था में बड़ी संख्या में परोपकारी सज्जनों की लम्बी श्रृंखला है और उनमें से ही एक चमकता सितारा है समाजसेवी परेशभाई शाह, जो अपने सामाजिक कार्यों से पृथ्वी रूपी आकाशगंगा में ध्रुव तारे की तरह चमक-दमक रहे हैं।

गाय: भारतीय संस्कृति का प्रतीक

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अनेक राज्यों में गाय और गोवंश संरक्षण के संबंध में अलग-अलग कानून बने हुए है इसलिए गोरक्षा के संबंध में ‘एक देश एक कानून’ की मांग तेजी से देश में होने लगी है। गोवंश रक्षा में अग्रणी भूमिका निभानेवाली समस्त महाजन संस्था इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रही है। संस्था का कहना है कि जैसे नेपाल के संविधान ने देश की बहुसंख्यक हिन्दू जनता की आस्था का सम्मान करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया है, उसी तर्ज पर भारत में भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।

गोरक्षा-राष्ट्र रक्षा

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गो रक्षा से राष्ट्र रक्षा संभव है इसलिए हमारे देश में संतों ने युगों-युगों से गो रक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया है। संतों ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देकर गो रक्षा में अपना अमूल्य योगदान दिया है। ध्यातव्य है कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मंगल पाण्डेय ने भी…

प्राकृतिक आपदा में ‘समस्त महाजन’ के राहत कार्य

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समस्त महाजन पिछले दो दशक से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। जैसे- जीव दया, पशु कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, मानव सेवा, गौ संरक्षण, ऑर्गेनिक खेती, संसाधन विकास, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन एवं बचाव कार्य आज में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। संस्था के योगदान को देखते हुए उसे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा भी जा चुका है।

गोवंश आधारित शाश्वत खेती और अर्थव्यवस्था

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गोवंश आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समस्त महाजन संस्था और भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड देश भर में गोपालन और गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए विशेष तौर पर कार्यरत है और भारत के पूर्वजों की परम्परा व धरोहर को आगे बढ़ा रही है। समस्त महाजन संस्था के नेतृत्व में जैन धर्म से जुड़े बहुतायत लोग जीवदया मामले में उल्लेखनीय कार्य कार्य रहे है जो समाज के लिए अनुकरणीय है और एक आदर्श भी है।

गोवंश रक्षा से होगा शुद्ध पौष्टिक दुग्ध उत्पादन

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देशी गाय का मिलावट रहित शुद्ध सात्विक पौष्टिक दूध हमारे बच्चों का अधिकार है और वह उन्हें किसी भी हाल में मिलना ही चाहिए। यह सरकार का भी परम दायित्व है कि वह शुद्ध दूध प्रत्येक भारतवासी को उपलब्ध कराये। स्वस्थ भारतवासी के आधार पर ही देश शक्तिशाली होगा और यह सर्वविदित है कि शक्तिशाली देश ही दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनने की योग्यता रखता है।

नारी राष्ट्र की आधारशिला

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टुकड़े-टुकड़े गैंग का एक हिस्सा नारीवादी संगठन हैं, जो महिला मुक्ति के नाम पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और समाज को तोड़ने के षड्यंत्र में लगी हुई हैं। महिलाओं और युवाओं को इनके नापाक मंसूबों से सतर्क होना चाहिए। सरकार को भी उनके खिलाफ उचित कदम उठाने चाहिए।

हमारा कर्तव्य

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इस साल पर्यूषण पर्व के अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा 6 अगस्त 2020 को वधशालाओं तथा मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी कर 11 अगस्त 2020 को आदेश को वापस ले लिया जो कानूनी परिधि के प्रतिकूल निर्णय था और यह देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।

केवल बछिया पैदा करने की जादुई तरकीब रक्षक या भक्षक?

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एक तरफ देश के कई राज्यों में गोवंश की हत्या को लेकर बड़े कानून बनाए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ देश में नर गोवंश पर  अपराध बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि मशीनीकरण की वजह से बैलों का प्रयोग करीब-करीब खत्म हो गया। लेकिन प्राकृतिक या ऑर्गेनिक खेती के बढ़ते प्रचलन से बैलों के प्रयोग की एक नई आशा जागी है।

ऑर्गेनिक खेती से होगा स्वस्थ व समृद्ध महाराष्ट्र

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सिक्किम की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशी गोवंश का संरक्षण, संवर्धन, गोचरभूमि को विकसित करने जैसे अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए। तभी महाराष्ट्र निरोगी स्वस्थ एवं समृद्ध हो सकेगा। इससे पर्यावरण की रक्षा व प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।

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