सरकार का चेहरा बदला, लक्ष्य नहीं

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मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार और समूचा फेरबदल ही इस बात का प्रतीक है कि मोदी विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं तथा नीतियों का फल 2019 तक सामान्य लोगों तक पहुंचाने को कितने कटिबद्ध हैं। इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अनावश्यक दूर की कौड़ी नांपना बेमानी है।

क्या है इस बजट में नया?

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अरुण जेटली का तीसरा बजट जटिल राजकोषीय परिस्थितियों और वैश्विक चुनौतियों के बीच शानदार राजनीति और बेहतरीन अर्थशास्त्र का मिश्रण है। ....देश में कुछ ही वित्त मंत्री ऐसे हैं जो ऐसी उपलब्धि का दावा कर सकते हैं, इसलिए यह बजट खास है।

बिहार की नई बयार अंदेशों भरी

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नितीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में बिहार में         महागठबंधन को तीन चौथाई से कुछ ही कम सीटों का बहुमत देने वाला जनादेश भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए भले अप्रत्याशित रहा हो लेकिन यह कोई बहुत बड़ा रहस्य नहीं है। वैसे दिल्ली में बैठे विश्लेषकों तथा चुनाव विशेषज्ञों को ‘विकास बनाम जंगल राज’ में काफी दम दिख रहा था और फिर मतदान के पहले हुए तमाम जनमत सर्वेक्षणों में भी विकास के एजेंडे पर मैदान में उतरे राजग की बढ़त का रूझान सामने आया था।

नए कदमों में तेजी लाने की चुनौती

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भारत जैसे विविधताओं भरे देश में सरकार चलाना अपने आप में इतनी बड़ी चुनौती है कि केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार की साल-दर-साल की चुनौतियों का विश्लेषण कुछ असंगत-सा है। आदर्श स्थिति यह है कि पांच वर्ष के लिए चुनी गईं सरकारों के कामकाज का लेखाजोखा उनके चुनावी घोषणापत्र के आधार पर पांच साल बाद किया जाए।

मोदी सरकार का एक वर्ष भरोसा और उम्मीद अभी बाकी है

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 ऊर्जा के क्षेत्र में भारत २२,५०० मेगावाट अधिक बिजली पैदा करने में सफल रहा है। हालत यह है कि सरकारी और निजी बिजली संयंत्रों में पैदा होने वाली बिजली की खरीद करने में राज्यों के बिजली बोर्ड फिसड्डी साबित हो रहे हैं। बिजली खरीद से बिजली बोर्डों का घाटा बढऩे के डर से लोडशेडिंग कर उपभोक्ताओं को उनके हाल पर छोड़ा जा रहा है। बिजली है पर खरीदार नहीं हैं। 

मीडिया के सात्विक तेजको लगा ग्रहण

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 भारत में मीडिया की वर्तमान दशा-दिशा के बारे में जोबात सबसे अधिक स्पष्ट है, वह यह है कि स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी ताकत, प्रतिबद्धता, समर्पण और निष्ठा के साथ भाग लेने वाला ‘प्रेस’ आज ‘मीडिया’ बन चुका है। सम

दिल्ली में जोखिम भरा नया दौर

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से एकाध दिन पहले दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि पार्टी के ६७ प्रत्याशी आश्वस्त हैं कि आम आदमी पार्टी (आआपा) से संघर्ष के बावजूद वे अपने निर्वाचन क्षेत्

बंगाल में बदलाव की तेज बयार

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पश्चिम बंगाल के बदनाम चिटफंड घोटाले में संलिप्तता के आरोप में राज्य के परिवहन और खेल मंत्री तथा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के ताकतवर नेता मदन मित्रा की गिरफ्तारी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसी गुस्साई हैं, वैसी तो वे इस घोटाल

पश्चिम बंगाल बचे तो बचेगा भारत!

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बर्दवान विस्फोट ने जाहिर कर दिया कि पश्चिम बंगाल अब मजबही आतंकवाद का मुख्य केंद्र बन गया है। बांग्लादेश के आतंकवादी संगठनों की शह पर अनगिनत मदरसे चल रहे हैं और आतंकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वामपंथियों ने वोट बैंक के खातिर जिस तरह मुस्लिम उग्रवादियों और घुसपैठियों को पनाह दी थी, उसी तरह ममता बैनर्जी की सरकार ने भी उन्हें अभयदान दिया है। यह खतरे की घंटी है।

नए जिहादियों की पुरानी विचारधारा

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‘लव जिहाद’ मात्र कल्पना की उपज नहीं है, न यह शब्द आज गढ़ा गया है। देशभर में विभिन्न राज्यों में हो रही ऐसी घटनाएं इसकी साक्ष्य हैं। जमियत-ए-उलेमा-ए-हिंद और शिया धार्मिक नेताओं ने ‘लव जिहाद’ को इस्लाम-विरूद्ध घोषित किया। ... इस्लाम की नई समन्वयवादी व्याख्याएं करने वाला तबका, कट्टर वहाबी विचारधारा के सामने अब अप्रासंगिक होने की कगार पर है। यह मुस्लिमों की चिंता एवं हिंदुओं की सतर्कता का मुद्दा है।

छोटी छोटी बातों की बड़ी कहानी

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से भाषण के तुरंत बाद कुछ प्रमुख समाचार चैनलों पर आयोजित चर्चा में उस भाषण का दिलचस्प विश्लेषण सुनने को मिला।

मिजाज क्यों बदला मोदी विरोधियों का

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सिर्फ खामोश ही नहीं हुए, हर ऐरे-गैरे और पिद्दी से पिद्दी मोदी विरोधी नेता के ऊल-जुलूल बयान बढ़-चढ़कर छापने और दिखाने वाले मीडिया के एक बड़े वर्ग ने अपने सुर क्यों बदल लिए?

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