लोकयज्ञ में शत प्रतिशत मतों की आहुति

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मतदान करते समय यह ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है कि मतदान किसे किया जा रहा है। मतदान की एक एक रात पहले किसी भी प्रकार के लालच में आकर मतदान करना अपने अगले पांच वर्षों का भविष्य गलत हाथ में देने जैसा है। अत: अपने विवेक कोजागृत रखकर मतदान करना ही श्रेयस्कर होगा।

आगे बढ़ें अपनी उन्नति के लिए

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समानता आने की यह प्रक्रिया बहुत लम्बी और निरंतर चलने वाली है, क्योंकि महिलाएं अगर आगे बढ़ रहीं हैं तो पुरुष भी रुके नहीं हैं, वे भी प्रगति कर ही रहे हैं, नए-नए आयाम विकसित कर रहे हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धा होना तय है, परंतु यह प्रतिस्पर्धा उचित मानकों पर होनी चाहिए। अंग्रेजी में इसे ‘हेल्दी कॉम्पीटीशन’ कहा जाता है।

विपक्ष का छूटता जनाधार

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जिस कांग्रेस को भाजपा की प्रमुख विपक्षी पार्टी माना जाता है, उसके अगुवाओं ने तो जैसे हथियार ही डाल दिए हैं। चुनावों से पहले जनेऊ पहनकर हिंदू होने का दिखावा करने वालों ने राम मंदिर के उद्घाटन में जाने से भी मना कर दिया। क्या वे नहीं देख रहे थे कि जनता राम मंदिर को लेकर कितनी उत्साहित है? क्या वे मंदिर से जुड़ी जनभावना को नहीं समझ पा रहे थे? क्या वे वही गलती नहीं दोहरा रहे थे जो पं. जवाहरलाल नेहरू ने सोमनाथ के समय की थी? सोनिया गांधी मूलत: भारतीय नहीं हैं।

दिव्य आदर्श का भव्य मंदिर

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अयोध्या पुन: अपने अलौकिक स्वरूप को प्राप्त करने जा रही है, भगवान श्रीराम पुन: अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं, भारत का आदर्श पुन: प्रस्थापित होने जा रहा है, अब भारतवासियों का यह कर्तव्य है कि इस आदर्श का हमेशा चिंतन करें और उसे अपने जीवन का अंग बनाकर उसके अनुरूप चलने का पूर्ण प्रयत्न करें।

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

भाऊ से भाई तक गोवा की राजनीति

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भाऊसाहब का सिद्धांत था कि प्रशासन लोकोन्मुख और केवल जनता की सुविधा के लिए होना चाहिए। यही सिद्धांत पर्रिकर ने अनेक वर्षों के बाद चलाया। इन सभी प्रयासों और ईमानदारी के कारण सन 2002 में हुए चुनाव में पार्टी के 17 विधायक विजयी हुए।

भारतीय चष्मे से देखें गोवा

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कुल मिलाकर मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत का यह लक्ष्य साफ दिखाई देता है कि वे गोवा को उसके सम्पन्न इतिहास के साथ विकास के उच्च पायदान पर ले जाना चाहते हैं और अपनी तीव्र इच्छाशक्ति, कर्तव्यपरायणता तथा गति के कारण उसमें सफल भी हो रहे हैं। केंद्र की सरकार का भी उनको पूर्ण समर्थन मिल रहा है। वे स्वयं कई बार यह कह चुके हैं कि डबल इंजन सरकार होने के कारण गोवा प्रगति पथ दौड रहा है।

…के दिल अभी भरा नहीं

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भारतीय घरों में बच्चे के जन्म से ही उसका नाता परिवार के सदस्यों के साथ-साथ हिंदी फिल्मी संगीत से भी जुड़ जाता है। लोरी, भजन, तीज-त्यौहार गाने, रोमांटिक और दर्द भरे गीतों से हमारे जीवन को संगीतमय करने वाले फिल्मी दुनिया से जुड़े सभी का आभार....।

उत्तेजक कंटेंट का सामाजिक दुष्प्रभाव

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चौबीस घंटे इंटरनेट की उपलब्धता के कारण आज मोबाइल पर जिस गति से कंटेंट आ रहा है, उस पर नियंत्रण रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि समाज में घटित हो रहे अपराधों के पीछे इस कंटेंट का बहुत बड़ा हाथ है। समाज में जागृति फैलाने के उद्देश्य से केंद्रीय सूचना आयुक्त…

एक दूसरे के सम्पूरक हिंदू-सिख

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हिंदू और सिख समाज एक दूसरे के लिए इतने पूरक रहे हैं कि दोनों ने एक दूसरे को कभी अलग नहीं माना। परंतु पिछले कुछ समय से इनके बीच दरार डालकर देश की शांति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि खालिस्तान की अवधारणा को बल मिल सके।

जी 20 : सनातन का प्रतिपादन

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भौतिक शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जब प्रिज्म पर सूर्य की किरण पड़ती है तो वह सात रंगों में विभाजित हो जाती है, अर्थात उससे इंद्रधनुष तैयार होता है। भौतिक शास्त्र का यह नियम अगर समाज शास्त्र या यूं कहें आज के समाज पर लगाया जाए तो सूर्य से निकलने वाली उस किरण की जगह होगी भारत की वर्तमान वैश्विक आभा से निकलने वाली किरण।

स्मार्ट सिटी: नकल नहीं दूरदर्शी सोच आवश्यक

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वर्तमान में नगरों से सम्बंधित एक शब्द प्रचलन में है, ‘स्मार्ट सिटी’। ध्यान से देखा जाए तो इस ‘स्मार्ट सिटी कॉन्सेप्ट’ में और हमारे प्राचीन ‘नगर नियोजन’ में कोई आधारभूत अंतर नहीं है। निश्चित रूप से हम उस समय के हिसाब से आज की नगरीय संरचना का विचार नहीं कर…

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