वैश्विक आतंकवाद – जड़ें काटी जाएं, पत्ते नहीं
वाद कोई भी हो, दुनिया को लाल या हरे रंग में रंगने के पीछे के पागलपन और स्वार्थों को निशाने पर लेना होगा। और कोई राह नहीं है। आवश्यकता है कि जड़ें काटी जाएं, सिर्फ पत्ते काटते जाने से कुछ नहीं होगा। ...जो इसे समझ रहे हैं, जो जाग रहे हैं उनकी ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी है। आतंकवाद की शुरुआत कहां से हुई कहना मुश्किल है। क्या इसकी शुरुआत ईसाई और मुस्लिम सत्ताओं के बीच एक हज़ार साल तक लड़े गए क्रूसेडों से मानी जाए, जब एक-दूसरे के शहर के शहर और गांव के गांव आग में भून डाले गए? या इसकी शुरुआत चंगेज़ खान, गोरी और गजनवी