भीम मीम के अंतर्तत्व को समझें समाज बंधु 

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“बाबासाहेब व मुस्लिम समुदाय” पर बहुत कुछ लिखा जाना अभी बाक़ी है, अभी यहां केवल मुस्लिम स्त्री विमर्श विषयक लेखन के संदर्भ में बाबासाहेब के विचार यहां समाहित किए जा रहे हैं। अब समय आ गया है,  हम “भीम-मीम” के नारे के दुराशयपूर्ण अंतर्तत्व को समझें व “भीम बाबा” की इच्छा के अनुरूप भारतीय मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन लाएं।

संघ के वैचारिक आधार श्री गुरुजी

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राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु श्री गुरुजी के दूरगामी प्रखर विचार आज भी प्रासंगिक हैं। जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय तथा गोवा को मुक्त कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहीं। श्री गुरुजी के वैचारिक शस्त्र से शत्रुओं को सबक सिखाया जाना चाहिए।

जनमानस का भाव संसार

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कानून के गलियारों से होते हुए राजनीतिक दांव-पेंच व खींचातानी को झेलते हुए आखिरकार संघर्ष पर विराम लगा। भव्य मंदिर का निर्माण हो  रहा है और उसमें रामलला विराजित होंगे। एक लम्बे समय के बाद, एक लम्बे संघर्ष के बाद हमारी सांस्कृतिक परतंत्रता समाप्त हुई। ये जनआंदोलन नहीं तो और क्या था।

क्षत्रियों के कुलनाशक नहीं समाज संगठक थे परशुराम

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वैशाख शुक्ल तृतीया अर्थात अक्षय तृतीया सनातन हिंदू समाज की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह दिवस केवल हमारे सकल हिंदू समाज के आराध्य भगवान् परशुराम के अवतरण का ही नहीं अपितु इसी दिन परमात्मा के हयग्रीव, नर नारायण और महाविद्या मातंगी अवतार का भी अवतरण दिवस है। वस्तुतः…

के. जी. बालकृष्ण आयोग : विचारों का क्रियान्वयन

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बाबासाहेब ने हिंदू दलितों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान दिया लेकिन उसका लाभ उसके मूल वर्ग को मिलने की बजाय उन्हें मिल रहा है जो अन्य धर्मों में मतांतरण कर चुके हैं। के. जी. बालकृष्ण आयोग उन्हें उनका खोया अधिकार…

भाजपा: वैचारिक धुंधकाल के निराकरण का तंत्र

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विमर्श या नैरेटिव के नाम पर भारत में एक अघोषित युद्द चला हुआ है। इन दिनों भारत में चल रहा विमर्श शुद्ध राजनैतिक है। राजनीति और कुछ नहीं समाज का एक संक्षिप्त प्रतिबिंब ही है। विमर्श में यह प्रतिबिंब विषय व समयानुसार कुछ छोटा या बड़ा होता रह सकता है।…

फिजी विश्व हिंदी सम्मेलन – वैश्विक हिंदी की दस्तक

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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन भारतेंदु हरिश्चंद्र विश्व हिंदी सम्मेलन, फिजी की चर्चा प्रारंभ करने से पूर्व एक व्यथा या विवाद की…

राजनैतिक दल डिलिस्टिंग के पक्ष या विरोध में ?

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जनजातीय मुद्दों पर प्रतिदिन अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले विभिन्न संगठन व राजनैतिक दल डिलिस्टिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे पर चुप क्यों हैं? स्पष्ट है कि वे कथित धर्मान्तरित होकर जनजातीय समाज के साथ छलावा और धोखा देनें वाले लोगों के साथ खड़े हैं. ये कथित दल, संगठन और एनजीओ…

मध्यप्रदेश में सख्त हो धर्मांतरण कानून

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यदि मध्यप्रदेश के सामाजिक ताने बाने, अर्थव्यवस्था, राजनैतिक वातावरण, व्यापार वयवसाय के पिछड़े होने की और इन सबसे धर्मांतरण के संबंध की चर्चा करें तो एक जनजातीय कहावत स्मरण मे आती है - तेंदू के अंगरा बरे के न बुताय के अर्थात दुष्ट व्यक्ति न स्वयं चैन से रहते हैं…

संघप्रमुख का कहा राष्ट्रवादी मुस्लिमों को स्वीकार

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"तोड़ दूंगा ये सारे बुत ए खुदा पहले यह तो बता तुझको इनसे इतनी जलन क्यों है। आए हैं कहां से ये बुत तेरी ही बनाए हुए पत्थरों और मिट्टियों से पहले यह तो बता की उन पत्थरों और मिट्टियों में क्या तू नही है?" किसी शायर का ये शेर…

सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि

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Indian farmer plowing rice fields with a pair of oxen using traditional plough at sunrise.
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23 दिसंबर: राष्ट्रीय किसान दिवस पर विशेष सुपर कृषक बनने का मार्ग: सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि देश में मोटे अनाजों की कृषि, उत्पादन व उपभोग को पर केंद्रित इस लेख के पूर्व यह कविता पढ़िए - यह रागी हुई अभागी क्यों? चावल की किस्मत जागी क्यों? जो…

बाबरी विध्वंस और मंदिर निर्माण की राष्ट्र यात्रा

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भारतीय राजनीति में 6 दिसम्बर का उल्लेखनीय महत्व है। इस दिन देश में हजारों सालों से हाशिए पर रहे वंचित वर्ग के उन्नायक डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस है। साथ ही, भारतीय संस्कृति के प्रतीक प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर हुए विदेशी अतिक्रमण को हटाने की शुरुआत भी इसी दिन हुई थी। बाबासाहेब द्वारा बनाए गए संविधान की छाया में आज भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य  हो रहा है।

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