तेरे बज्म में आनेसे ऐ साकी….

Continue Readingतेरे बज्म में आनेसे ऐ साकी….

‘उर्दू गजल’ के चाहनेवाले दिन-ब-दिन बढते ही रहे हैं; और यह बडी खुशी की बात है । इस में पुरानी फिल्मों के संगीत का बडा योगदान रहा है। संगीतकार मदनमोहन, नौशाद, सी. रामचंद्र जैसे कई महान संगीतकारों ने इस विषय में अपनी छाप छोडी है । जगजितसिंग, अनुप जलोटा, तलत…

दिल ही तो है….    

Continue Readingदिल ही तो है….    

 शायरी के शब्दों के पीछे भी गहरा मतलब छिपा रहता है इसलिए तो वह शायरी या कविता कहलाती है। वह गहरा अर्थ समझने पर ही पाठक को असली आनंद आता है। पुराने गीत अच्छी शायरी हुआ करती उर्दू शायरी में दिलचस्पी रखने वालों की संख्या आजकल कम नहीं है ।…

दर्द-ए-मलिका मीना कुमारी

Continue Readingदर्द-ए-मलिका मीना कुमारी

इत्तेफाकन् मैं आपके कंपार्टमेंट में चला आया; आपके पांव देखे; बहुत हसीन हैं इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएंगे.. पाकीजा फिल्म में राजकुमार का यह संवाद याद आता है? पाकीजा याने शुद्ध, पवित्र! एक नर्तकी के जीवन में एक ऐसा गबरू जवान आता है, जो उससे ‘रूहानी’ मुहब्बत…

मौसम है शायराना…

Continue Readingमौसम है शायराना…

चाहे बारिश कितना भी तूफान मचा दें; फिर भी बारिश का हर बरस इंतजार होता है। क्योंकि, बारिश है तो जीवन है। जीवन के विविध रंग है। प्यार-मुहब्बत, गीले-शिकवे, बचपन-यौवन, यहां तक कि बूढ़ापा भी बारिश है। देखिए, शायरों ने इसे इस अंदाज में अपनी शायरी में बांधा है कि दिल बाग-बाग-महाराजबाग हो जाता है।

एक बारिश ऐसी भी

Continue Readingएक बारिश ऐसी भी

कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे बारिश अच्छी नहीं लगती? शायर लोग तो बारिश को अपने मन में, अपने शब्दों में बचा कर रख सकते हैं; बार-बार उसका अनुभव करना चाहते हैं। कोई अगर वह पुराना मौसम ला सकता है, तो बदले में शायर कुछ भी कीमत देने को तैयार रहता है। पेश है उर्दू शायरों के बारिश पर कुछ चुनिंदे कलाम-

शायर निदा फाज़ली

Continue Readingशायर निदा फाज़ली

मशहूर शायर निदा फाज़ली हिंदी, उर्दू और गुजराती में लिखते थे। वे देश में एकात्मता के उद्घोषक थे। भारत का विभाजन उन्हें मंजूर नहीं था। विभाजन के बाद उनके माता-पिता पाकिस्तान चले गए, लेकिन उन्होंने हिंदुस्तान में ही रहना पसंद किया। उनके जाने से सूनापन तो आया; लेकिन उनकी शायरी एकात्मता और भाईचारे की रौनक जगाती ही रहेगी।

ऐ मेरे वतन के लोगों..

Continue Readingऐ मेरे वतन के लोगों..

      रामचंद्र नारायण द्विवेदी को जानते हैं आप? क्या? नहीं जानते?      अच्छा; आपने वह गाना सुना है; ऐ मेरे वतन के लोगों? हां ! यह गाना तो आपका फेवरिट गाना होगा। किसने लिखा था, याद है? बिल्कुल ठीक! प्रदीप! यही हैं हमारे रामचंद्र नारायण द्विवेदी! जिनका तखल्लुस था ‘प्रदीप’। फिल्मी दुनिया में वे इसी नाम से जाने जाते थे।

दिल ही तो है….

Continue Readingदिल ही तो है….

उर्दू शायरी में दिलचस्पी रखने वालों की संख्या आजकल कम नहीं है। इतनी दिलचस्पी लोगों को है कि आज वे उर्दू स्क्रिप्ट भी सीखना चाहते हैं। उर्दू शायरी में इश्क मोहब्बत के साथ साथ सामाजिक या सियासत पर भी टिप्पणी मिलती है। लेकिन इश्क-मोहब्

भीगे भीगे गीत, भीगी भीगी फिल्में

Continue Readingभीगे भीगे गीत, भीगी भीगी फिल्में

गर्मी का मौसम हम जैसा तैसा सह लेते हैं; है न? लेकिन मन में एक ही उम्मीद लेकर, कि अब आनेवाली है बरखा ॠतु। आकाश में जब छोटे मोटे बादल दिखने लगते हैं तो हमें खुशी होती है। एक बात यह तो है कि किसानों को फसल की चिंता रहती है।

भरोसा कहीं नहीं, सारा जहां हमारा

Continue Readingभरोसा कहीं नहीं, सारा जहां हमारा

पहली लाइन तो बिल्कुल सीधी प्रतीत होती है। उसमें काव्यगुण का अभाव भी लगता है। लेकिन दूसरी लाइन शायर ने ऐसी जोड़ दी है, कि दोनो पंक्तियों को बड़ा गहरा अर्थ प्राप्त होता है। उपरोधपूर्ण भाव पाठक तक पहुंचाने में शायर कामयाब होता है।

महिला गज़लकार

Continue Readingमहिला गज़लकार

उर्दू गज़लके चाहने वाले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं; और यह बड़ी खुशी की बात है। इसमें पुरानी फिल्मों के संगीत का बड़ा योगदान रहा है। संगीतकार मदन मोहन, नौशाद, सी. रामचंद्र जैसे कई महान संगीतकारों ने इस विषय में अपनी छाप छोड़ी ह

फूल ही फूल..

Continue Readingफूल ही फूल..

उर्दू शायरी हमारे लिए प्रेम का विषय है। लेकिन उर्दू शायरी का परिचय आम आदमी को जिस माध्यम से प्राप्त हुआ, वह माध्यम है पुरानी फिल्मों के हिंदी गाने। हमारी पीढ़ी उन गानों से केवल प्रभावित ही नहीं थी,बल्कि वे गाने हमारी जिंदगी का हिस

End of content

No more pages to load