इतिहास की नई इबारत : शिवराज सिंह चौहान

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देश की जनता का मन कांग्रेस के विरोध में है, यह चार राज्यों के परिणामों से साफ हो गया है। भाजपा ने मध्यप्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का रिकार्ड बनाया है।

झंडा ऊंचा रहे हमारा

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उनकी पत्नी ने पति के मुरझाए हुए चेहरे को देखा तो पूछे बिना नहीं रह सकीं, “क्या हुआ? इतने विचलित से क्यों दिख रहे हैं?”

आस्था का केंद्र है प्रयाग का माघ मेला

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माघ महीना। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश। सूर्य के मकर राशि में आने से ही बदल जाती है संक्रांति। इसी मकर संक्रांति से शुरू हो जाता है प्रयाग का माघ मेला। प्रयाग की पावन धरती पर शुरू हो जाता है साधु-संतों का जमावड़ा। सजधज जाता है अखाड़ों का पंडाल। श्रद्धालु जुटने लगते हैं मेले में।

उम्रदराज वरिष्ठ नागरीक

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आज मुझे मेंरी बचपन की याद आई। लगभग 70/75 साल की पूर्व की कहानी। एक देहात में हमारा घर था। घर में हमारे पिता-माता, चार भाई, तीन बहनें, दादाजी, दादी, चाचा इ. करके करीब 15-16 जन रहते थे।

लोकतांत्रिक सुधारों की जरूरत

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भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन यह आदर्श लोकतंत्र नहीं बन पाया। इसका कारण है इसमें पनप रही अनेक विसंगतियां। इन विसंगतियों को दूर किये बिना भारतीय लोकतंत्र को आदर्श लोकतंत्र नहीं बनाया जा सकता। अत: उचित होगा कि हम भारतीय लोकतंत्र में व्याप्त निम्मांकित विसंगतियों को दूर करने हेतु अपेक्षित कदम उठाएं।

नालंदा का पुनरुद्धार

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हमारा अतीत बड़ा ही समृद्ध, वैभव से भरा और गौरवशाली रहा है। यह पुण्यभूमि प्रसिद्ध है और इसके निवासी आर्य हैं, विद्या कला कौशल्य में सबसे प्रथम आचार्य हैं।

राजस्थान में चुनाव नतीजों से भाजपा गदगद

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जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सबकों चौंका दिया। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी कि पार्टी की इतनी बड़ी जीत होगी, जो राजस्थान की राजनीति में एक नया इतिहास रच देगी।

दूसरी चिता

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जब से हरिचरण स्थानान्तरित होकर आये हैं, तब से कार्यालय में वातावरण ही बदला-बदला सा नजर आने लगा है। इस छोटे कार्यालय में काम-काज के बीच किस्से कहानियों और हंसी ठहाकों के दौर में समय कब निकल जाता, पता ही नहीं चलता।

‘ईश्वरीय कण’ की मूल परिकल्पना भारतीय की

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ब्रह्मांड अति विशाल है। उसमें अतिविशाल आकाशगंगाएं, तारे, सूक्ष्म रेत-धूलि कण और उनमें अदृश्य परमाणु है। परमाणु में भी शक्ति के मूल एवं आधार कई कण अर्थात झरीींळलरश्री हैं।

दिल्ली का ‘संकेत’ पहचानें

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भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव एक महत्वपूर्ण कर्मकांड है। राष्ट्रीय कर्तव्यपूर्ति के उत्सव के रूप में भी उसे संबोधित किया जाता है।

फिल्मों के माध्यम से मतांतर

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आपातकाल के बाद लोकसभा चुनावों के प्रचार की ‘धूम’ जब शुरू हुई तब की यह कहानी है। अर्थात 1977 की। इस प्रचार के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में जनता पक्ष की ओर से जयप्रकाश नारायण की सभा आयोजित की गई थी।

विधान सभा चुनाव और आम आदमी पार्टी –

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पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों में जनता ने भाजपा को स्पष्ट जनादेश दिया है तथा नरेन्द्र भाई मोदी को यह कहा है कि आप ही भारत के भावी प्रधानमंत्री होंंगें।

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