शास्त्रीय एवं लोक संगीत

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भारतीय संगीत के प्राचीन ग्रंथों में शास्त्रीय संगीत के लिए और उसके विभिन्न रूपों के लिए नामों का उल्लेख अवश्य मिलता है। वैदिक काल में शास्त्रीय संगीत गांधर्व के नाम से ख्यात था और अन्य प्रकार का संगीत गान के नाम से जाना जाता था।

भारतीय संगीत में वाद्य

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गायन, वादन तथा नृत्य तीनों का समन्वित रूप संगीत है। भारतीय संगीत का रूप बहुत वृहद् है। संगीत की अनेक शाखाएं हैं। मुख्य रूप से इसे हम शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम संगीत, वादन, नृत्य आदि रूप में विभक्त कर सकते हैं।

वर्तमान संदर्भ में झांसी की रानी का चरित्र

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बचपन के वे दिन याद आते हैं, जब पाठ्य पुस्तकों में सुंदर कविता रहती थी जो आज भी हमें कंठस्थ है। ‘यह कदम्ब पे़ड अगर मां होता यमुना तीरे मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे।’ कृष्ण के व्यक्तित्व को बाल हृदय में डालने, एवं घर-घर में कृष्ण बनने की यह अनोखी प्रक्रिया सचमुच अद्भुत थी।

बदनसीब शायर -बहादुरशाह जफ़र

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ये पंक्तियां मुग़ल बादशाह बहादुरशाह जफ़र की हैं। बहादुर शाह जफ़र भारत में अंग्रेजों के शासन से पहले का अंतिम बादशाह था। जफ़र की इतनी अवहेलना की गयी थी कि वे सोचते थे कि उनसे से तो शतरंज का बादशाह अच्छा है।

कटाक्ष और हास्य का तानाबाना

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पुस्तक के लेखक पढ़े-लिखे विद्वान हैं। जन्म 1956 में हुआ है। जीवन के 57 पड़ाव पार कर चुके हैं। राजनीतिशास्त्र में एम. ए. की पढ़ाई पूरी की है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में लेखन कार्य की शुरुआत की है।

भारत भाग्यविधाता

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सारी दुनिया का ध्यान भारत में संपन्न आम चुनावों की ओर लगा हुआ था। भारत के भविष्य के दृष्टिकोण से ये चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण थे। भारतीय जनता ने 336 सीटें भाजपा और उसके मित्र दलों को देकर मोदी के नेतृत्व और कर्तृत्व पर विजय की मुहर लगाई।

सामाजिक समरसता और कबीर

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लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व संत कबीर का आर्विभाव ऐसे समय में हुआ था जब सामाजिक मान-मर्यादाएं तिरोहित हो रही थीं और समाज के विभिन्न समुदायों में आपसी भाईचारे की भावना लुप्त हो चुकी थी।

गंजों की शिकायत और उन्हें सलाह

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राहुल गांधी का बचपना उनकी उम्र के अनुपात से बढ़ता ही जा रहा है। असावधानी वश या नातजुर्बा बीमारी से या जोश में जैसे ही वे कहीं मुंह खोलते हैं, किसी न किसी की नाराज कर देते हैं।

फिल्मी पुरस्कार बन गए मनोरंजन के उत्सव

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फिल्मी दुनिया में इस समय इस तरह का उत्साही और हिसाबी वातावरण है कि हम ‘अपनी भूमिका’ जैसे हो करते रहे, फिर भी कोई न कोई फिल्मी पुरस्कार अवश्य मिल ही जाएगा।

देश की जल-कुण्डली

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पानी के मामले में हमारे देश की गिनती दुनिया के कुछेक सम्पन्नतम देशों में है। यहां औसत वर्षा 1, 170 मि.मी. है। उत्तर-पूर्वी कोने चेरापूंजी में अधिकतम 11,400 मि.मी. और न्यूनतम 210 मि.मी. उसके बिल्कुल विपरीत पश्चिमी छोर पर जैसलमेर में है।

बारिश का संकेत देते पशु – पक्षी

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बारिश से लगभग डे़ढ-दो महीने पहले ही पशु-पक्षियों के माध्यम से हमें बारिश के संकेत मिलने लगते हैं। पक्षियों को सबसे पहले बारिश के संकेत मिलने लगते हैं।

बारिश और पंचांग

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हमारे प्राचीन साहित्य में वर्षा के बारे में अनुमानों पर विस्तार से विचार किया गया है। पराशर मुनि ने इसका एक शास्त्र ही विकसित किया था। वराहमिहिर ने अपनी वृहद्संहिता में पर्जन्य और पंचांग के परस्पर सम्बंधों पर भाष्य किया है।

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