अपशब्दों की राजनीति
भारत में ऐसा लोकसभा चुनाव इससे पहले कभी नहीं हुआ जब पार्टियों के बीच बहस, आरोप-प्रत्यारोप का स्तर इतना नीचे गिरा हो। इसमें जिस तरह अशालीन शब्दों, मुहावरों, शब्दयुग्मों और यहां तक कि अपशब्दों का मुख्य शिकार देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हो रहे हैं इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। चुनाव में सरकार पर हमले, प्रधानमंत्री की आलोचना, आरोपों में तीखापन संसदीय लोकतंत्र की कतई अस्वाभाविक स्थिति नहीं है। इनसे ही चुनाव का वातावरण निर्मित होता है जिनके आधार पर आम मतदाता अपना मन बनाता है।