बिहार के खेल रत्न
अब खिलाड़यों के भीअच्छे दिन आ गये हैं और खिलाड़ियों ने भी देश को अच्छे दिन दिखाए हैं। उसकी बानगी स्कॉटलैंड में संपन्न हुए ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में दिखाई दी।
अब खिलाड़यों के भीअच्छे दिन आ गये हैं और खिलाड़ियों ने भी देश को अच्छे दिन दिखाए हैं। उसकी बानगी स्कॉटलैंड में संपन्न हुए ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में दिखाई दी।
बिहार का अतीत बेहद गौरवशाली रहा है। मगर, आधुनिक भारत की जब हम बात करते हैं, तो बिहार की चर्चा एक पिछड़े प्रदेश के तौर पर होती है
ज्ञान की गंगा किसी की भी चौखट से गुजर सकती है. ...इसके ज्वलंत उदाहरण हैं छपरा ज़िला के सिताबदियारा की माटी में जन्मे, पले-बढ़े भोजपुरी लोक-कला के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर।
प्रत्येक प्रांत के लोकगीत वहां की संस्कृति के दर्पण होते हैं। सच तो यह है कि स्थान भेद से सांस्कृतिक परिवेश और भाषा-बोली भले ही भिन्न प्रतीत हो, किंतु प्रत्येक प्रांत के लोकगीतों की आत्मा एक ही होती है।
भारत की पहचान दुनिया में विश्वगुरु की रही है। इस अलंकरण से भारतमाता को विभूषित कराने में बिहार का सर्वोत्तम स्थान रहा है। इतिहासकारों के अनुसार भी बिहार में ही सर्वप्रथम लोकतंत्र, भारतीय राष्ट्र का अभ्युदय, लोककल्याणकारी राज्य, अहिंसा एवं सत्याग्रह की शुरुआत हुई।