कृषिनीति: ज्योतिष से वर्षा का पुर्वानुमान और टपक सिंचाई

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मोदी जी सभी से आग्रह करते थे कि किसान अपने खेतों में टपक सिंचाई (Drip Irrigation) के माध्यम से सिंचाई करें, जिससे पौधों को जरुरत के मुताबिक पानी भी मिल जाएगा और पानी का अपव्यय भी नहीं  होगा।वे हमेशा ही किसानों से कहते थे कि यदि एक छोटा बच्चा प्यासा है तो उसकी माँ कटोरी में थोडा पानी लेकर, कपास की बाती बनाकर उसे कटोरे में डुबाती है और बाती का दूसरा सिरा बच्चे के मुँह में दे देती है। बच्चा चूस-चूस कर अपनी प्यास के अनुरुप पानी पी लेता है। माँ अपने बच्चे को पानी भरे ड्रम में नही डालती है कि बच्चा चाहे जितना पानी पीये । उलटे पानी में डुबने के कारण बच्चे की साँस रुक जाएगी और वह मर जाएगा। इसी प्रकार छोटे पौधों का है। यदि आपने पौधे की जडों के पास ड्रिपर से पानी दिया तो मिट्टी गिली हो जायगी और पौधे कि जडें उसमें से आवश्यकता के अनुरुप पानी सोख लेंगी, जो पौधे की बढवार में सहायक होगी। वहीं किसान अगर पुरानी पद्धिती (Flood Irrigation) से सिंचाई करे और सारे खेत को पानी से भर दे तो पौधे की जडें साँस नही ले पाएंगी और गल जाएंगी, जिससे पौधा सूख जाएगा। अतः पौधे की अच्छी बढवार के लिए टपक सिंचाई की पद्धिती से सिंचाई करनी चाहिए। बाढ सिंचाई से पानी और बिजली दोनों का ही अपव्यय होता है और उत्पादन में वृद्धि नही होती है।

मोदी सरकार की कृषिनीति एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य

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2014 में मोदी सरकार चुनकर आई और मोदी सरकार ने किसानो के हित में कई योजनाएं लागू की। उसमें सबसे महत्वपुर्ण  योजना है, किसान सन्मान निधि योजना, जिसमें गरीब  किसानो को 6000/- प्रतिवर्ष सन्मान निधि दी गई, यह निधी दो-दो हजार के तीन हफ्तों में दी गई, इससे गरीब किसानों को काफ़ी बड़ी आर्थिक सहायता हो गई। इसी प्रकार भारत सरकार ने फसलों के न्युनतम समर्थन मूल्य भी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुरूप उत्पादन मूल्य के डेढ़ गुना बढ़ाए। साथ ही यह न्युनतम समर्थन मूल्य फसलों के खरीफ और रबी मौसम की शुरुआत से  पहले घोषित किए गए।

स्वामी स्मरणानन्द जी का जीवन प्रेरणास्त्रोत – नरेंद्र मोदी

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भारत की विकास यात्रा के अनेक बिंदुओं पर, हमारी मातृभूमि को स्वामी आत्मास्थानंद जी, स्वामी स्मरणानंद जी जैसे अनेक संत महात्माओं का आशीर्वाद मिला है जिन्होंने हमें सामाजिक परिवर्तन की नई चेतना दी है। इन संतों ने हमें एक साथ होकर समाज के हित के लिए काम करने की दीक्षा दी है। ये सिद्धांत अब तक शाश्वत हैं और आने वाले कालखंड में यही विचार विकसित भारत और अमृत काल की संकल्प शक्ति बनेंगे।मैं एक बार फिर, पूरे देश की ओर से ऐसी संत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है कि रामकृष्ण मिशन से जुड़े सभी लोग उनके दिखाए मार्ग को और प्रशस्त करेंगे। ओम शांति।

पत्रकारिता में महिलाओं की दशा और दिशा

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पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है लेकिन अभी भी वो हाशिए पर है। लेकिन कई ऐसी जुझारु पत्रकार हैं जो अपनी कार्य-कुशलता के बल पर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करती हैं और उन क्षेत्रों में जाकर साहसिक रिर्पोटिंग करती हैं जहां पुरुषों का क्षेत्र  माना जाता था।  

डिजिटल साक्षरता और जागरूकता

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देश-दुनिया में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन व सुधार में सोशल मीडिया की प्रभावी भूमिका रही है, हालांकि इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी है। बावजूद इसके आम आदमी की आवाज बुलंद करने, रोजगार, प्रचार प्रसार और जन जागरण की दृष्टि से सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है।

लालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न पुरस्कार से होंगे सम्मानित

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जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के मजबूत आधार स्तम्भ रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित करने की घोषणा मोदी सरकार ने की है. भारत रत्न की घोषण पर देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि ‘अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ मैं भारत रत्न स्वीकार करता हूं जो आज मुझे प्रदान किया गया। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान की बात है जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा की है।’

रामभक्तों से हार गए वामपंथी

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इतनी बाधाओं के बाद भी कोई भी विरोधी शक्ति रामभक्तों का न तो उत्साह कम कर पाई न भयभीत कर उन्हें उनके राम-काज करने से रोक पाई। श्रीराम भक्तों को कृपा मिलती है तो दानवों को उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ता है। 9 नवम्बर 1989 को विश्व में दो बड़ी घटनाएं हुई जिसने वामपंथी षड़यंत्र और अहंकार को चकनाचूर कर दिया। 9 नवम्बर 1989, देवोत्थान एकादशी तिथि को अयोध्याजी में हजारों रामभक्तों और पूज्य साधु-संतों की उपस्थिति में कामेश्वर चौपाल जी ने श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया और इसी दिन पश्चिम में बर्लिन की दिवार भी वहां की जनता ने तोड़ दी। ये दिन वामपंथी षड्यंत्रों के विरुद्ध सत्य और सज्जन शक्ति के विजय का दिन था। उस देवोत्थान एकादशी के शिलान्यास से लेकर अबतक इस संघर्ष का इतिहास साक्षी है कि रामपंथियों के पुरुषार्थ ने षड्यंत्रकारी वामपंथियों को प्रत्येक मोर्चे पर पराजित किया है।

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

हिंदी विवेक कार्यालय में पधारे समाजसेवी सुधीर भाई गोयल

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मध्य प्रदेश उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर भाई गोयल मुंबई प्रवास के दौरान हिंदी विवेक कार्यालय में भी पधारे और हिंदी विवेक की टीम के साथ मुलाकात की. हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने शोल ओढ़ाकर उनका स्वागत सम्मान किया और उनके उल्लेखनीय कार्यो से सभी को अवगत कराया. इसके बाद हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर ने हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘सशक्त नेतृत्व, समर्थ भारत’ ग्रन्थ उन्हें भेंट स्वरूप प्रदान किया. अमोल पेडणेकर ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक विशाल संगठन’ नामक पुस्तक तथा ‘राम मंदिर अस्मिता से वैश्विक धरोहर तक’ विशेषांक उपहार के रूप में देकर वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता को अधोरेखित किया.

अक्षत वितरण महा अभियान 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024

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सब की इच्छा है 22 को अयोध्या जाए परन्तु सम्भव नही है। अयोध्या छोटी है, भौगोलिक क्षेत्र कम है इसलिए कहा गया  'मेरा गांव मेरी अयोध्या', 'मेरे गाव का मंदिर यही जन्म भूमि का मंदिर' यह भाव जगाना इस उद्देश्य से जन्म भूमि पर पूजित अक्षत घर-घर देना। अपने यहां अक्षत का अति महत्व है विवाह प्रसंग हो अथवा कोई मांगलिक प्रसंग हो अक्षत देकर ही आमंत्रण देने की परम्परा है।

भाजपा में सामान्य कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की कमान

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म.प्र. , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नेतृत्व को लेकर हुए निर्णयों के बाद भाजपा की उस कथनी पर एक बार फिर मुहर लग गई है जिसे भाजपा 'पार्टी विथ डिफरेंस ' कहती है । इस आधार पर भाजपा वर्तमान राजनीति में आदर्श प्रस्तुत करती है कि - उसके लिए विचार निष्ठा और कार्यकर्ता सर्वोपरि होता है । इसी कारण से भाजपा में सामान्य कार्यकर्ता भी सर्वोच्च दायित्वों/ पदों पर पहुंच सकता है। विष्णुदेव साय, डॉ.मोहन यादव और भजन लाल शर्मा - ये तीनों वे लोग थे जो संगठन में वर्षों से वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ काम करते आ रहे थे । इन्हें जब जो दायित्व भाजपा और संगठन ने दिए । ये उसमें खरे उतरे। इसी का सुफल है कि इन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर तीनों प्रदेशों की कमान दी गई । भाजपा ने इसके यह भी संदेश देने का काम किया है कि - नई नेतृत्व परम्परा, संगठन सर्वोपरि, समन्वय , पूर्ण वैचारिक निष्ठा के साथ नए नेतृत्व के साथ भाजपा सरकारें काम करेंगी।

बहुत उतार चढ़ाव से भरा है नये साल का इतिहास

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इस कैलेण्डर को वैश्विक बनाने का श्रेय अंग्रेजों को है । वे जिस भी देश में व्यापार करने गये वे वहाँ के शासक बने और शासन संभालकर उन्होने अपनी परंपराएँ लागू कीं । जिसमें यह ग्रेगेरियन ईस्वी सन् कैलेण्डर पद्धति भी शामिल थी । अंग्रेज अपनी जड़ों और परंपराओं से इतने गहरे जुड़े रहे कि उन्होंने पूरी दुनियाँ को अपने परिवेश में कुछ इस प्रकार ढाला कि उनका शासन समाप्त हो जाने के बाद भी उनके द्वारा शासित अधिकांश देश अंग्रेजों के ग्रेगोरियन कैलेंडर से ही अपनी सरकार और समाज चला रहे हैं । हाँ कुछ देश अपने भीतर निजी काल गणना पद्धति का ही उपयोग करते हैं। पर संसार का मानसिक वातावरण कुछ ऐसा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे भी अंग्रेजी महीनों और तिथियों का ही सहारा लेते हैं । 

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