कृषिनीति: ज्योतिष से वर्षा का पुर्वानुमान और टपक सिंचाई
मोदी जी सभी से आग्रह करते थे कि किसान अपने खेतों में टपक सिंचाई (Drip Irrigation) के माध्यम से सिंचाई करें, जिससे पौधों को जरुरत के मुताबिक पानी भी मिल जाएगा और पानी का अपव्यय भी नहीं होगा।वे हमेशा ही किसानों से कहते थे कि यदि एक छोटा बच्चा प्यासा है तो उसकी माँ कटोरी में थोडा पानी लेकर, कपास की बाती बनाकर उसे कटोरे में डुबाती है और बाती का दूसरा सिरा बच्चे के मुँह में दे देती है। बच्चा चूस-चूस कर अपनी प्यास के अनुरुप पानी पी लेता है। माँ अपने बच्चे को पानी भरे ड्रम में नही डालती है कि बच्चा चाहे जितना पानी पीये । उलटे पानी में डुबने के कारण बच्चे की साँस रुक जाएगी और वह मर जाएगा। इसी प्रकार छोटे पौधों का है। यदि आपने पौधे की जडों के पास ड्रिपर से पानी दिया तो मिट्टी गिली हो जायगी और पौधे कि जडें उसमें से आवश्यकता के अनुरुप पानी सोख लेंगी, जो पौधे की बढवार में सहायक होगी। वहीं किसान अगर पुरानी पद्धिती (Flood Irrigation) से सिंचाई करे और सारे खेत को पानी से भर दे तो पौधे की जडें साँस नही ले पाएंगी और गल जाएंगी, जिससे पौधा सूख जाएगा। अतः पौधे की अच्छी बढवार के लिए टपक सिंचाई की पद्धिती से सिंचाई करनी चाहिए। बाढ सिंचाई से पानी और बिजली दोनों का ही अपव्यय होता है और उत्पादन में वृद्धि नही होती है।