सूर्या फाऊंडेशन द्वारा प्राकृतिक जैविक किसान सम्मेलन

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खेती में बढ़ती रासायनिक खाद के उपयोग से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं आज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। अधिक उत्पादन की दौड़ में अंधाधुंध रसायनिक खादों के प्रयोग से आज मिट्टी दूषित हो गई है। और उन विकृतियों का परिणाम आज हमें खाद्य पदार्थों में दिखता है। खराब होती मृदा पर्यावरण के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रही है। इसके निवारण हेतु आवश्यकता है प्राकृतिक एवं जैविक कृषि की। इस सम्मेलन में आए सभी संबंधित अधिकारियों ने किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों को सिखाया।

जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेना जरुरी

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भारत ने पिछले कुछ सालों में पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी है. इसने पेरिस में COP21 में 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 33-35 फीसद कम पर लाने का वादा किया. इसने नॉन-फॉसिल फ्यूल पावर सोर्स की क्षमता बढ़ाने और एक कार्बन सिंक बनाने का भी वादा किया. “पंचामृत” स्ट्रेटजी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में COP26 में पेश किया था, का मकसद 2030 तक 500 गीगावॉट नॉन-फॉसिल एनर्जी क्षमता, 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी, 2030 तक 50 प्रतिशत रिन्यूबल एनर्जी क्षमता, 2030 तक कार्बन इनटेंसिटी में 45 फीसद की कमी, और 2070 तक नेट-जीरो. अभी भी भारत अपने इन्ही लक्ष्यों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहा है .

सरकार आपके द्वार

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विकास का घोड़ा योजनाओं पर दौड़ा। जी हां गोवा के संदर्भ में यह पूरी तरह सटीक बैठती है। गोवा राज्य के विकास के लिए कई तरह की योजनाएं लागू की गई हैं। योजनाएं कागजों पर ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरी तरह से कार्यान्वित भी है। एमपीएलएडीएस हो, या फिर महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं हों, मछुआरों की नावों का आधुनिकीकरण हो या फिर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना या अन्य योजनाएं हों, सभी का लाभ लाभार्थियों को मिल रहा है। विकास की ताल पर सरकारी योजनाएं चल रही हैं।

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

तबाही का हमासी न्योता

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पिछले संकटों में, इज़राइल भारत के साथ खड़ा रहा है और उसकी मदद करने की कोशिश की है। हमास के आतंकवादी कृत्य की निंदा करने और संकट की घड़ी में इज़राइल के साथ खड़े होने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की त्वरित प्रतिक्रिया संकेत है कि हाल के वर्षों में यह देश भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण हो चुका है।

प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण

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नवी मुंबई, मुंबई शहर का नया स्वरूप है जो प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। नीचे हरी-भरी धरती और लहराते समुद्र का मोहक स्वरूप और ऊपर हरे-भरे गिरिवर तथा उसके ऊपर, आकाश का आकर्षक रूप, उगते हुए सूरज की स्वर्णिम किरणें, सभी को अपनी लालिमा से सराबोर कर देती हैं। ये सम्भव होता है, यहां की बस्तियों को सोच-समझकर बसाने तथा प्रदूषण निवारण हेतु किए जाने वाले सार्थक कार्यों के कारण।

मानव निर्मित वन क्षेत्र ग्रीन वैली पार्क

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एक तरफ विश्वभर में नए शहरों के निर्माण के लिए वनक्षेत्र काटा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ नवी मुंबई शहर के बेलापुर में ग्रीन वैली पार्क के तौर पर मानवनिर्मित वन का निर्माण किया गया है। इसमें क्षेत्र के आम लोगों की सहभागिता सर्वाधिक है।

फ्लेमिंगो सिटी नवी मुंबई

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नवी मुंबई के तमाम पहचानों में से एक फ्लेमिंगो अभयारण्य भी है। इन पक्षियों के निरंतर प्रवास को सुगम बनाने के लिए नवी मुंबई महानगरपालिका ने अनुकूल वातावरण तैयार कराया है। परंतु आर्द्रभूमि पर होने वाले निर्माण कार्यों को लेकर सख्त कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

भारत में किसानों की आय हो रही है दोगुनी

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केंद्र सरकार द्वारा किए गए उक्त वर्णित कई उपायों के चलते फसलों और पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, संसाधनों के उपयोग में दक्षता आने से उत्पादन लागत में कमी आई है, फसल की सघनता में वृद्धि दर्ज हुई है, उच्च मूल्य वाली खेती की ओर विविधिकरण हुआ है, किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल रहा है एवं अतिरिक्त श्रमबल को कृषि क्षेत्र से हटाकर गैर कृषि क्षेत्र के पेशों में लगाया गया है। इस सबका मिलाजुला परिणाम यह हुआ है कि किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से किसानों की आय बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।

भारतीय मूल्यों की संवाहक बन रही हैं जी-20 की बैठकें

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दुनियाभर से आए अतिथियों ने यहाँ भारत के आतिथ्य का अनुभव तो किया ही, उन्हें शांति एवं सह-अस्तित्व का संदेश देनेवाली भारतीय संस्कृति का दर्शन भी कराया गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि विचार-विमर्श से निकले वैचारिक मंथन के साथ ही भारतीय विरासत के दर्शन कर भारतीय संस्कृति एवं उसके मूल्यों की प्रत्यक्ष अनुभूति भी जी-20 के विद्वान प्रतिनिधि अपने साथ लेकर जाएं। मुख्यमंत्री के आग्रह पर जी-20 के प्रतिनिधियों ने सांची और भीमबेटका जैसे विश्व विरासत के स्थल देखे। भारतीय ज्ञान-परंपरा के केंद्र के रूप में सुप्रसिद्ध उज्जैन में महाकाल के दर्शन भी किए। बाघ अभ्यारण्य में जैव विविधता के प्रति भारतीय दृष्टिकोण की अनुभूति भी दुनियाभर से आए लोगों ने की।

उपजाऊ भूमि का मरुस्थल में बदलना गंभीर संकट

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विश्व में जमीन का मरुस्थल में परिवर्तन होना गंभीर समस्या एवं चिन्ता का विषय है। भारत में भी यह चिंता लगातार बढ़ रही है। इसकी वजह यह है कि भारत की करीब 30 फीसदी जमीन मरुस्थल में बदल चुकी है। इसमें से 82 प्रतिशत हिस्सा केवल आठ राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा जारी “स्टेट ऑफ एनवायरमेंट इन फिगर्स 2019” की रिपोर्ट के मुताबिक 2003-05 से 2011-13 के बीच भारत में मरुस्थलीकरण 18.7 लाख हेक्टेयर बढ़ चुका है। सूखा प्रभावित 78 में से 21 जिले ऐसे हैं, जिनका 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र मरुस्थलीकरण में बदल चुका है।

प्रदूषित होता पालघर

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बाहर से देखने पर पालघर जिला हरियाली से भरा लगता है, परंतु बढ़ती जनसंख्या और वृक्षों की कटाई के कारण यह जिला भी बड़ी तेजी से प्रदूषित होता जा रहा है। इस दिशा में व्यापक पहल किए जाने की आवश्यकता है। पालघर जिले में वन क्षेत्र है। पहाड़, नदी, समुद्र…

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