स्वामी स्मरणानन्द जी का जीवन प्रेरणास्त्रोत – नरेंद्र मोदी

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भारत की विकास यात्रा के अनेक बिंदुओं पर, हमारी मातृभूमि को स्वामी आत्मास्थानंद जी, स्वामी स्मरणानंद जी जैसे अनेक संत महात्माओं का आशीर्वाद मिला है जिन्होंने हमें सामाजिक परिवर्तन की नई चेतना दी है। इन संतों ने हमें एक साथ होकर समाज के हित के लिए काम करने की दीक्षा दी है। ये सिद्धांत अब तक शाश्वत हैं और आने वाले कालखंड में यही विचार विकसित भारत और अमृत काल की संकल्प शक्ति बनेंगे।मैं एक बार फिर, पूरे देश की ओर से ऐसी संत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है कि रामकृष्ण मिशन से जुड़े सभी लोग उनके दिखाए मार्ग को और प्रशस्त करेंगे। ओम शांति।

राम मंदिर से बढ़ती समृद्धि और समरसता

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500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद हुए राम मंदिर के पुनर्निर्माण ने न केवल भारतीय समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक आधारशिला को मजबूत किया है बल्कि उसकी प्राण प्रतिष्ठा ने सम्पूर्ण देश में अभूतपूर्व समृद्धि और समरसता का मार्ग प्रशस्त किया है। आज पुनर्निर्मित भव्य राम मंदिर न केवल धार्मिक या ऐतिहासिक संदर्भ में महत्वपूर्ण बन गया है, बल्कि यह समृद्धि, समरसता और एकता के प्रतीक के रूप में भी स्थापित हो गया है।

स्वामी गोविंददेव गिरी द्वारा रविंद्र घाटपांडे सम्मानित

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महाराष्ट्र के पुणे में गीताभक्ति अमृत महोत्सव का भव्य-दिव्य आयोजन किया गया है, जिसमें राष्ट्र-धर्म के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले ७५ गणमान्य जनों का सम्मान किया गया. इनमें स्नेहल प्रकाशन के संस्थापक रवीन्द्र घाटपांडे का नाम भी शामिल है, जिन्हें राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव गिरी जी महाराज के करकमलों द्वारा गौरव पत्र और रामलला की प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया. इस शुभ अवसर पर रवीन्द्र घाटपांडे ने अपने मनोभाव व्यक्त करते हुए कहा कि ‘यह मेरे जीवन का सबसे भाग्यशाली पल है और आलंदी में लगभग ५० हजार लोगों की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में सम्मानित होना मेरे लिए गौरवशाली क्षण है. इसे मैं अपने जीवन की सार्थकता मानता हूं. 

राष्ट्रीय चेतना का करेंगे जागरण

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संघ जनता के जागरण के ऐसे केंद्र (शाखा) चलाता है. ऐसे जाग्रत स्वयंसेवक समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एक रचना (पंजर) खड़ी करेंगे. बाक़ी सारा कार्य समाज करेगा, उसे शक्ति और दिशा देने का कार्य ऐसे केंद्र करेंगे. आरसीसी के पिलर के बीच का भार वहन क्षमता बढ़ाने वाला 'पंजर तो निर्जीव लोहे का होता है, परंतु जाग्रत समाज के ऐसे कार्य और आंदोलन में यह न दिखने वाला, परंतु सन्नद्ध 'पंजर जीवंत मनुष्यों का होता है जो जीवन भर अविचल खड़ा, अड़ा और गड़ा रहता है.

स्मार्ट सिटी अयोध्या

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अयोध्या में एक के बाद एक कई परियोजनाओं पर क्रियान्वयन किया जा रहा है, ऐसे में जल्द ही यह शहर दुनिया के सामने एक रोल मॉडल के रुप में होगा। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, आधुनिक सुविधाओं से लैस रेलवे स्टेशन, डिजिटल संग्रहालय, सरयू में क्रूज का संचालन प्रस्तावित है।

खत्म हुआ इंतजार दर्शन देंगे श्रीराम

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मंदिर के पत्थरों पर होने वाली नक्काशी केवल मनमोहक कृतियां ही नहीं होंगी बल्कि श्रद्धालु त्रेता युग के दर्शन करेंगे। मंदिर हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहें और उसके अनुरुप मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।  राम नगरी सज-धज कर तैयार है बस अब बारी है मंदिर के कपाट खुलने का। 

आध्यात्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र

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धर्म और अध्यात्म का अनूठा संगम है अयोध्या। श्रीरामलला के मंदिर का कपाट खुलते ही अयोध्या पर्यटन का एक मुख्य केंद्र भी बन जाएगा। देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक भगवान श्रीराम के दर्शन कर प्राकृतिक सौंदर्य बिखेरते अयोध्या घूमेंगे।

मंदिर का अर्थ तंत्र

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अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन के बाद या तो आप पांच सितारे होटल में रुक सकते है। शॉपिंग मॉल में खरीदारी के साथ ही जंक-फूड का मजा ले सकते है। इसके बाद आप हवाई यात्रा से सफर कर घंटों में अपने गंतव्य तक पहुंच सकते है। ये सारी सुविधाएं आपके लिए और इससे आर्थिक सबलीकरण अयोध्या को मिलने वाला है, जो बड़ी आर्थिक प्रगति का संकेत है।

राष्ट्रीय एकात्मता का आधार

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500 सालों से ज्यादा की प्रतीक्षा अब खत्म होने जा रही है। वह समय आ गया है जब पूरे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कपाट खुलते ही भक्त भगवान श्रीराम के दर्शन कर सकेंगे। पूरे हर्षोंउल्लास के साथ आगामी 22 जनवरी की लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं। आस्था के साथ अयोध्या अब पर्यटन का केंद्र भी बन गया है। 

रामभक्तों से हार गए वामपंथी

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इतनी बाधाओं के बाद भी कोई भी विरोधी शक्ति रामभक्तों का न तो उत्साह कम कर पाई न भयभीत कर उन्हें उनके राम-काज करने से रोक पाई। श्रीराम भक्तों को कृपा मिलती है तो दानवों को उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ता है। 9 नवम्बर 1989 को विश्व में दो बड़ी घटनाएं हुई जिसने वामपंथी षड़यंत्र और अहंकार को चकनाचूर कर दिया। 9 नवम्बर 1989, देवोत्थान एकादशी तिथि को अयोध्याजी में हजारों रामभक्तों और पूज्य साधु-संतों की उपस्थिति में कामेश्वर चौपाल जी ने श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया और इसी दिन पश्चिम में बर्लिन की दिवार भी वहां की जनता ने तोड़ दी। ये दिन वामपंथी षड्यंत्रों के विरुद्ध सत्य और सज्जन शक्ति के विजय का दिन था। उस देवोत्थान एकादशी के शिलान्यास से लेकर अबतक इस संघर्ष का इतिहास साक्षी है कि रामपंथियों के पुरुषार्थ ने षड्यंत्रकारी वामपंथियों को प्रत्येक मोर्चे पर पराजित किया है।

परिंदा भी पर न मार सके

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अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ेगी। आधुनिक सुविधाओं से लैस रामनगरी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए है। सुरक्षा ऐसी की परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। एंटी ड्रोन तकनीक की भी व्यवस्था की गई है। मंदिर के आसपास के इलाके में किसी को मैपिंग करने की अनुमति नहीं है।

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

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