विकसित भारत में महिलाओं की भूमिका

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देश की आधी जनसंख्या कही जानेवाली महिलाएं यदि घरेलु कार्यों के साथ ही उद्योग, व्यवसाय, स्वयं रोजगार आदि क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाने लगे तो विकसित भारत का सपना जल्द साकार हो जाएगा। आवश्यकता बस इतनी है कि उनके शक्ति सामर्थ्य और क्षमता के अनुरुप अवसर, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जाए।

सक्षम होंगी तभी सुरक्षित होंगी बेटियां

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कुछ चुनिंदा विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को आत्मरक्षा के गुण भी सिखाए जाते है लेकिन यह सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिससे वे शारीरिक व मानसिक रुप से अपनी आत्मरक्षा करने में समर्थ हो और उनका मनोबल बढ़े। जागरुकता की दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर आत्मरक्षा अभियान चलाना आवश्यक है।

महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं

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महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने हेतु वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, जिसमें लखपति दीदी योजना, ड्रोन योजना, सहायता का सीधा हस्तांतरण, मुद्रा लोन योजना, उज्जवला गैस योजना आदि शामिल है। इन योजनाओं के अंतर्गत महिलाओं की दशा और दिशा दोनों में बदलाव आ रहा है।  

पत्रकारिता में महिलाओं की दशा और दिशा

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पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है लेकिन अभी भी वो हाशिए पर है। लेकिन कई ऐसी जुझारु पत्रकार हैं जो अपनी कार्य-कुशलता के बल पर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करती हैं और उन क्षेत्रों में जाकर साहसिक रिर्पोटिंग करती हैं जहां पुरुषों का क्षेत्र  माना जाता था।  

नशे की अजगरी बांहों में महिलाएं

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फैशन के नाम पर सिगरेट, शराब, ड्रग्स का नशा करना और इसके साथ ही तस्करी एवं अन्य अपराधिक गतिविधियों में महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि होना चिंता की बात है। संवेदनशील भारतीय महिलाएं संवेदनहीन व दिशाहीन होकर विकृति की ओर बढ़ती जा रही है।

शौर्य की प्रतिमूर्ति रानी दुर्गावती

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इतिहास के पन्नों में अलग से रेखांकित है महानतम वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का नाम। इस साल उनका शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा हैं। जिन्होंने देश की रक्षा और आत्मसम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दीं। राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी और मुगलों से युद्ध करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुईं।

कर्तृत्व, नेतृत्व व मातृत्व का आदर्श

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नारी विमर्श से ही सनातन संस्कृति की भारतीय परम्परा को मजबूत करना है। नारी ही समाज, परिवार व राष्ट्र की आधारशिला है। जिसका एक उदाहरण जीजाबाई के मातृत्व, अहिल्याबाई के कर्तृत्व तथा लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में मिलता है।

कर्तव्य पथ पर महिला सशक्तीकरण की गूंज

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महिलाएं अब हाशिए पर नहीं है। फर्श से उठकर वो अर्श पर पहुंचकर अपने सपनों को ऊंची उड़ान दे रही हैं। जल, थल, नभ और यहां तक कि अंतरिक्ष तक में एक नया इतिहास रच रही हैं। ये महिला सशक्तिकरण नहीं तो और क्या है?

बंगाल पर कलंक

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किसी भी देश और राज्य की प्रगति तभी सम्भव है जब वहां शांति हो। परंतु पश्चिम बंगाल में असामाजिक तत्वों का बोलबाला है। राज्य में सनातन संस्कृति को मानने वाले नागरिकों पर हमला किया जा रहा है। यहां के कुछ क्षेत्रों में महिलाओ पर अत्याचार का भी मामला प्रकाश में आ रहा है।

आगे बढ़ें अपनी उन्नति के लिए

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समानता आने की यह प्रक्रिया बहुत लम्बी और निरंतर चलने वाली है, क्योंकि महिलाएं अगर आगे बढ़ रहीं हैं तो पुरुष भी रुके नहीं हैं, वे भी प्रगति कर ही रहे हैं, नए-नए आयाम विकसित कर रहे हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धा होना तय है, परंतु यह प्रतिस्पर्धा उचित मानकों पर होनी चाहिए। अंग्रेजी में इसे ‘हेल्दी कॉम्पीटीशन’ कहा जाता है।

सौंदर्य, कला व प्रतिभा की प्रतिमूर्ति मधुबाला

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जब भी हम कभी बीते समय की फिल्मी नायिकाओं की सुंदरता की बात करते हैं, तब बरबस ही मधुबाला का नाम आ जाता है। मधुबाला का आकर्षक मनभावन चेहरा, बोलती आंखें, नैन नक्श, जैसे दर्शकों के दिलों दिमाग में छा सा जाता था। उस दौर में हर प्रेमी अपनी प्रेमिका…

कैंसर के नाम पर पूनम का घटिया पब्लिसिटी स्टंट

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क्या पूनम की इस छिछोरे झूठ से वाकई में कैंसर की प्रति जागरूकता फैला पाएगी? कैंसर मरीजों या पीड़ित मानवता के प्रति इतनी ही हमदर्दी होती तो दूसरे चैरिटेबल काम कर आर्थिक मदद पहुंचाती। जागरूकता के लिए जहां-तहां अपने शो करती, जो कैंसर के खिलाफ और बचाव के लिए कारगर मुहिम होती। लेकिन ये क्या? उन्होंने तो पूरे देश के साथ एक तरह से धोखा किया, वह भी अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए। यह माफी के काबिल नहीं हो सकता।

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