मानव नहीं प्रकृति केंद्रित हो विकास
आज पूरा विश्व प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से होने वाले पर्यावरण परिवर्तन से परेशान है। इसलिए आवश्यकता है कि वनों के संरक्षण में तेजी लाई जाए तथा ऊर्जा के हानिरहित विकल्पों के शोध को प्राथमिकता दी जाए।
आज पूरा विश्व प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से होने वाले पर्यावरण परिवर्तन से परेशान है। इसलिए आवश्यकता है कि वनों के संरक्षण में तेजी लाई जाए तथा ऊर्जा के हानिरहित विकल्पों के शोध को प्राथमिकता दी जाए।
मोबाइल टावर से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन के दुष्परिणाम स्वरूप विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु एवं अनेक पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो चली हैं और अब भारत में पक्षियों की 42 प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं। मोबाइल टावर से निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन से जितना खतरा मानवों को है…
स्मॉग के रास्ते कोरोनावायरस हमारे सांस और फेफड़ों में पहुंच सकते हैं, जो इनके संक्रमण का असली पड़ाव और आश्रय स्थल है। इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन या कारगर दवाई आने तक सभी लोगों द्वारा सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी हिदायतों का सख्ती से पालन किया जाए। मास्क स्मॉग के साथ-साथ कोरोनावायरस के प्रवेश को भी रोकेगा। हाथों को साबुन से धोना और दो गज की दूरी तो है ही जरूरी।
अतीत की गौरवशाली परंपरा और विरासत में मिली संस्कृति-संस्कार के दम पर अपने आत्मविश्वास और पराक्रम के पंख लगाकर वर्तमान राज्य सरकार भविष्य की उड़ान भरने के लिए सिद्ध हो रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उम्मीद जताई है कि विकास, प्रगति, पर्यटन, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में उत्तराखंड राज्य आदर्श वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित होगा।
पर्यावरण दो शब्दों के मेल से बना है। परि और आवरण। परि अर्थात अच्छी तरह और आवरण अर्थात संरक्षीत। दूसरे शब्दों मे हम यह कह सकते हैं कि पर्यावरण हमारी पृथ्वी का एक ऐसा आवरण या रक्षा कवच है जो हमारे समस्त जीवों को पहाड़ों, नदियों, सागरों और वनों की अनुकुल प्राकृतिक परिस्थितियां और वायु मण्डल में सांस लेने योग्य प्राणवायु की पर्याप्त उपस्थिती के योग से निर्मित होता है।
विवेकानंद युथ कनेक्ट फाउंडेशन द्वारा मुंबई के समुद्र और समुद्री तट को स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित बनाने के लिये केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय को जागृत कर उनसे इस कार्य हेतू संरचनात्मक, समन्वयपूर्व कार्य कराने हेतू प्रयास किये जा रहे है।
मैंएक पर्यावरण प्रेमी हूं और वृक्षारोपण करना मेरी शौक है। जहां मैं रहता हूं कुछ समय पूर्व वह गांव हुआ करता था। जब मैंने वृक्ष लगायए तब वह गांव था लेकिन आज वह शहर में तब्दील हो गया है। इस विकास के चक्र में मेरे द्वारा लगाए गए अधिकतर वृक्ष…
इंसान पहला जीव है जिसने आग पर नियंत्रण रखना सीखा। आग ने ही इंसान को इंसान बनाया है। लेकिन, आज इतनी ज्यादा मात्रा में और इतनी ज्यादा तरीके से आग जलाई जा रही है, ईंधन जलाया जा रहा है कि धरती का तापमान लगातार गरम होता जा रहा है। यह पूरी मानव जाति के लिए खतरे की घंटी है।
छद्म पर्यावरण संगठनों की पूरी एक श्रृंखला है, जिन्हें समर्थक संस्थाओं के रूप में देशी-विदेशी औद्योगिक घरानों ने पाला-पोसा है। ऐसे संगठन हमारे आर्थिक विकास की गति को रोक रहे हैं। उन्हें खोजकर उन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
पर्यावरण चेतना की समझ, नागरिकों को उनके कर्तव्यों का बोध कराती है तथा मार्गदर्शन करती है। पर्यावरण चेतना, इतिहास और पर्यावरण के लिए अनेक महानुभावों ने स्वयं को समर्पित कर दिया।
पर्यावरण की रक्षा के लिए पूरे विश्व में विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं कार्यरत हैं। यह एक तरह से जनता का संयुक्त अभियान है। इसलिए कि आने वाली भयावह स्थिति से निपटने के लिए अभी से सार्थक कदम उठाना जरूरी है।
पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में अपने देश की प्राचीन सभ्यता से कहीं भटकने का डर हमें अस्वस्थ कर रहा है। ऐसी स्थिति में केवल जनजाति समाज और उसकी आदर्श पर्यावरण पूरक जीवनशैली ही हमें फिर से अपने मूल मार्ग पर लाने के लिए सक्षम है।