वनों के संरक्षक निर्मल मुण्डा

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उत्कल भूमि उत्कृष्टता की भूमि है। यहाँ की प्राकृतिक छटा और वन सम्पदा अपूर्व है। अंग्रेजों ने जब इसे लूटना शुरू किया, तो हर जगह वनवासी वीर इसके विरोध में खड़े हुए। ऐसा ही एक वीर थे निर्मल मुण्डा, जिनका जन्म 27 जनवरी, 1894 को ग्राम बारटोली, गंगापुर स्टेट, उड़ीसा…

स्वतन्त्रता सेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

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स्वतन्त्रता आन्दोलन के दिनों में जिनकी एक पुकार पर हजारों महिलाओं ने अपने कीमती गहने अर्पित कर दिये, जिनके आह्नान पर हजारों युवक और युवतियाँ आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गये, उन नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म उड़ीसा की राजधानी कटक के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 23 जनवरी, 1897…

क्रांतिकारी नृत्यांगना अजीजन बाई

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यों तो नृत्यांगना के पेशे को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता; पर अजीजन बाई ने सिद्ध कर दिया कि यदि दिल में आग हो, तो किसी भी माध्यम से देश-सेवा की जा सकती है। अजीजन का जन्म 22 जनवरी, 1824 को मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में राजगढ़ नगर…

प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद हेमू कालाणी

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इतिहास गवाह है कि मां भारती को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से चलाए गए स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में देश के कोने कोने से कई वीर सेनानियों ने भाग लिया था। इन वीर सेनानियों में से भारत के कई वीर सपूतों ने तो मां भारती के श्री चरणों…

छत्तीसगढ़ के अमर बलिदानी गेंदसिंह

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छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख क्षेत्र है बस्तर। अंग्रेजों ने अपनी कुटिल चालों से बस्तर को अपने शिकंजे में जकड़ लिया था। वे बस्तर के वनवासियों का नैतिक, आर्थिक और सामाजिक शोषण कर रहे थे। इससे वनवासी संस्कृति के समाप्त होने का खतरा बढ़ रहा था। अतः बस्तर के जंगल…

स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिवीर निर्मलकांत राय

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देश की स्वाधीनता के लिए गांधी जी के नेतृत्व में जहां हजारों लोग अहिंसक मार्ग से सत्याग्रह कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर क्रांतिवीर हिंसक मार्ग से अंग्रेजों को हटाने के लिए प्रयासरत थे। वे अंग्रेज अधिकारियों के साथ ही उन भारतीय अधिकारियों को भी दंड देते थे, जो अंग्रेजों…

राव रामबख्श सिंह का बलिदान

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श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या और लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) का निकटवर्ती क्षेत्र सदा से अवध कहलाता है। इसी अवध में उन्नाव जनपद का कुछ क्षेत्र बैसवारा कहा जाता है। इसी बैसवारा की वीरभूमि में राव रामबख्श सिंह का जन्म हुआ, जिन्होंने मातृभूमि को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए अन्तिम…

वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफ़ी क्यों मांगी?

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वीर सावरकर भारत देश के महान क्रांतिकारियों में से एक थे। कांग्रेस राज की बात है। मणिशंकर अय्यर ने मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देने के लिए अण्डेमान स्थित सेलुलर जेल से वीर सावरकर के स्मृति चिन्हों को हटवा दिया। यहाँ तक उन्हें अंग्रेजों से माफ़ी मांगने के नाम पर गद्दार…

पेशावर कांड के नायक चन्द्रसिंह गढ़वाली

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चन्द्रसिंह का जन्म ग्राम रौणसेरा, (जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड) में 25 दिसम्बर, 1891 को हुआ था। वह बचपन से ही बहुत हृष्ट-पुष्ट था। ऐसे लोगों को वहाँ ‘भड़’ कहा जाता है। 14 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह हो गया।  उन दिनों प्रथम विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो जाने के कारण सेना…

कैसा था भगत सिंह के सपनों का भारत

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23 मार्च 1931 को भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को स्वीकार कर लिया था और शायद मन में सपना लिए उस पर झूल गए कि आने वाला भारत आजाद होगा और वहां सभी सुख, चैन व भाई चारे से…

आजादी के मतवाले अमर शहीद हेमू कालाणी

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अमर शहीद हेमू कालाणी में राष्ट्रवाद की भावना का संचार बचपन में ही हो गया था, इतिहास गवाह है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में वीर सेनानियों ने, मां भारती को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से,  देश के कोने कोने से भाग लिया था। इन वीर…

दिव्यांग क्रन्तिकारी चारू चन्द्र बोस

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बंगाल के क्रांतिकारियों की निगाह में अलीपुर का सरकारी वकील आशुतोष विश्वास बहुत समय से खटक रहा था। देशभक्तों को पकड़वाने, उन पर झूठे मुकदमे लादने तथा फिर उन्हें कड़ी सजा दिलवाने में वह अपनी कानूनी बुद्धि का पूरा उपयोग कर रहा था। ब्रिटिश शासन के लिए वह एक पुष्प…

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