क्यों जरुरी हैं छठ पर्व ?

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दुनिया का इकलौता ऐसा पावन पर्व जिसकी महत्ता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। आज यह पर्व भारत, मलेशिया के अतिरिक्त लंदन, अमेरिका में भी बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। ये छठ पूजा जरुरी है धर्म के लिए नहीं अपितु.. हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों…

हिमालय का महाकुंभ नंदादेवी राजजात

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नन्दा उनकी कैलाश शिव को ब्याही हुई लाडली कन्या है, जिसे अपने ससुराल औघड़ शिव के यहां असह्य कष्टों और अभावों का सामना करना पड़ता है। मायके की याद में दुखी नन्दा कैलाश में रोती-बिलखती कहती है ’मेरी सभी बहनों में से मैं अप्रिय हूं इसलिए मुझे बिवाया गया इस वीरान कैलाश में। वह भी भांग फूंकने वाले जोगी को, जिसके लिए भांग घोटते-घोटते मेरे हाथों पर छाले पड़ गए हैं।’ नन्दा के प्रति लोक मानस का यही भाव संसार इसे लोकप्रियता की ऊंचाइयों तक लेे जाता है।

उत्तराखंड की कुम्भ परम्परा

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कुम्भ भारत की चिरन्तन परम्परा हैं। कुम्भ भारतीय संस्कृति के अनूठे विस्तार की कहानी है। यह विश्व का सबसे बड़ा जन समागम है। कुम्भ भारतीय संस्कृति की विराटता का भी परिचायक हैै।

कैसे करें दीपावली में लक्ष्मी गणेश की पूजा

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कल दीपावली का त्योहार है तो दीपावली के दिन हमलोग माँ लक्ष्मी एवं गणेश अर्थात गौरी-गणेश की पूजा करते हैं. और, पूजा करने के लिए हमलोग माँ लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा खरीदते हैं.जहाँ माता लक्ष्मी धन की देवी हैं... वहीं, ज्ञान और बुद्धि के देवता गणेशजी सभी देवताओं में प्रथम…

हमारा कर्तव्य

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इस साल पर्यूषण पर्व के अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा 6 अगस्त 2020 को वधशालाओं तथा मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी कर 11 अगस्त 2020 को आदेश को वापस ले लिया जो कानूनी परिधि के प्रतिकूल निर्णय था और यह देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।

त्रिगुनरूप भगवान दत्तात्रय

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गीता के इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति समर्पण भाव से मेरे पास आता है, मैं उसे भयमुक्त करता हूं और हमेशा उसकी रक्षा करता हूं। भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिये और कालानुरूप अवतार लेते है।

मंदिर निर्माण श्रीराम के आदर्शों की पुनर्स्थापना

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अयोध्या में केवल भव्य दिव्य श्रीराम मंदिर नहीं बन रहा है अपितु प्रभु श्रीराम के आदर्शों की भी पुनर्स्थापना हो रही है, जो सदियों-सदियों तक मानव जाति के लिए एक संजीवनी का काम करने के साथ ही एक आदर्शवान, चरित्रवान और दैवीय परिवार, समाज एवं राष्ट्र का नवनिर्माण कराती रहेगी।

संकल्प शिलाओं का पूजन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन शिलाओं का पूजन किया वे शिलाएं केवल पत्थर या धातु की नहीं हैं वरन वे देश को वैभव संपन्न करने वाली ’संकल्प शिलाएं’ हैं। यह संकल्प भारत और विश्व के सभी राम भक्तों का है। यह राष्ट्रीय संकल्प है। यह सत्य संकल्प है। राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं है।

कृष्णं वंदे जगद्गुरूम्

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जिन्हें भारतीय जीवन मूल्य एवं विचार दर्शन का पूर्ण रूप से आकलन करना है उनके लिए पूर्णावतार श्रीकृष्ण का चरित्र एवं विचार दीपस्तंभ की तरह हैं। विश्ववंद्य भगवद् गीता का उद्गाता, महाभारत के अधिनायक भगवान श्रीकृष्ण याने धर्माधिष्ठित समाज नीति एवं राजनीति का सुंदर संगम है।

राजनीति में हिंदुत्व का अधिष्ठान भी मंदिर निर्माण

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असल में कांग्रेस औऱ दूसरे सेक्यूलर दलों ने जिस दबी जुबान में मंदिर निर्माण का स्वागत किया है उसे संसदीय सियासत के करवट लेते हुए घटनाक्रम के रूप में भी देखे जाने की जरूरत है। ...कल तक जो राजनीति हिंदुओं के सांस्कृतिक मानमर्दन पर फलती फूलती रही है उसका चेहरा औऱ कोण दोनों बदलने वाले हैं।

लाखों हिंदुओं का बलिदान और 76 युद्ध –

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1528 में बाबर द्वारा अयोध्या में श्री राम मंदिर तोड़कर निर्माण की गई मस्जिद के विरोध में हिंदुओं का आंदोलन आरंभ हो गया था। इन पांच सौ वर्षों में अबतक हिंदुओं ने मंदिर की मुक्ति के लिए कोई 76 युद्ध लड़े और कई आंदोलन भी हुए। इनमें लाखों हिंदुओं का बलिदान हुआ। इन बलिदानों व आंदोलनों के कारण ही आज भगवान श्री राम भव्य मंदिर बन रहा है।

सिया राम मय अवनि अम्बर, और अयोध्या धुरी महत्तर

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जिन हिन्दुओं को, जिन भारतीयों को यह क्षण देखने, उसका साक्षी बनने, उसे अनुभव करने का सौभाग्य मिला है उस क्षण के सौभाग्य की तुलना सबके सहस्त्रों वर्षों के पुण्य से हो सकती है। यह भारत माता के प्रति अनन्य भक्ति का पुण्य है।

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