संघ का गुरु भगवाध्वज

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ध्वज हिंदुओं को त्याग, बलिदान, शौर्य, देशभक्ति आदि की प्रेरणा देने में सदैव सक्षम रहा है। यह ध्वज हिंदू समाज के सतत् संघर्षों और विजयश्री का साक्षी रहा है। ‘भगवा ध्वज’ के बिना हम हिंदू संस्कृति, हिंदू राष्ट्र और हिंदू धर्म की कल्पना नहीं कर सकते।

सकारात्मकता से होगा कोरोना पराजित

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इस उपक्रम को एक सुन्दर पहल बताते हुए डॉ. इन्द्रेश कुमार ने कहा कि नानाविध मत पंथों के लोगों ने इस मंच से एक स्वर में कोरोना के खिलाफ आवाज बुलंद की है और लोगों के मन से भ्रांतियां और भ्रम को निकालने का काम किया है। इससे नए भारत के निर्माण का एक संकल्प उभरा है।

सभी संप्रदायों में परस्पर प्रेम और सौहार्द्र

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 सरसंघचालक जी ने गाज़ियाबाद के जिस कार्यक्रम में अपने उक्त विचार व्यक्त किए उसका आयोजन चूंकि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में किया गया था इसलिए उन्होंने अपने  संबोधन में उन मुद्दों पर अपने विचारों को और साफगोई के साथ प्रस्तुत किया जिनके बारे में संघ की विचारधारा को लेकर जब तब  उंगलियां उठाई जाती हैं परंतु संघ प्रमुख ने दो टूक लहजे में यह कहने में भी कोई संकोच नहीं किया कि उनका संबोधन इमेज मेकओवर की एक्सरसाइज नहीं है और संघ इमेज की परवाह भी नहीं करता क्योंकि उसका संकल्प पवित्र है। जो भी राष्ट्रहित की बात करता है संघ उसके साथ है। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि राजनीति के माध्यम से जोड़ने का काम नहीं किया जा सकता।

राष्ट्र सर्वोपरि- संघ की विचारधारा

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विदेश नीति के संदर्भ में डॉक्टर हेडगेवार का एक और मंत्र है, "हम पर अब तक जितने आक्रमण हुए और अन्याय हुआ उसका एक ही उत्तर है, वह याने अति शक्तिशाली बनना।" नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, हम शक्तिशाली भारत का अनुभव कर रहे हैं। कांग्रेस के कालखंड में भारत में आतंकवादी हमले हुए, जिसमें पाकिस्तान का हाथ था, उसमें हमारे कई नागरिक मारे गए। हम केवल उनके शव गिनते बैठे रहते थे। कायराना हमला, मानवता के लिए कलंक, इस प्रकार की अर्थहीन बातें करते रहते थे। कैंडल मार्च निकालते रहते थे।

भारत की चिरंतन सांस्कृतिक धारा की समझ आवश्यक

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संघ को लेकर पूर्वाग्रह-दुराग्रह रखने वाले सभी दलों एवं नेताओं को उदार मन से आकलित करना चाहिए था कि क्या कारण हैं कि तीन-तीन प्रतिबंधों और विरोधियों के तमाम अनर्गल आरोपों को झेलकर भी संघ विचार-परिवार विशाल वटवृक्ष की भाँति संपूर्ण भारतवर्ष में फैलता गया, उसकी जड़ें और मज़बूत एवं गहरी होती चली गईं

चीन की प्रवृत्ति को समझें – श्रीगुरुजी

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चीन की ओर से विश्वासघात के रूप में कुछ हुआ नहीं, क्योंकि उसने तो कभी विश्वास दिलाया ही नहीं था। यह कहना ठीक नहीं कि चीन ने विश्वासघात किया। कहना यह चाहिए कि हम लोगों ने ही चीन की प्रकृति को समझा नहीं।

हिमाचल में बेअसर होता कोरोना

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कोरोना संकट के दौरान हिमाचल में हजारो संघ स्वयंसेवक अलग अलग संस्थाओं के माध्यम से लोगों की मदद कर रहे है। स्वयंसेवको ने सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए भोजन, माक्स और सेनिटाइजर उपलब्ध करवाएं है

भारतीय समाज के ताने-बाने में ही निहित है सेवा- सहयोग के मूल्य – डॉ. मनमोहन वैद्य

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संघ के लिए यह समय शिक्षा वर्ग का समय होता है. अप्रैल के मध्य से जून अंत तक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने के लिए गर्मियों की छुट्टियों का लाभ लेकर 90 से अधिक संघ शिक्षा वर्गों का आयोजन होता है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए संघ के नेतृत्व ने निर्णय किया है कि जून अंत तक होने वाले सभी वर्गों, एकत्रीकरण के कार्यक्रमों को निरस्त कर दिया है. संघ पर जब प्रतिबंध लगा था, तभी केवल शिक्षा वर्ग नहीं हुए थे. संघ के इतिहास में 1929 से लेकर अभी तक ऐसा पहली बार हुआ है कि पूर्ण योजना बनने के पश्चात भी देश में सभी वर्गों को निरस्त कर दिया गया है.

रा. स्व. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी को उनके जन्मदिन पर भावपूर्ण नमन।

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रा. स्व. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी को उनके जन्मदिन पर भावपूर्ण नमन।

संघ व गोड्से के सम्बन्ध की अंतर्कथा  

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गांधी जी की हत्या के पश्चात के प्रत्येक दशक में दस पांच बार गोएबल्स थियरी के ठेकेदारों ने ये प्रयास सतत किये हैं कि गांधीजी की हत्या को संघ के मत्थे मढ़ दिया जाए जिसमें वे हर बार असफल रहें हैं। अब देश भर में गांधी व गोड़से को लेकर नया विमर्श प्रारम्भ है, इस क्रम में ऐतिहासिक साक्ष्यों को पढ़ना आवश्यक हो जाता है।

समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज हेतु…

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“समता के मूल में ही समरसता है। हमें समरस हिंदू समाज खड़ा करना है अर्थात शोषणमुक्त समाज, आत्मविस्मृति-भेद-स्वार्थ-विषमता इन बातों से समाज को मुक्त करना है। किसी भी प्रकार की विषमता को हिन्दू समाज में स्थान नहीं है। “समरस समाज, समर्थ भारत” ही हमारा लक्ष्य है।” एक तथा दो दिसंबर…

परमवैभवपूर्ण राष्ट्र संघ का लक्ष्य

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनजी भागवत ने 17 से 19 सितम्बर तक दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘भारत का भविष्यः संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर तीन दिन व्याख्यान दिए। अंतिम सत्र में उन्होंने हिंदुत्व, संघ व जाति व्यवस्था, शिक्षा, भाषा, आरक्षण, अल्पसंख्यकों, समान नागरिक संहिता, आंतरिक सुरक्षा, संघ-भाजपा…

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