हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
नया भारत- विश्वगुरु बनाने का उद्घोष

नया भारत- विश्वगुरु बनाने का उद्घोष

by अमोल पेडणेकर
in संपादकीय, सितंबर २०१९
0

मानव की संस्कृति में परिवर्तन खेती की तरह है। यह प्रक्रिया समय-समय पर होती रहती है। जिस प्रकार खुदाई करना, जोतना, वर्षा की बूंदों का आना, बीज बोना, सिंचाई करना, पकी फसल को काटना इस प्रकार एक क्षण भी विराम न करने वाली सजगता ही खेती है। जैसे जमीन उपजाऊ रखने के लिए यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है, उसी प्रकार से देश में नव निर्माण लाने के लिए नए परिवर्तन की सोच रखना अत्यंत आवश्यक है। नव परिवर्तन के प्रवाह के साथ व्यक्ति, समाज और संपूर्ण राष्ट्र को जोड़ना यह भी विकास की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। बदलते विश्व के बीच तालमेल बिठाकर उसके साथ अपने आपको जोड़ना देश और मनुष्य की सृजनशीलता का प्रतीक है। नया भारत संकल्पना हमारी विशेष उड़ान है। समानता, सामूहिकता और समन्वयता ये मनुष्य के विशेष गुण हैं, इसी कारण उसमें मनुष्यता का तत्व होता है। हम जातिभेद- वंशभेद के कारण मानवता को छोड़ देंगे, तो नए भारत में मनुष्य कहलाने लायक नहीं रहेंगे। नए भारत की ओर बढ़ते वक्त मनुष्य में मनुष्यत्व का निर्माण होना अत्यंत आवश्यक है। स्वतंत्रता के बाद के 65 सालों में अक्सर देश के सामने विभिन्न सवाल खड़े किए गए पर समाधान की ओर आगे बढ़ने का प्रयास उस समय की सरकारों ने नही किया। न संकल्प किया गया, न विकल्प की तलाश की गई। 65 साल तक देश के हालातों को जैसे के तैसे रखने का प्रयास किया गया।

नए भारत में विज्ञान, ज्ञान, शिक्षा, रोजगार पाने के साधन होंगे और साध्य भी होगा। नए भारत में देव, धर्म, अध्यात्म होगा और  नर से नारायण बनने की क्षमता रखने वाला अत्याधुनिक भारतीय समाज होगा। राष्ट्रीयता, सामाजिकता और नागरिकता का बोध होगा। नए भारत की कल्पना में अंत्योदय की संवेदना होगी। नए भारत में इन बातों की अत्यंत आवश्यकता है। इस बोध के बिना उन्नत, समर्थ, सशक्त, सबल नए भारत के हमारे सपने साकार नहीं हो सकते। हम कांग्रेस के राज में 60 सालों तक गणतंत्र और आजादी का पर्व मनाते रहे। हमने भारत की आजादी को ही अंतिम लड़ाई मान लिया, सोच लिया कि अभी हमें और कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। इसी कारण भारत के साथ स्वतंत्र हुए अन्य देश कहां के कहां पहुंच गए और हम एक भ्रम में जीते रहे। सचमुच कांग्रेस राज के कारण गत 60 सालों में हम कोई ज्यादा विकास नहीं कर पाए। सिर्फ राजनीतिक लफ्फाजी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आए दिन भारतीय अस्मिता पर नई चोट और सामाजिक कुरीतियों में देश पीसता रहा।

परंतु गत 6 सालों में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद देश में परिवर्तन की एक लहर महसूस हो रही है। शिक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, प्रतिरक्षा, अंतरराष्ट्रीय संबंध इन सभी विषयों में भारत के सिर उठाकर चलने की राह दिखाई दे रही है। कांग्रेस के राज में अनुच्छेद 370, तीन तलाक जैसे विषयों की चर्चा करना भी कांग्रेस पार्टी ने कभी मुनासिब नहीं समझा। 65 साल के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में वही अनुच्छेद 370, तीन तलाक जैसे प्रश्न खत्म हो गए हैं। पूर्वोत्तर की समस्या बड़े पैमाने में हल होती दिखाई दे रही है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की गरिमा बढ़ रही है। पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाई गई है। विज्ञान, रक्षा क्षेत्र में हम मजबूत हो रहे हैं। भारत का लोहा आज दुनिया मान रही है। ऐसा होते हुए भी आज गंगा खतरे में है, जमुना सूख गई है, सरस्वती लुप्त हो गई है, पर्यावरण की समस्या विकराल रूप ले रही है। वंशवाद, जातिवाद के थपेड़ों से भारत का लोकतंत्र आज भी लहूलुहान है। रोजगारी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी बढ़ती जनसंख्या जैसे कई सवाल आज भी जवाब मांग रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान संभव है; लेकिन इसके लिए अद्भुत और अदम्य इच्छाशक्ति चाहिए।

नरेंद्र मोदी सरकार का राष्ट्रीय बोध और राष्ट्र के संदर्भ में परिपक्व चिंतन है। इसी कारण पिछले 6 सालों से भारत देश अपने कर्तृत्व को विश्व के सामने लाने का प्रयास कर रहा है। और इस प्रयास को सारी दुनिया अत्यंत आश्चर्यचकित भाव से महसूस कर रही है। अभी आने वाले भविष्य में राष्ट्रबोध और परिपक्व चिंतन के आधार पर शिक्षा प्रणाली निर्माण होना अत्यंत आवश्यक है। एक ऐसा देश निर्माण करना होगा जो हम भारतीयों के साथ पूरे विश्व को प्रेरणा दे सके। हम भारतीय उस राष्ट्र के नागरिक हैं जहां घुटने तक धोती लपेटे महात्मा ने अंग्रेजों को इस देश से भागने के लिए बाध्य किया है। चांद पर पानी खोजने का सामर्थ्य आज भारत में निर्माण हुई है। आने वाले भविष्य में गौरवशाली नए भारत के मार्ग की तलाश अवश्य होनी चाहिए। नए भारत की ओर मन में कोई संदेह निर्माण किए बिना विश्वास के साथ हमें आगे बढ़ना होगा। इस नए भारत में अंत्योदय का आभास है, सामूहिकता की महक है, सत्यमेव जयते की आवाज है, वसुधैव कुटुंबकम् और भारत को विश्वगुरु बनाने का उद्घोष है। इसी कारण अपनी आशाओं को पल्लवित करते हुए नए भारत की ओर विश्वास के साथ आगे बढ़ना होगा। लेकिन नए भारत की ओर बढ़ते समय तमाम आयामों पर न केवल हमें चर्चा करनी है बल्कि अपनी प्रत्यक्ष कृति के साथ भविष्य के नए भारत का निर्माण करने में अपना योगदान भी देना है। किसी ने क्या खूब कहा है-

सोचने से कहां मिलते हैं, तमन्नाओं के शहर…

चलने की जिद भी जरूरी है, मंजिल पाने के लिए

‘नया भारत विशेषांक’ का यह प्रस्तुतीकरण सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। भारत माता को वैभव तक पहुंचाने की चिंता और चिंतन करने वाले सृजनशील चिंतकों ने इस अंक में अपने विचार व्यक्त किए हैं। हमारा विश्वास है कि गौरवशाली भारत का निर्माण करते समय ‘हिंदी विवेक’ का यह ‘नया भारत विशेषांक’ हमारी सोच को दीपस्तंभ की तरह अवश्य मार्गदर्शन करता रहेगा।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

अमोल पेडणेकर

Next Post
गणेश जी का नाम गणपति रखा

गणेश जी का नाम गणपति रखा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0